नई दिल्ली : हरित प्रमाणपत्रों या आरईसी का बिक्री कारोबार बीते वित्त वर्ष 2020-21 में घटकर 9.2 लाख प्रमाणपत्र रह गया. वहीं, मार्च 2021 के अंत तक इनके कारोबार पर रोक के चलते हरित प्रमाणपत्रों का भंडार बढ़कर 60.58 लाख हो गया है. इससे वितरण कंपनियों के लिए अक्षय ऊर्जा खरीद प्रतिबद्धताओं (आरपीओ) को पूरा करना मुश्किल हो रहा है.
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक 60.58 लाख आरईसी बिना बिक्री के जमा हो गए. इनमें 7.71 लाख सौर और 52.88 लाख गैर-सौर हरित प्रमाणपत्र हैं.
आंकड़ों के अनुसार, आरईसी का कारोबार पिछले साल जुलाई से बंद है. ऐसे में बीते वित्त वर्ष में आरईसी की बिक्री या कारोबार घटकर 9.2 लाख रह गया. 2019-20 में आरईसी का कारोबार 89.27 लाख और 2018-19 में 126.08 लाख रहा था.
बिजली अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) ने पिछले साल जुलाई में केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) द्वारा आरईसी का न्यूनतम मूल्य तय करने से संबंधित मुद्दे पर तीन अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए चार सप्ताह इनका कारोबार बंद करने का फैसला किया था. एपीटीईएल के अंतरिम आदेश की वजह से इनका कारोबार शुरू नहीं हो पाया. यह मामला अब भी एपीटीईएल में लंबित है.
आरईसी के कारोबार पर रोक की वजह से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की आरपीओ को पूरा करने की प्रतिबद्धता प्रभावित हुई है.
आरपीओ के तहत थोक खरीदारों मसलन डिस्कॉम, मुक्त पहुंच वाले उपभोक्ताओं तथा खुद के इस्तेमाल के लिए खरीद करने वाले प्रयोगकर्ताओं को इसके एवज में एक निश्चित अनुपात में आरईसी की अक्षय ऊर्जा खरीदनी होती है.
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वे अक्षय ऊर्जा उत्पादकों से आरईसी की खरीद कर आरपीओ नियमों को पूरा कर सकते हैं. पात्र अक्षय ऊर्जा संसाधन से एक मेगावॉट घंटे की बिजली पैदा होने पर एक आरईसी का सृजन होता है.
बता दें कि आरईसी का कारोबार इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) और पावर एक्सचेंज इंडिया (पीएक्सआईएल) में प्रत्येक माह के अंतिम बुधवार को होता है.