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आनंद महिंद्रा की अंतरिक्ष क्षेत्र को सलाह, अलग तरीके से सोचें, 'नरसिंह' की तरह कार्य करें

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदारी की तुलना पौराणिक चरित्र और भगवान विष्णु के चौथे अवतार 'नरसिंह' भगवान के साथ करते हुए इस तथ्य पर जोर दिया कि अंतरिक्ष क्षेत्र को अपनी पूरी क्षमता को उपयोग करने के लिए अलग और नए तरीके से सोचने की जरूरत है.

आनंद महिंद्रा की अंतरिक्ष क्षेत्र को सलाह, अलग तरीके से सोचें, 'नरसिंह' की तरह कार्य करें
आनंद महिंद्रा की अंतरिक्ष क्षेत्र को सलाह, अलग तरीके से सोचें, 'नरसिंह' की तरह कार्य करें
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Published : Aug 20, 2020, 8:13 PM IST

हैदराबाद: महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदारी की तुलना पौराणिक चरित्र और भगवान विष्णु के चौथे अवतार 'नरसिंह' भगवान के साथ करते हुए इस तथ्य पर जोर दिया कि अंतरिक्ष क्षेत्र को अपनी पूरी क्षमता को उपयोग करने के लिए अलग और नए तरीके से सोचने की जरूरत है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 'अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को अनलॉक करने' पर आयोजित एक वेबिनार के दौरान बात करते हुए, महिंद्रा ने कहा, "दो अलग-अलग हिस्सों जुड़कर एक बहुत अप्रत्याशित काम करते हैं. मैं विष्णु अवतार नरसिम्हन - आधा आदमी, आधा शेर के बारे में सोच रहा हूं. मैं एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र की कल्पना कर रहा हूं जो एक इंसान की निडरता, गति, शक्ति और शेर की सहज प्रवृत्ति के साथ ज्ञान और बुद्धि को जोड़ती है."

महिंद्रा ने आगे यह समझाया कि कैसे नरसिंह को हिरण्यकश्यप राक्षस पर विजय प्राप्त करने के लिए अलग-अलग तरह से सोचना पड़ा, जो न तो हथियारों से मारा जा सकता था और न ही किसी व्यक्ति द्वारा, न दिन में और नही रात में, न तो धरती पर और न ही आकाश में मारा जा सकता था.

महिंद्रा ने कहा, "हम सभी से आग्रह करेंगे कि कहानी को ध्यान में रखें (कैसे नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को सभी विषमताओं के बावजूद मार डाला) क्योंकि हम अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. ऐसी संरचनाएं और प्रणालियां बनाने के बारे में सोचें, जो पहले कभी अस्तित्व में नहीं थीं, लक्ष्य को हासिल करने के बारे में अलग तरह से सोचें, चाहे आप सार्वजनिक हों या निजी खिलाड़ी."

उन्होंने कहा, "हम इसे नरसिंह की तरह समस्या हल करने वाली अगली पीढ़ी का निर्माण करने के लिए अपने काम का हिस्सा बनाते हैं. आइए मौजूदा प्रतिमानों और उत्तरों से परे सोचें. हमारा अंतिम लक्ष्य अंतरिक्ष उद्यमिता के लिए एक उत्प्रेरक बनाना है."

ये भी पढ़ें: हवाई यात्रियों को एक सितंबर से अधिक विमानन सुरक्षा शुल्क देना होगा

महिंद्रा ने कहा कि भारत को स्पेस एक्सप्लोरिंग नेशन के बजाए स्पेस फेयरिंग नेशन बनना चाहिए. इस क्षेत्र में आपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष सोने (अवसर) की नई खदान बन सकता है क्योंकि यहां अंतहीन सोना है और यह सरकार और व्यापारियों दोनों के लिए है."

इससे पहले जून में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष गतिविधियों की पूरी श्रृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में कई बदलावों को मंजूरी दी थी.

सरकार ने एक नया निकाय बनाया - इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर्स (इन-स्पेस) - जो भारतीय कंपनियों के लिए एक लेवल प्लेइंग फील्ड प्रदान करने के लिए भारतीय स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करता है. इसने एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड भी बनाया, जिसका उद्देश्य "आपूर्ति-संचालित मॉडल से मांग-संचालित करने के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों को फिर से उन्मुख करना, जिससे अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो."

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

हैदराबाद: महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदारी की तुलना पौराणिक चरित्र और भगवान विष्णु के चौथे अवतार 'नरसिंह' भगवान के साथ करते हुए इस तथ्य पर जोर दिया कि अंतरिक्ष क्षेत्र को अपनी पूरी क्षमता को उपयोग करने के लिए अलग और नए तरीके से सोचने की जरूरत है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 'अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को अनलॉक करने' पर आयोजित एक वेबिनार के दौरान बात करते हुए, महिंद्रा ने कहा, "दो अलग-अलग हिस्सों जुड़कर एक बहुत अप्रत्याशित काम करते हैं. मैं विष्णु अवतार नरसिम्हन - आधा आदमी, आधा शेर के बारे में सोच रहा हूं. मैं एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र की कल्पना कर रहा हूं जो एक इंसान की निडरता, गति, शक्ति और शेर की सहज प्रवृत्ति के साथ ज्ञान और बुद्धि को जोड़ती है."

महिंद्रा ने आगे यह समझाया कि कैसे नरसिंह को हिरण्यकश्यप राक्षस पर विजय प्राप्त करने के लिए अलग-अलग तरह से सोचना पड़ा, जो न तो हथियारों से मारा जा सकता था और न ही किसी व्यक्ति द्वारा, न दिन में और नही रात में, न तो धरती पर और न ही आकाश में मारा जा सकता था.

महिंद्रा ने कहा, "हम सभी से आग्रह करेंगे कि कहानी को ध्यान में रखें (कैसे नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को सभी विषमताओं के बावजूद मार डाला) क्योंकि हम अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. ऐसी संरचनाएं और प्रणालियां बनाने के बारे में सोचें, जो पहले कभी अस्तित्व में नहीं थीं, लक्ष्य को हासिल करने के बारे में अलग तरह से सोचें, चाहे आप सार्वजनिक हों या निजी खिलाड़ी."

उन्होंने कहा, "हम इसे नरसिंह की तरह समस्या हल करने वाली अगली पीढ़ी का निर्माण करने के लिए अपने काम का हिस्सा बनाते हैं. आइए मौजूदा प्रतिमानों और उत्तरों से परे सोचें. हमारा अंतिम लक्ष्य अंतरिक्ष उद्यमिता के लिए एक उत्प्रेरक बनाना है."

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महिंद्रा ने कहा कि भारत को स्पेस एक्सप्लोरिंग नेशन के बजाए स्पेस फेयरिंग नेशन बनना चाहिए. इस क्षेत्र में आपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष सोने (अवसर) की नई खदान बन सकता है क्योंकि यहां अंतहीन सोना है और यह सरकार और व्यापारियों दोनों के लिए है."

इससे पहले जून में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष गतिविधियों की पूरी श्रृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में कई बदलावों को मंजूरी दी थी.

सरकार ने एक नया निकाय बनाया - इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर्स (इन-स्पेस) - जो भारतीय कंपनियों के लिए एक लेवल प्लेइंग फील्ड प्रदान करने के लिए भारतीय स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करता है. इसने एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड भी बनाया, जिसका उद्देश्य "आपूर्ति-संचालित मॉडल से मांग-संचालित करने के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों को फिर से उन्मुख करना, जिससे अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो."

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

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