नई दिल्ली: वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत को झटका देते हुए उसके क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया. उसने कहा कि सरकार आर्थिक मोर्चे पर जारी सुस्ती को दूर करने में आंशिक रूप से नाकाम रही है. इसके चलते आर्थिक वृद्धि के नीचे बने रहने का जोखिम बढ़ गया है.
मूडीज ने भारत के लिए दीर्घावधि में स्थानीय मुद्रा जारी करने की रेटिंग तथा विदेशी मुद्रा रेटिंग को बीएए 2 - रखा है. यह निवेश के लिहाज से दूसरा निचला ग्रेड स्कोर है.
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. यह सरकार के राजकोषीय घाटे के 3.3 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य से काफी नीचे है.
सुस्त आर्थिक वृद्धि और कॉरपोरेट कर में अचानक की गई कटौती से राजस्व वृद्धि कमजोर रहने का अनुमान लगाया गया है. मूडीज ने बयान में कहा कि यह परिदृश्य आंशिक रूप से आर्थिक सुस्ती को दूर करने में सरकार और नीति की अक्षमता को दर्शाता है. इसके चलते कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। यह पहले से ही उच्च स्तर पर है.
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इसमें कहा गया कि नकारात्मक परिदृश्य इस ओर इशारा करता है कि निवट अवधि में परिदृश्य में सुधार होने की उम्मीद नहीं है. अगर राजकोषीय मोर्चे पर चीजें समय के साथ स्थिर और बेहतर होती जाएंगी, तो मूडीज रेटिंग के दृष्टिकोण को बदलकर स्थिर कर सकता है.
वैश्विक व्यापार विवाद के बीच सरकारी खर्च में कमी और उपभोक्ता मांग प्रभावित होने से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गिरकर पांच प्रतिशत पर आ गई है. यह 2013 के बाद सबसे कम वृद्धि दर है.
सरकार ने हालांकि, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के भारत की रेटिंग का परिदृश्य स्थिर से घटाकर नकारात्मक करने पर शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया जताई. वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत बने हुये हैं और सरकार की ओर से किए गए उपायों से निवेश में तेजी आएगी.
रेटिंग एजेंसी ने कहा, "मूडीज का रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से बदलकर नकारात्मक करना इस जोखिम को दर्शाता है कि आर्थिक वृद्धि पहले की तुलना में कम रही सकती है. यह आंशिक रूप से लंबे समय से चली आ रही आर्थिक एवं संस्थागत आर्थिक कमजोरी को दूर करने में सरकार की प्रभावी नीति में कमी को दर्शाता है. इन कमजोरियों का मूडीज ने पहले ही अनुमान जताया था. इनकी वजह से देश का कर्ज धीरे-धीरे बढ़ेगा, जो कि पहले से ही उच्च स्तर पर है."
उसने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए उठाए गए कदमों से सुस्ती के प्रभाव को कम करने, ग्रामीण क्षेत्र के वित्तीय संकट, रोजगार सृजन में कमजोरी और एनबीएफसी क्षेत्र की दिक्कत को दूर करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, आगे के सुधारों की संभावनाएं कम हुई हैं, जो कि कारोबारी निवेश और वृद्धि को ऊंचे स्तर पर ले जाने में मदद कर सकती थी.
दो अन्य अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों फिच रेटिंग्स एंड एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत का परिदृश्य स्थिर रखा हुआ है.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में मूडीज के परिदृश्य घटाने का जवाब देते हुए कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर बनी हुई है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने पूरी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए वित्तीय क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में कई उपाय किए हैं. वैश्विक सुस्ती से निपटने के लिए सरकार ने खुद आगे बढ़कर नीतिगत फैसले लिए हैं.
इन उपायों से भारत को लेकर सकारात्मक रुख बढ़ेगा. साथ ही पूंजी प्रवाह को आकर्षित करने में मदद मिलेगी तथा निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा. मूडीज के परिदृश्य को कम करने से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर अर्थव्यवस्था को तेजी देने के लिए और कदम उठाने का दबाव बढ़ सकता है. मूडीज ने कहा कि उसका मानना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों का संकट जल्द नहीं सुलझेगा.