नई दिल्ली: बचत को लेकर पुरूषों के मुकाबले महिलाएं कुछ ज्यादा ही सतर्क होती हैं. एक सर्वे के अनुसार करीब 58 प्रतिशत महिलाएं अपना पैसा मियादी जमा या लोक भविष्य निधि में जमा करना चाहती हैं अथवा फिर उसे बचत खाते में पड़े रहना देना चाहते हैं.
ऑनलाइन वित्तीय सेवा प्रदाता स्क्रिपबाक्स के सर्वे के अनुसार इसके अलावा सर्वे में शामिल 6 प्रतिशत प्रतिभागियों की राय में सोना खरीदना अच्छा होता है. इसके विपरीत 15 प्रतिशत लोग अपनी बची आय म्यूचुअल फंड में निवेश करने को बेहतर मानते हैं.
यह सर्वे फेसबुक उपयोगकर्ताओं बीच इस साल अक्टूबर के पहले दो सप्ताह में किया गया. इसमें 400 महिलाओं ने हिस्सा लिया. इसमें से 54 प्रतिशत 80 और 90 के दशक में जन्म लेने वाली महिलाएं है.
सर्वे के अनुसार 80 और 90 के दशक के बीच जन्म लेने वाली (मिलेनियल्स) महिलाओं में तीन चौथाई महिलाएं बचत का समर्थन करती हैं. इनमें से करीब 16 प्रतिशत (छह मे से एक) छुटि्टयों के लिये पैसा जमा करने का लक्ष्य लेकर चलती हैं.
इसके विपरीत जो 'मिलेनियल्स' आयु वर्ग की नहीं है, उनमें से करीब आधे सेवानिवृत्ति कोष या बच्चों की शिक्षा के लिये कोष सृजित करने जैसे लक्ष्यों को लेकर निवेश का लक्ष्य रखती हैं.
हालांकि इस आयु वर्ग की महिलाओं के लिए भी (33 प्रतिशत) पीपीएफ, एलआईसी और मियादी जमाएं महत्वपूर्ण हैं, 26 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि म्यूचुअल फंड उनके दीर्घकालीन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है.
सर्वे के अनुसार करीब 44 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि जब वे अपनी मेहनत की कमाई बचत या निवेश करती हैं उनके लिये अपने पैसों तक आसान पहुंच उनके लिये महत्वपूर्ण है.
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स्क्रिपबाक्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अशोक कुमार ने कहा, "बचत और निवेश एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उसे समान माना जाता है. हालांकि दोनों में बड़ा अंतर है. बचत के तहत धन को आपात स्थिति के लिये रखा जाता है जबकि निवेश अनुशासित तरीके से संपत्ति सृजित करने का जरिया है."
इसमें कहा गया है कि महिलाओं के लिये आकस्मिकता के लिए धन जमा करना सबसे ऊंची प्रथमिकता होती है. करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने आकस्मिक जोखिमों से बचाव के लिए बचत करने को प्रमुखता दी.
इसके अलावा बच्चों की शिक्षा के लिये पैसा अलग रखना (28 प्रतिशत) और सेवानिवृत्ति कोष बनाना (26 प्रतिशत) भी उनके लिये महत्वपूर्ण है. सर्वे में शामिल करीब 25 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनके दिमाग में कोई वित्तीय लक्ष्य नहीं है.
प्रत्येक वर्ष 30 अक्टूबर को विश्व बचत दिवस मनाया जाता है. जिसे वर्ल्ड सेविंग्स डे भी कहा जाता है. यह 1924 में बैंक बचत के मूल्य को बढ़ावा देने और बैंकों में नागरिकों के आत्मविश्वास को पुन: स्थापित करने के लिए शुरू किया गया था.