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सुप्रीम कोर्ट का टेलीकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ चुकाने का निर्देश

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Published : Oct 24, 2019, 3:13 PM IST

Updated : Oct 24, 2019, 4:16 PM IST

दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों को बृहस्पतिवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने उनसे करीब 92,000 करोड़ रुपये की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली.

दूरसंचार कंपनियों को सभी तरह के जुर्माने, ब्याज देने होंगे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त झटका लगा है. दूरसंचार विभाग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी. टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग का 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया अदा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये बकाया कितने समय में दिया जाएगा वो कोर्ट तय करेगा.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है. पीठ ने कहा, "हमने व्यवस्था दी है कि समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रहेगी."

इस संबंध में निर्णय के मुख्य अंश पढ़ते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "हम दूरसंचार विभाग की याचिका को स्वीकार करते हैं, जबकि कंपनियों की याचिका खारिज करते हैं." शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दूरसंचार कंपनियों की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने साफ किया कि कंपनियों को दूरसंचार विभाग को जुर्माना और ब्याज की रकम का भुगतान भी करना होगा.

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में आगे और कोई कानूनी वाद की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा वह समायोजित सकल आय की गणना और कंपनियों को उसका भुगतान करने के लिए समयसीमा तय करेगी. केंद्र ने जुलाई में शीर्ष अदालत से कहा था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनियों और सरकार के स्वामित्व वाली एमटीएनएल और बीएसएनएल पर उस दिन तक 92,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाइसेंस शुल्क के रूप में बकाया है.

हलफनामे के अनुसार इन सभी दूरसंचार कंपनियों से कुल 92,641.61 करोड़ उस दिन तक वसूल करना था. नयी दूरसंचार नीति के अनुसार दूरसंचार लाइसेंसधारकों को अपनी समायोजित सकल आय का कुछ प्रतिशत सालाना लाइसेंस शुल्क के रूप में सरकार को देना होगा.

इसके अलावा, मोबाइल संचार सेवा प्रदाताओं को उन्हें आवंटित स्पेक्ट्रम की रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग के लिये स्पेक्ट्रम उपायोग शुल्क का भी भुगतान करना होता है. दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा था कि किराया, अचल संपत्ति की बिक्री पर लाभ, लाभांश और प्रतिभूति से होने वाली आमदनी जैसे गैर-संचार राजस्व को समायोजित सकल आय माना जायेगा जिस पर उन्हें सरकार को लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा.

किस कंपनी का कितना है बकाया

  • भारती एयरटेल - 21,682.71 करोड़ रुपये
  • वोडाफोन-आईडिया -19,823.71 करोड़ रुपये
  • रिलायंस कम्युनिकेशंस - 16,456.47 करोड़ रुपये
  • एयरसेल - 7,852 करोड़ रुपए
  • बीएसएनएल - 2,098.72 करोड़ रुपये
  • एमटीएनएल - 2,537.48 करोड़ रुपये

नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त झटका लगा है. दूरसंचार विभाग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी. टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग का 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया अदा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये बकाया कितने समय में दिया जाएगा वो कोर्ट तय करेगा.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गयी समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है. पीठ ने कहा, "हमने व्यवस्था दी है कि समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रहेगी."

इस संबंध में निर्णय के मुख्य अंश पढ़ते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "हम दूरसंचार विभाग की याचिका को स्वीकार करते हैं, जबकि कंपनियों की याचिका खारिज करते हैं." शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दूरसंचार कंपनियों की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने साफ किया कि कंपनियों को दूरसंचार विभाग को जुर्माना और ब्याज की रकम का भुगतान भी करना होगा.

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में आगे और कोई कानूनी वाद की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा वह समायोजित सकल आय की गणना और कंपनियों को उसका भुगतान करने के लिए समयसीमा तय करेगी. केंद्र ने जुलाई में शीर्ष अदालत से कहा था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनियों और सरकार के स्वामित्व वाली एमटीएनएल और बीएसएनएल पर उस दिन तक 92,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लाइसेंस शुल्क के रूप में बकाया है.

हलफनामे के अनुसार इन सभी दूरसंचार कंपनियों से कुल 92,641.61 करोड़ उस दिन तक वसूल करना था. नयी दूरसंचार नीति के अनुसार दूरसंचार लाइसेंसधारकों को अपनी समायोजित सकल आय का कुछ प्रतिशत सालाना लाइसेंस शुल्क के रूप में सरकार को देना होगा.

इसके अलावा, मोबाइल संचार सेवा प्रदाताओं को उन्हें आवंटित स्पेक्ट्रम की रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग के लिये स्पेक्ट्रम उपायोग शुल्क का भी भुगतान करना होता है. दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा था कि किराया, अचल संपत्ति की बिक्री पर लाभ, लाभांश और प्रतिभूति से होने वाली आमदनी जैसे गैर-संचार राजस्व को समायोजित सकल आय माना जायेगा जिस पर उन्हें सरकार को लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा.

किस कंपनी का कितना है बकाया

  • भारती एयरटेल - 21,682.71 करोड़ रुपये
  • वोडाफोन-आईडिया -19,823.71 करोड़ रुपये
  • रिलायंस कम्युनिकेशंस - 16,456.47 करोड़ रुपये
  • एयरसेल - 7,852 करोड़ रुपए
  • बीएसएनएल - 2,098.72 करोड़ रुपये
  • एमटीएनएल - 2,537.48 करोड़ रुपये
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दूरसंचार कंपनियों को सभी तरह के जुर्माने, ब्याज देने होंगे: सुप्रीम कोर्ट 

नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त झटका लगा है. दूरसंचार विभाग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी. टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग का 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया अदा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये बकाया कितने समय में दिया जाएगा वो कोर्ट तय करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजीआर यानी समायोजित सकल राजस्व में लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग के अलावा अन्य आय भी शामिल है. इनमें कैपिटल एसेस्ट की बिक्री पर लाभ और बीमा क्लेम एजीआर का हिस्सा नहीं होंगे. टेलीकॉम कंपनियों ने इसके लिए 6 महीने मांगे थे.

किस कंपनी पर कितना है बकाया

भारती एयरटेल पर 21 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है.

वोडाफोन-आईडिया पर 8,485 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है.

एयरसेल पर 7,852 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है

बीएसएनएल पर 2000 करोड़ रुपये का बकाया है.

एमटीएनएल पर 2500 करोड़ रुपये का बकाया है.

 


Conclusion:
Last Updated : Oct 24, 2019, 4:16 PM IST
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