ETV Bharat / business

एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी: एसबीआई ने कहा, मामला दर्ज करने में नहीं हुई कोई देरी

इस आरोप का जवाब देते हुए एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है, जिस पर संयुक्त ऋणदाताओं की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई के समक्ष एक प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई.

एसबीआई ने दिया बयान
एसबीआई ने दिया बयान
author img

By

Published : Feb 13, 2022, 11:44 PM IST

Updated : Feb 14, 2022, 12:41 AM IST

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में शिकायत दर्ज करने में देरी के आरोपों के बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रविवार को कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (forensic audit report) के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी (abg shipyard fraud) मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है. कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Congress General Secretary Randeep Singh Surjewala) ने इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन में आश्चर्य जताया था कि एबीजी शिपयार्ड (abg shipyard) के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए.

इस आरोप का जवाब देते हुए एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है, जिस पर संयुक्त ऋणदाताओं की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई के समक्ष एक प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई. एसबीआई ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल (Rishi Kamlesh Agrawal) सहित अन्य के मुकदमा दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया. एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी (Executive Director Santhanam Muthaswamy), निदेशकों - अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया (Directors Ashwini Kumar, Sushil Kumar Agarwal and Ravi Vimal Nevetia) और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (ABG International Private Limited) के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया.

इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है. बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था. बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की.

पढ़ें: ABG Shipyard Fraud: कांग्रेस का आरोप, मोदी सरकार में हुई 75 साल की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है. यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है.


नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में शिकायत दर्ज करने में देरी के आरोपों के बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रविवार को कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (forensic audit report) के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी (abg shipyard fraud) मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है. कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Congress General Secretary Randeep Singh Surjewala) ने इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन में आश्चर्य जताया था कि एबीजी शिपयार्ड (abg shipyard) के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए.

इस आरोप का जवाब देते हुए एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है, जिस पर संयुक्त ऋणदाताओं की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई के समक्ष एक प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई. एसबीआई ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल (Rishi Kamlesh Agrawal) सहित अन्य के मुकदमा दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया. एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी (Executive Director Santhanam Muthaswamy), निदेशकों - अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया (Directors Ashwini Kumar, Sushil Kumar Agarwal and Ravi Vimal Nevetia) और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (ABG International Private Limited) के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया.

इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है. बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था. बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की.

पढ़ें: ABG Shipyard Fraud: कांग्रेस का आरोप, मोदी सरकार में हुई 75 साल की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है. यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है.


Last Updated : Feb 14, 2022, 12:41 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.