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सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा, बंद के कारण भुगतान में देरी को चूक नहीं माना जाए - सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा

एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) मूल्यांकन एजेंसियों की नियुक्ति करता है. ये एजेंसियां मुद्रा बाजार और ऋण प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करती हैं और प्रतिभूतियों के चूक की बात को सामने लाती हैं.

सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा, बंद के कारण भुगतान में देरी को चूक नहीं माना जाए
सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा, बंद के कारण भुगतान में देरी को चूक नहीं माना जाए
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Published : Apr 24, 2020, 10:13 AM IST

नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को म्यूचुअल फंड मूल्यांकन एजेंसियो से मुद्रा बाजार और प्रतिभूतियों के मूल्यांकन मकसद से लॉकडाउन (बंद) के कारण ब्याज या मूल राशि के भुगतान अथवा प्रतिभूति की परिपक्वता के विस्तार में विलम्ब को चूक नहीं मानने को कहा.

देशव्यापी बंद के कारण ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिसका सामना म्यूचुअल फंड कंपनियों को करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- डाटा न होने से व्यक्तिगत इकाइयों के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करना मुश्किल: गर्ग

एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) मूल्यांकन एजेंसियों की नियुक्ति करता है. ये एजेंसियां मुद्रा बाजार और ऋण प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करती हैं और प्रतिभूतियों के चूक की बात को सामने लाती हैं.

रिजर्व बैंक के कोरोना वायरास महामारी को देखते हुए इकाइयों को राहत देने के लिये कर्ज भुगतान पर तीन महीने की मोहलत के बाद यह कदम उठाया गया है.

एक परिपत्र में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि मामला-दर-मामला आधार पर चूक मामलों को देखने के लिये उसमें विभेद करने की जरूरत है. यह देखना जरूरी है कि यह चूक बंद का नतीजा है या फिर कर्ज भुगतान के लिये तीन महीने की मोहलत का.

सेबी के अनुसार, "आकलन के आधार पर अगर मूल्यांकन एजेंसियों का मानना है कि निर्गम जारी करने वाले द्वारा ब्याज/मूल राशि के भुगतान या प्रतिभूति की परिपक्वता विस्तार में देरी का कारण कोरोना वायरस महामारी और बंद है. इसके कारण कर्ज के भुगतान में अस्थायी तौर पर चुनौतियां आयी हैं तब मूल्यांकन एजेंसियां मुद्रा बाजार या ऋण प्रतियों के मूल्यांकन के मकसद से इसे चूक के रूप में विचार नहीं कर सकती हैं."

परिपत्र के अनुसार यह व्यवस्था आरबीआई द्वारा दी गयी मोहलत अवधि तक रहेगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को म्यूचुअल फंड मूल्यांकन एजेंसियो से मुद्रा बाजार और प्रतिभूतियों के मूल्यांकन मकसद से लॉकडाउन (बंद) के कारण ब्याज या मूल राशि के भुगतान अथवा प्रतिभूति की परिपक्वता के विस्तार में विलम्ब को चूक नहीं मानने को कहा.

देशव्यापी बंद के कारण ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिसका सामना म्यूचुअल फंड कंपनियों को करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- डाटा न होने से व्यक्तिगत इकाइयों के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करना मुश्किल: गर्ग

एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) मूल्यांकन एजेंसियों की नियुक्ति करता है. ये एजेंसियां मुद्रा बाजार और ऋण प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करती हैं और प्रतिभूतियों के चूक की बात को सामने लाती हैं.

रिजर्व बैंक के कोरोना वायरास महामारी को देखते हुए इकाइयों को राहत देने के लिये कर्ज भुगतान पर तीन महीने की मोहलत के बाद यह कदम उठाया गया है.

एक परिपत्र में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि मामला-दर-मामला आधार पर चूक मामलों को देखने के लिये उसमें विभेद करने की जरूरत है. यह देखना जरूरी है कि यह चूक बंद का नतीजा है या फिर कर्ज भुगतान के लिये तीन महीने की मोहलत का.

सेबी के अनुसार, "आकलन के आधार पर अगर मूल्यांकन एजेंसियों का मानना है कि निर्गम जारी करने वाले द्वारा ब्याज/मूल राशि के भुगतान या प्रतिभूति की परिपक्वता विस्तार में देरी का कारण कोरोना वायरस महामारी और बंद है. इसके कारण कर्ज के भुगतान में अस्थायी तौर पर चुनौतियां आयी हैं तब मूल्यांकन एजेंसियां मुद्रा बाजार या ऋण प्रतियों के मूल्यांकन के मकसद से इसे चूक के रूप में विचार नहीं कर सकती हैं."

परिपत्र के अनुसार यह व्यवस्था आरबीआई द्वारा दी गयी मोहलत अवधि तक रहेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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