नई दिल्ली: तेल उद्योग के प्रमुख संगठन, साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुसार, पिछले महीने समाप्त तेल वर्ष 2019-20 में, देश का वनस्पति तेल आयात 13 प्रतिशत घटकर 135.25 लाख टन रह गया.
कोविड-19 महामारी के कारण अप्रैल के महीने से होटलों, रेस्तरां और कैफेटेरिया की मांग बुरी तरह से प्रभावित होने के कारण आयात में पिछले छह वर्षो में सबसे अधिक गिरावट आई है.
अक्टूबर के महीने में वनस्पति तेलों (खाद्य और गैर-खाद्य तेलों) का आयात 12,66,784 टन तक घट गया, जबकि एक साल पहले यह आयात 13,78,104 टन हुआ था.
एसईए ने एक बयान में कहा कि 2018-19 के दौरान वनस्पति तेलों का आयात 155.50 लाख टन का हुआ था जो तेल वर्ष 2019-20 (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान घटकर 135.25 लाख टन रह गया.
एसोसिएशन ने आयात में गिरावट का श्रेय अप्रैल 2020 से 'होटल, रेस्तरां और कैफ़ेटेरिया खंड' से मांग बुरी तरह से प्रभावित होने को दिया.
एसईए ने कहा, "मांग और खपत में कमी के लिए कोविड-19 महामारी मुख्य रूप से जिम्मेदार है."
संगठन ने कहा कि वनस्पति तेलों का कुल आयात पिछले छह वर्षों में सबसे कम है. आंकड़ों के अनुसार, तेल वर्ष 2019-20 में खाद्य तेलों का आयात घटकर 131.75 लाख टन रह गया, जो आयात इसके पिछले वर्ष 149.13 लाख टन का हुआ था.
ये भी पढ़ें: जानिए क्यों है बाजार के लिए खास दीपावली की मुहूर्त ट्रेडिंग
गैर-खाद्य तेलों का आयात एक साल पहले के 6,36,159 टन की तुलना में 45 प्रतिशत घटकर 3,49,172 टन रह गया, जो कि घरेलू उत्पादन के बढ़ने तथा मांग कम रहने के कारण संभव हुआ.
एसईए ने कहा कि वर्ष 2019-20 में रिफाइंड पामोलीन का आयात काफी घटकर 4.21 लाख टन रह गया, जो वर्ष 2018-19 में 27.30 लाख टन था, जो 4 सितंबर, 2019 को 5 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाए जाने के कारण हुआ था.
एसोसिएशन ने कहा कि इस वर्ष 8 जनवरी से प्रतिबंधित सूची श्रेणी में आरबीडी पामोलीन को रखने से भी आयात पर असर पड़ा. पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष के दौरान कच्चे पाम तेल के आयात में मामूली वृद्धि हुई.
सोयाबीन तेल का आयात 31 टन से 33 लाख टन के बीच स्थिर रहा, जबकि घरेलू मांग की बदौलत सूरजमुखी तेल का आयात साल-दर-साल बढ़ रहा है. तेलवर्ष 2019-20 के दौरान, पाम तेल आयात पर्याप्त रूप से घटकर 72.17 लाख टन रह गया, जो आयात पिछले वर्ष 94.09 लाख टन का हुआ था.
(पीटीआई-भाषा)