नई दिल्ली: भारतीय धरती पर बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमानों के उतरने के साथ ही इस मुद्दे पर सालों से चल रही राजनीतिक रस्साकशी एक बार फिर शुरु हो गई.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे के भारत आने का स्वागत किया और इंडियन एयर फोर्स को भी इसके लिए बधाई दी.
इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट कर भारत सरकार से तीन सवाल पूछे. उन्होंने लिखा, "राफेल के लिए भारतीय वायुसेना को बधाई. लेकिन भारत सरकार को कुछ जवाब देने होंगे. पहला 526 करोड़ रुपये का एक राफेल अब 1670 करोड़ रुपये में क्यों?, दूसरा 126 राफेल की बजाय 36 राफेल ही क्यों? और तीसरा दिवालिया हुए अनिल को एचएएल की जगह 30 हजार करोड़ रुपये क्यों दिए गए."
राजग सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था.
गौरतलब है कि इससे पहले तत्कालीन संप्रग सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों के खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था.
दसाल्ट एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की कम होती युद्धक क्षमता में सुधार के लिए किया गया था, क्योंकि वायुसेना के पास फिलहाल 31 लड़ाकू विमान हैं जबकि वायुसेना के स्क्वाड्रन में इनकी स्वीकृत संख्या के अनुसार, कम से कम 42 लड़ाकू विमान होने चाहिए.
बता दें कि भारतीय वायु सेना के लिए ऐतिहासिक क्षणों के बीच बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों का पहला जत्था भारत पहुंच गया. फ्रांस से खरीदे गए ये राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस पर उतरे.
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)