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विशेषज्ञ समिति का सुझाव, सभी कंपनियों को मिले पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति - एस्सार

वर्तमान में पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति उसी कंपनी को मिलती है जिसका हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, रिफाइनरी, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल क्षेत्र में कम से कम 2,000 करोड़ रुपये निवेश होता है.

विशेषज्ञ समिति का सुझाव, सभी कंपनियों को मिले पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति
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Published : May 29, 2019, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने ईंधन की खुदरा बिक्री सभी कंपनियों के लिये खोलने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि पेट्रोल पंप खोलने के लिये कंपनी के 2,000 करोड़ रुपये के निवेश नियम को समाप्त किया जाना चाहिये. हालांकि, समिति चाहती है कि कंपनियों के लिये अन्य जगहों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अनिवार्य रूप से पेट्रोल पंप खोलने की शर्त रखी जानी चाहिये.

फिलहाल, पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति उसी कंपनी को मिलती है जिसका हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, रिफाइनरी, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल क्षेत्र में कम से कम 2,000 करोड़ रुपये निवेश होता है. खुदरा ईंधन बिक्री लाइसेंस नियमों को आसान बनाने के लिये गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पेट्रोल, डीजल खुदरा बिक्री के लिये केंद्र सरकार से मंजूरी की जरूरत बनी रहनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: रेनो ने फिएट क्राइसलर के साथ प्रस्तावित विलय पर निसान को आश्वस्त करने की कोशिश की

इसका कारण है कि यह संवेदनशील, जरूरी और सुरक्षा से जुड़े उत्पाद हैं और उनकी आपूर्ति पर कुछ हद तक नियंत्रण जरूरी है ताकि सुरक्षा, ग्राहक सेवा तथा सार्वभौमिक सेवा बाध्यताएं सुनिश्चित हो सके. हालांकि, समिति चाहती है कि खुदरा बिक्री लाइसेंस के लिये 2,000 करोड़ रुपये निवेश की अनिवार्यता समाप्त कर दी जानी चाहिये.

रिपोर्ट में कहा गया है, "जो कंपनियां तेल एवं गैस क्षेत्र में काम कर रही हैं और जिन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है या उसका प्रस्ताव किया है, उनके लिये ईंधन के परिवहन को लेकर विपणन अधिकार मिलना कोई प्रोत्साहन नहीं जान पड़ता. इसीलिए केवल तेल एवं गैस कंपनियों के लिये विपणन मंजूरी को लेकर निवेश मानदंड रखे जाने से वे कंपनियां वंचित होंगी जो तेल एवं गैस क्षेत्र में इतना बड़ा निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन वे बाजार को अधिक ग्राहक उन्मुख बनाने के लिये कुछ अलग पेशकश कर सकती हैं."

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि निवेश मानदंड को समाप्त कर उसकी जगह ऐसा नियम लाना चाहिए जिससे प्रदर्शन की क्षमता रखने वाले सही आवेदनकर्ताओं को चुना जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, "इसकी जगह बैंक गारंटी के साथ जुर्माना अनुबंध रखा जा सकता है. जो भी कंपनी सौंपी गयी योजना के तहत काम करने में विफल रहती हैं, उनकी बैंक गारंटी भुनायी जा सकती है."

खुदरा लाइसेंस में यह शर्त होनी चाहिए कि कंपनी कामकाज के सातवें साल तक कुल लगाये गये पेट्रोल पंपों का 5 प्रतिशत विशेषीकृत दूरदराज के क्षेत्रों में लगाये. समिति ने कहा कि 250 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाली कंपनी को देश में पेट्रोल पंप लगाने के साथ थोक में बिक्री की अनुमति मिलनी चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार अगर कंपनी 5 प्रतिशत पेट्रोल पंप चिन्हित दूरदराज के क्षेत्रों में लगा पाने में विफल रहती है, उस पर प्रति पंप 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

हालांकि, कंपनियां लाइसेंस लेने के समय प्रति दूरदराज क्षेत्र 2 करोड़ रुपये जमा कर इस उपबंध से छूट प्राप्त कर सकती हैं. फिलहाल, देश में 64,624 पेट्रोल पंपों में से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों, इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन के हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज, न्यारा एनर्जी (पूर्व में एस्सार आयल) और रायल डच जैसी निजी कंपनियां बाजार में हैं लेकिन उनकी उपस्थिति कम है. दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 है.

नई दिल्ली: एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने ईंधन की खुदरा बिक्री सभी कंपनियों के लिये खोलने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि पेट्रोल पंप खोलने के लिये कंपनी के 2,000 करोड़ रुपये के निवेश नियम को समाप्त किया जाना चाहिये. हालांकि, समिति चाहती है कि कंपनियों के लिये अन्य जगहों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अनिवार्य रूप से पेट्रोल पंप खोलने की शर्त रखी जानी चाहिये.

फिलहाल, पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति उसी कंपनी को मिलती है जिसका हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, रिफाइनरी, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल क्षेत्र में कम से कम 2,000 करोड़ रुपये निवेश होता है. खुदरा ईंधन बिक्री लाइसेंस नियमों को आसान बनाने के लिये गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पेट्रोल, डीजल खुदरा बिक्री के लिये केंद्र सरकार से मंजूरी की जरूरत बनी रहनी चाहिए.

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इसका कारण है कि यह संवेदनशील, जरूरी और सुरक्षा से जुड़े उत्पाद हैं और उनकी आपूर्ति पर कुछ हद तक नियंत्रण जरूरी है ताकि सुरक्षा, ग्राहक सेवा तथा सार्वभौमिक सेवा बाध्यताएं सुनिश्चित हो सके. हालांकि, समिति चाहती है कि खुदरा बिक्री लाइसेंस के लिये 2,000 करोड़ रुपये निवेश की अनिवार्यता समाप्त कर दी जानी चाहिये.

रिपोर्ट में कहा गया है, "जो कंपनियां तेल एवं गैस क्षेत्र में काम कर रही हैं और जिन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है या उसका प्रस्ताव किया है, उनके लिये ईंधन के परिवहन को लेकर विपणन अधिकार मिलना कोई प्रोत्साहन नहीं जान पड़ता. इसीलिए केवल तेल एवं गैस कंपनियों के लिये विपणन मंजूरी को लेकर निवेश मानदंड रखे जाने से वे कंपनियां वंचित होंगी जो तेल एवं गैस क्षेत्र में इतना बड़ा निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन वे बाजार को अधिक ग्राहक उन्मुख बनाने के लिये कुछ अलग पेशकश कर सकती हैं."

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि निवेश मानदंड को समाप्त कर उसकी जगह ऐसा नियम लाना चाहिए जिससे प्रदर्शन की क्षमता रखने वाले सही आवेदनकर्ताओं को चुना जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, "इसकी जगह बैंक गारंटी के साथ जुर्माना अनुबंध रखा जा सकता है. जो भी कंपनी सौंपी गयी योजना के तहत काम करने में विफल रहती हैं, उनकी बैंक गारंटी भुनायी जा सकती है."

खुदरा लाइसेंस में यह शर्त होनी चाहिए कि कंपनी कामकाज के सातवें साल तक कुल लगाये गये पेट्रोल पंपों का 5 प्रतिशत विशेषीकृत दूरदराज के क्षेत्रों में लगाये. समिति ने कहा कि 250 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाली कंपनी को देश में पेट्रोल पंप लगाने के साथ थोक में बिक्री की अनुमति मिलनी चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार अगर कंपनी 5 प्रतिशत पेट्रोल पंप चिन्हित दूरदराज के क्षेत्रों में लगा पाने में विफल रहती है, उस पर प्रति पंप 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

हालांकि, कंपनियां लाइसेंस लेने के समय प्रति दूरदराज क्षेत्र 2 करोड़ रुपये जमा कर इस उपबंध से छूट प्राप्त कर सकती हैं. फिलहाल, देश में 64,624 पेट्रोल पंपों में से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों, इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन के हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज, न्यारा एनर्जी (पूर्व में एस्सार आयल) और रायल डच जैसी निजी कंपनियां बाजार में हैं लेकिन उनकी उपस्थिति कम है. दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 है.

