नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी ने मंगलवार को कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है और उसके पास मौजूदा तथा भविष्य की पूंजीखर्च जरूरतों के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध है. ओएनजीसी ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय दिया है जब उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
ओएनजीसी ने हाल के महीनों में एक के बाद एक अधिग्रहण किये हैं. साथ ही सरकारी मांग से भी उसका अधिशेष खजाना खाली होने को लेकर चिंतायें बढ़ी हैं. जहां कुछ साल पहले उसका नकद कोष 13,000 करोड़ रुपये पर था वहीं कंपनी पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ हो गया.
ये भी पढ़ें- अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधाओं को कम करे भारत: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री
ओएनजीसी एक शून्य-रिण वाली कंपनी रही है लेकिन पिछले कुछ साल के दौरान उसे बैंकों और पूंजी बाजार से कर्ज उठाना पड़ा है. सरकार ने ओएनजीसी को पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड का अधिग्रहण करने को कहा. ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकार की पूरी हिस्सेदारी खरीदी. इसके अलावा सरकार ने कंपनी से ऊंचा लाभांश देने और शेयरों की पुनर्खरीद करने को भी कहा.
कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसकी पूंजी व्यय पूरा करने की क्षमता को लेकर समाचार पत्रों में तरह तरह की रिर्पोटें प्रकाशित हुई हैं. इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया में ओएनजीसी ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है और उसके पास मौजूदा और भविष्य में बनने वाली परियोजनाओं के लिये मजबूत वित्तीय व्यवस्था है.
उल्लेखनीय है कि ओएनजीसी ने 2017 में गुजरात सरकार की कंपनी जीएसपीसी की केजी बेसिन स्थिति गैस क्षेत्र में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी को 7,738 करोड़ रुपये में खरीदा. पिछले साल जनवरी में कंपनी ने एचपीसीएल में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को 36,915 करोड़ रुपये में खरीदा.
इसके अलावा 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में सरकार ने कंपनियों से ऊंचा लाभांश देने को कहा साथ ही 4,022 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद को भी पूरा किया. गुजरात के जीएसपीसी को छोड़कर अन्य सभी मामलों में केन्द्र सरकार को सबसे ज्यादा भुगतान की प्राप्ति हुई.
कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत, पूंजी खर्च के लिये उपलब्ध है धन: ओएनजीसी
ओएनजीसी ने हाल के महीनों में एक के बाद एक अधिग्रहण किये हैं. साथ ही सरकारी मांग से भी उसका अधिशेष खजाना खाली होने को लेकर चिंतायें बढ़ी हैं. जहां कुछ साल पहले उसका नकद कोष 13,000 करोड़ रुपये पर था वहीं कंपनी पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ हो गया.
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी ने मंगलवार को कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है और उसके पास मौजूदा तथा भविष्य की पूंजीखर्च जरूरतों के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध है. ओएनजीसी ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय दिया है जब उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
ओएनजीसी ने हाल के महीनों में एक के बाद एक अधिग्रहण किये हैं. साथ ही सरकारी मांग से भी उसका अधिशेष खजाना खाली होने को लेकर चिंतायें बढ़ी हैं. जहां कुछ साल पहले उसका नकद कोष 13,000 करोड़ रुपये पर था वहीं कंपनी पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ हो गया.
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ओएनजीसी एक शून्य-रिण वाली कंपनी रही है लेकिन पिछले कुछ साल के दौरान उसे बैंकों और पूंजी बाजार से कर्ज उठाना पड़ा है. सरकार ने ओएनजीसी को पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड का अधिग्रहण करने को कहा. ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकार की पूरी हिस्सेदारी खरीदी. इसके अलावा सरकार ने कंपनी से ऊंचा लाभांश देने और शेयरों की पुनर्खरीद करने को भी कहा.
कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसकी पूंजी व्यय पूरा करने की क्षमता को लेकर समाचार पत्रों में तरह तरह की रिर्पोटें प्रकाशित हुई हैं. इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया में ओएनजीसी ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है और उसके पास मौजूदा और भविष्य में बनने वाली परियोजनाओं के लिये मजबूत वित्तीय व्यवस्था है.
उल्लेखनीय है कि ओएनजीसी ने 2017 में गुजरात सरकार की कंपनी जीएसपीसी की केजी बेसिन स्थिति गैस क्षेत्र में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी को 7,738 करोड़ रुपये में खरीदा. पिछले साल जनवरी में कंपनी ने एचपीसीएल में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को 36,915 करोड़ रुपये में खरीदा.
इसके अलावा 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में सरकार ने कंपनियों से ऊंचा लाभांश देने को कहा साथ ही 4,022 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद को भी पूरा किया. गुजरात के जीएसपीसी को छोड़कर अन्य सभी मामलों में केन्द्र सरकार को सबसे ज्यादा भुगतान की प्राप्ति हुई.
कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत, पूंजी खर्च के लिये उपलब्ध है धन: ओएनजीसी
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी ने मंगलवार को कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है और उसके पास मौजूदा तथा भविष्य की पूंजीखर्च जरूरतों के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध है. ओएनजीसी ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय दिया है जब उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
ओएनजीसी ने हाल के महीनों में एक के बाद एक अधिग्रहण किये हैं. साथ ही सरकारी मांग से भी उसका अधिशेष खजाना खाली होने को लेकर चिंतायें बढ़ी हैं. जहां कुछ साल पहले उसका नकद कोष 13,000 करोड़ रुपये पर था वहीं कंपनी पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ हो गया.
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ओएनजीसी एक शून्य-रिण वाली कंपनी रही है लेकिन पिछले कुछ साल के दौरान उसे बैंकों और पूंजी बाजार से कर्ज उठाना पड़ा है. सरकार ने ओएनजीसी को पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड का अधिग्रहण करने को कहा. ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकार की पूरी हिस्सेदारी खरीदी. इसके अलावा सरकार ने कंपनी से ऊंचा लाभांश देने और शेयरों की पुनर्खरीद करने को भी कहा.
कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसकी पूंजी व्यय पूरा करने की क्षमता को लेकर समाचार पत्रों में तरह तरह की रिर्पोटें प्रकाशित हुई हैं. इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया में ओएनजीसी ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है और उसके पास मौजूदा और भविष्य में बनने वाली परियोजनाओं के लिये मजबूत वित्तीय व्यवस्था है.
उल्लेखनीय है कि ओएनजीसी ने 2017 में गुजरात सरकार की कंपनी जीएसपीसी की केजी बेसिन स्थिति गैस क्षेत्र में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी को 7,738 करोड़ रुपये में खरीदा. पिछले साल जनवरी में कंपनी ने एचपीसीएल में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को 36,915 करोड़ रुपये में खरीदा.
इसके अलावा 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में सरकार ने कंपनियों से ऊंचा लाभांश देने को कहा साथ ही 4,022 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद को भी पूरा किया. गुजरात के जीएसपीसी को छोड़कर अन्य सभी मामलों में केन्द्र सरकार को सबसे ज्यादा भुगतान की प्राप्ति हुई.
Conclusion: