नई दिल्ली: कंपनियां कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न संकट के मद्देनजर अस्थायी, दिहाड़ी तथा ठेके के आधार पर काम करने वाले कर्मचारियों को जो अनुग्रह राशि देंगी, उन्हें भी कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) खर्च का हिस्सा माना जाएगा.
कंपनियों को यह लाभ तभी मिलेगा जब इस तरह की अनुग्रह राशि का भुगतान नियमित पारिश्रामिक के अतिरिक्त किया जाएगा.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सीएसआर को लेकर भ्रम की स्थितियां स्पष्ट करने के लिये बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर जारी किया है. इसी प्रश्नोत्तर में कर्मचारियों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि के बारे में भी स्पष्टीकरण दिया गया है.
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सरकार ने कुछ सप्ताह पहले कहा था कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात राहत कोष (पीएम-केयर्स कोष) में दिये जाने वाले योगदान को सीएसआर माना जाएगा.
मंत्रालय ने प्रश्नोत्तर में बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में दी जाने वाली राशि को भी सीएसआर माना जाएगा. हालांकि मुख्यमंत्री राहत कोष अथवा कोविड-19 के लिये राज्य राहत कोष में किये गये योगदान को सीएसआर नहीं माना जाएगा.
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्ष के औसत वार्षिक लाभ का कम से कम दो प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना होता है.
मंत्रालय ने कहा, "यदि कंपनियां अपने अस्थायी, ठेका या दिहाड़ी कर्मचारियों को उनके वेतन-मजूरी के भुगतान के ऊपर या अलग से किसी तरह की अनुग्रह राशि देती हैं तो इसे सीएसआर पर किया गया खर्च माना जाएगा. यह छूट एकबार की होगी जो विशेष तौर पर कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए दी गयी राशि पर लागू होगी."
इस छूट के साथ यह शर्त होगी कि कंपनी के निदेशक मंडल को इस बारे में एक विस्तृत उद्घोषणा करनी होगी तथा उसे कंपनी के वैधानिक ऑडिटर से प्रमाणित कराना होगा.
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान अस्थायी, ठेका या दिहाड़ी मजदूरों को दिया गया पारिश्रमिक सीएसआर व्यय के दायरे में नहीं आएगा.
(पीटीआई-भाषा)