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बीपीसीएल के राष्ट्रीयकरण कानून को 2016 में ही रद्द कर चुकी है सरकार, निजीकरण का रास्ता साफ - भारत पेट्रोलियम

पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी. निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है. इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिये पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

बीपीसीएल के राष्ट्रीयकरण कानून को 2016 में ही रद्द कर चुकी है सरकार, निजीकरण का रास्ता साफ
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Published : Oct 6, 2019, 3:26 PM IST

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के प्रस्तावित पूर्ण निजीकरण का रास्ता साफ हो चुका है. सरकार ने 'चुपके से' बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था. ऐसे में बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी. निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है. इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिये पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कानून को समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके. इसी के मद्देनजर सरकार बीप़ीसीएल में अपनी समूची 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है.

ये भी पढ़ें: वाहन उद्योग के समक्ष संरचनात्मक मुद्दे, कीमत कम रखने की चुनौती: किर्लोस्कर

बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है. वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है. इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपय के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

चार अक्टूबर को बाजार बंद होने के समय बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 1.11 लाख करोड़ रुपये था. बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं. इसमें नियंत्रण तथा ईंधन बाजार प्रवेश प्रीमियम भी शामिल है.

उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है. संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है.

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के प्रस्तावित पूर्ण निजीकरण का रास्ता साफ हो चुका है. सरकार ने 'चुपके से' बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था. ऐसे में बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी. निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है. इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिये पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कानून को समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके. इसी के मद्देनजर सरकार बीप़ीसीएल में अपनी समूची 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है.

ये भी पढ़ें: वाहन उद्योग के समक्ष संरचनात्मक मुद्दे, कीमत कम रखने की चुनौती: किर्लोस्कर

बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है. वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है. इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपय के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

चार अक्टूबर को बाजार बंद होने के समय बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 1.11 लाख करोड़ रुपये था. बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं. इसमें नियंत्रण तथा ईंधन बाजार प्रवेश प्रीमियम भी शामिल है.

उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है. संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है.

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नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के प्रस्तावित पूर्ण निजीकरण का रास्ता साफ हो चुका है. सरकार ने 'चुपके से' बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था. ऐसे में बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी. निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है. इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिये पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कानून को समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके. इसी के मद्देनजर सरकार बीप़ीसीएल में अपनी समूची 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है.

बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है. वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है. इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपय के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

चार अक्टूबर को बाजार बंद होने के समय बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 1.11 लाख करोड़ रुपये था. बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं. इसमें नियंत्रण तथा ईंधन बाजार प्रवेश प्रीमियम भी शामिल है.

उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है. संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है.

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