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रिलायंस में 5.25 लाख करोड़ का निवेश करेगी सऊदी अरामको - रिलायंस,

रिलायंस इंडस्ट्रीज की 42वीं वार्षिक आम बैठक में घोषणा करते हुए, उन्होंने कहा कि यह कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ा विदेशी निवेश होगा.

आरमको ने रिलायंस की रिफाइनरी में 20%, 75 बिलियन अमरीकी डालर में किया निवेश
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Published : Aug 12, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 6:20 PM IST

मुंबई: मुकेश अंबानी ने सोमवार को घोषणा की कि सऊदी तेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अरामको ने अपने प्रमुख रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल रिफाइनरी और रासायनिक कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी 75 बिलियन अमरीकी डालर (लगभग 5,32,466 करोड़ रुपये) के उद्यम मूल्य पर लेने की सहमति दी है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज की 42वीं वार्षिक आम बैठक में घोषणा करते हुए, उन्होंने कहा कि यह कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ा विदेशी निवेश होगा.

सौदे के हिस्से के रूप में, सऊदी अरामको गुजरात के जामनगर में रिलायंस की जुड़वां रिफाइनरियों को कच्चे तेल की प्रति दिन 500,000 बैरल या 25 मिलियन टन की आपूर्ति करेगा.

सऊदी अरामको प्रस्तावित विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रिलायंस की जुड़वां रिफाइनरियों के साथ-साथ फर्म के पेट्रोकेमिकल परिसर में भी रखेगी.

सऊदी की राष्ट्रीय तेल कंपनी, अपने साझेदार यूएई के अबू डाभी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के साथ, राज्य के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों द्वारा महाराष्ट्र में नियोजित यूएसडी 60 बिलियन मेगा रिफाइनरी-कम-पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी ले चुकी है, भारत की ऊर्जा मांग में तेजी का रुख और यहां निवेश करने के लिए उत्सुक है.

रिलायंस गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरियों का संचालन करती है, जिनकी कुल क्षमता 68.2 मिलियन टन प्रति वर्ष है.

ये भी पढ़ें - जियो की मुफ्त कॉल के साथ ब्रॉडबैंड सेवा 'जियो फाइबर पांच सितंबर से देशभर में उपलब्ध'

यह वर्तमान में पेट्रोकेमिकल और दूरसंचार कारोबार के विस्तार पर केंद्रित है.

दूसरी ओर सऊदी अरब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ईंधन बाजार में पैर जमाने के लिए इच्छुक है, जो कच्चे तेल के उत्पादन के लिए कैप्टिव ग्राहक प्राप्त करता है.

अरामको और एडीएनओसी मिलकर 60 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) रिफाइनरी और निकटवर्ती 18 एमटीपीए पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी 2025 तक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में बनाने की योजना बनाएंगे.
दोनों रिफाइनरी में प्रसंस्करण के लिए आवश्यक कच्चे तेल की आधी आपूर्ति करेंगे.

अन्य प्रमुख उत्पादकों की तरह, दोनों निवेश के माध्यम से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता में ग्राहकों को शामिल करना चाहते हैं. कुवैत भी अपने कच्चे तेल का सुनिश्चित लाभ प्राप्त करने के बदले में परियोजनाओं में निवेश करना चाह रहा है.

सऊदी अरामको भी भारत में खुदरा बिक्री के लिए उत्सुक है. भारत में एक रिफाइनरी यूरोप और अमेरिका में घाटे वाले देशों के लिए ईंधन का निर्यात करने के लिए भी एक आधार हो सकती है.

मुंबई: मुकेश अंबानी ने सोमवार को घोषणा की कि सऊदी तेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अरामको ने अपने प्रमुख रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल रिफाइनरी और रासायनिक कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी 75 बिलियन अमरीकी डालर (लगभग 5,32,466 करोड़ रुपये) के उद्यम मूल्य पर लेने की सहमति दी है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज की 42वीं वार्षिक आम बैठक में घोषणा करते हुए, उन्होंने कहा कि यह कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ा विदेशी निवेश होगा.

सौदे के हिस्से के रूप में, सऊदी अरामको गुजरात के जामनगर में रिलायंस की जुड़वां रिफाइनरियों को कच्चे तेल की प्रति दिन 500,000 बैरल या 25 मिलियन टन की आपूर्ति करेगा.

सऊदी अरामको प्रस्तावित विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रिलायंस की जुड़वां रिफाइनरियों के साथ-साथ फर्म के पेट्रोकेमिकल परिसर में भी रखेगी.

सऊदी की राष्ट्रीय तेल कंपनी, अपने साझेदार यूएई के अबू डाभी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के साथ, राज्य के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों द्वारा महाराष्ट्र में नियोजित यूएसडी 60 बिलियन मेगा रिफाइनरी-कम-पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी ले चुकी है, भारत की ऊर्जा मांग में तेजी का रुख और यहां निवेश करने के लिए उत्सुक है.

रिलायंस गुजरात के जामनगर में दो रिफाइनरियों का संचालन करती है, जिनकी कुल क्षमता 68.2 मिलियन टन प्रति वर्ष है.

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यह वर्तमान में पेट्रोकेमिकल और दूरसंचार कारोबार के विस्तार पर केंद्रित है.

दूसरी ओर सऊदी अरब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ईंधन बाजार में पैर जमाने के लिए इच्छुक है, जो कच्चे तेल के उत्पादन के लिए कैप्टिव ग्राहक प्राप्त करता है.

अरामको और एडीएनओसी मिलकर 60 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) रिफाइनरी और निकटवर्ती 18 एमटीपीए पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी 2025 तक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में बनाने की योजना बनाएंगे.
दोनों रिफाइनरी में प्रसंस्करण के लिए आवश्यक कच्चे तेल की आधी आपूर्ति करेंगे.

अन्य प्रमुख उत्पादकों की तरह, दोनों निवेश के माध्यम से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता में ग्राहकों को शामिल करना चाहते हैं. कुवैत भी अपने कच्चे तेल का सुनिश्चित लाभ प्राप्त करने के बदले में परियोजनाओं में निवेश करना चाह रहा है.

सऊदी अरामको भी भारत में खुदरा बिक्री के लिए उत्सुक है. भारत में एक रिफाइनरी यूरोप और अमेरिका में घाटे वाले देशों के लिए ईंधन का निर्यात करने के लिए भी एक आधार हो सकती है.

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Last Updated : Sep 26, 2019, 6:20 PM IST
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