मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख अजय त्यागी ने बजट में लाभांश वितरण कर (डीडीटी) का बोझ कंपनी के बजाय निवेशक पर डालने की घोषणा को उचित कदम बताया है. उन्होंने यह भी कहा कि फ्रैंकलिन टेम्पलेटन जैसी म्यूचुअल फंड कंपनियों से जवाब मांगा गया है जिन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में व्यापक मुद्दों की वजह से वोडाफोन आइडिया में अपना निवेश कम किया है.
त्यागी ने मंगलवार एनएसई के कार्यक्रम में कहा, "कंपनियों के लिए डीडीटी को समाप्त किये जाने की बाजार मांग कर रहा था. यदि आप निवेशक से कारोबारी आय के रूप में वास्तविक कर जुटाते हैं तो यह कर होगा. यह तर्कसंगत है."
सेबी प्रमुख ने डीडीटी का बोझ निवेशकों पर डालने की घोषणा पर कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. दूरसंचार कंपनियों के एजीआर को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा वोडाफोन आइडिया के बांड में अपने निवेश को निकालने के मुद्दे पर त्यागी ने कहा कि नियामक ने इसका जवाब मांगा है. हालांकि, उन्होंने इस पर सीधी टिप्पणी नहीं की.
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त्यागी ने कहा कि यह म्यूचुअल फंड कंपनियों को खुद तय करना है कि संपत्ति का मूल्य क्या है. एएमएफआई ने जो फॉर्मूला सुझाया है वह तभी लागू होगा जबकि यह निवेश ग्रेड से नीचे होगा. यदि यह निवेश ग्रेड से नीचे नहीं होगा, तो इसकी जरूरत नहीं होगी.
त्यागी ने कहा कि हमने उनसे पूछा है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बारे में पूछे जाने पर कि सरकार को इसमें किसी अन्य निर्गम की तरह प्रक्रिया को पूरा करना होगा.
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पर अभी सरकार और सेबी के बीच कोई विचार विमर्श नहीं हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)