नई दिल्ली: उद्योग मंडल एसोचैम मानना है कि आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को 15 बड़े आयात वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश में उनके उत्पादन की क्षमता बढ़ानी चाहिए.
उद्योग मंडल ने ऐसे 15 उत्पादों को चिह्नित करते हुए कहा है कि इनका घरेलू उत्पादन बढ़ाकर हम दो-तीन साल में आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को पा सकते हैं.
इन उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स, कोयला, लौह-चादर, अलौह धातु, वनस्पति तेल आदि शामिल हैं. यह विश्लेषण ताजा आंकड़ों पर आधारित है. आंकड़ों से पता चलता है कि गैर-तेल आयात खंड में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का हिस्सा सबसे अधिक है.
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देश के आंशिक लॉकडाउन के बावजूद मईै, 2020 में भारत ने 2.8 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का आयात किया. एसोचैम ने एक नोट में कहा, "उद्योग के सामान्य परिचालन के दिनों यह आयात एक महीने करीब पांच अरब डॉलर रहता है. इस पर एक बड़ी विदेशी मुद्रा खर्च होती है."
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की हालिया उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना और चैपियनों को प्रोत्साहन पासा पलटने वाला साबित हो सकता है. इस प्रयास में घरेलू ओर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोनो को प्रोत्साहन देने की जरूरत है.
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित है. इसके तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मोबाइल फोन उत्पादन, विशेष इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों जिसमें असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयां शामिल हैं, में बड़ा निवेश आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है.
उद्योग ने गैर-तेल ओर गैर-सोना आयात से अलग ऐसे उत्पादों की पहचान की है जिनपर अच्छी-खासी विदेशी मुद्रा खर्च होती है. इन उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान, इलेक्ट्रिकल और गैर-इलेक्ट्रिकल मशीनरी, लौह एवं इस्पात, जैविक और अजैविक रसायन, कोयला-कोक और ब्रिकेट, अलौह धातु, परिवहन उपकरण और फार्मास्युटिकल्स शामिल है.
इस सूची में वनस्पति तेल, उर्वरक, डाइंग, टैनिंग और कलरिंग का सामान, पेशेवर उपकरण और ऑप्टिकल्स, फल और सब्जियां भी शामिल हैं.
(पीटीआई-भाषा)