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नई दिल्ली: एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने ईंधन की खुदरा बिक्री सभी कंपनियों के लिये खोलने का सुझाव दिया है. समिति ने कहा है कि पेट्रोल पंप खोलने के लिये कंपनी के 2,000 करोड़ रुपये के निवेश नियम को समाप्त किया जाना चाहिये. हालांकि, समिति चाहती है कि कंपनियों के लिये अन्य जगहों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अनिवार्य रूप से पेट्रोल पंप खोलने की शर्त रखी जानी चाहिये.

फिलहाल, पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति उसी कंपनी को मिलती है जिसका हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, रिफाइनरी, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल क्षेत्र में कम से कम 2,000 करोड़ रुपये निवेश होता है. खुदरा ईंधन बिक्री लाइसेंस नियमों को आसान बनाने के लिये गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पेट्रोल, डीजल खुदरा बिक्री के लिये केंद्र सरकार से मंजूरी की जरूरत बनी रहनी चाहिए.

इसका कारण है कि यह संवेदनशील, जरूरी और सुरक्षा से जुड़े उत्पाद हैं और उनकी आपूर्ति पर कुछ हद तक नियंत्रण जरूरी है ताकि सुरक्षा, ग्राहक सेवा तथा सार्वभौमिक सेवा बाध्यताएं सुनिश्चित हो सके. हालांकि, समिति चाहती है कि खुदरा बिक्री लाइसेंस के लिये 2,000 करोड़ रुपये निवेश की अनिवार्यता समाप्त कर दी जानी चाहिये.

रिपोर्ट में कहा गया है, "जो कंपनियां तेल एवं गैस क्षेत्र में काम कर रही हैं और जिन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है या उसका प्रस्ताव किया है, उनके लिये ईंधन के परिवहन को लेकर विपणन अधिकार मिलना कोई प्रोत्साहन नहीं जान पड़ता. इसीलिए केवल तेल एवं गैस कंपनियों के लिये विपणन मंजूरी को लेकर निवेश मानदंड रखे जाने से वे कंपनियां वंचित होंगी जो तेल एवं गैस क्षेत्र में इतना बड़ा निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन वे बाजार को अधिक ग्राहक उन्मुख बनाने के लिये कुछ अलग पेशकश कर सकती हैं."

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि निवेश मानदंड को समाप्त कर उसकी जगह ऐसा नियम लाना चाहिए जिससे प्रदर्शन की क्षमता रखने वाले सही आवेदनकर्ताओं को चुना जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, "इसकी जगह बैंक गारंटी के साथ जुर्माना अनुबंध रखा जा सकता है. जो भी कंपनी सौंपी गयी योजना के तहत काम करने में विफल रहती हैं, उनकी बैंक गारंटी भुनायी जा सकती है."

खुदरा लाइसेंस में यह शर्त होनी चाहिए कि कंपनी कामकाज के सातवें साल तक कुल लगाये गये पेट्रोल पंपों का 5 प्रतिशत विशेषीकृत दूरदराज के क्षेत्रों में लगाये. समिति ने कहा कि 250 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाली कंपनी को देश में पेट्रोल पंप लगाने के साथ थोक में बिक्री की अनुमति मिलनी चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार अगर कंपनी 5 प्रतिशत पेट्रोल पंप चिन्हित दूरदराज के क्षेत्रों में लगा पाने में विफल रहती है, उस पर प्रति पंप 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

हालांकि, कंपनियां लाइसेंस लेने के समय प्रति दूरदराज क्षेत्र 2 करोड़ रुपये जमा कर इस उपबंध से छूट प्राप्त कर सकती हैं. फिलहाल, देश में 64,624 पेट्रोल पंपों में से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों, इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन के हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज, न्यारा एनर्जी (पूर्व में एस्सार आयल) और रायल डच जैसी निजी कंपनियां बाजार में हैं लेकिन उनकी उपस्थिति कम है. दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 है.

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