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आरबीआई परिपत्र को रद्द करने से समाधान मामलों पर नहीं पड़ेगा असर: मुख्य आर्थिक सलाहकार - मुख्य आर्थिक सलाहकार

मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमणियम ने कहा कि आरबीआई तथा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करेंगे कि जो भी जरूरत है, उसे किया जाए. इसका (आरबीआई के 12 फरवरी के परिपत्र को निरस्त किया जाना) वास्तव में मौजूदा मामलों या समाधान कर्ज संस्कृति पर प्रभाव नहीं पड़ता.

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम।
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Published : Apr 4, 2019, 11:54 PM IST

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने गुरुवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फंसे कर्ज का तीव्र समाधान सुनिश्चित करने के लिये सरकार तथा आरबीआई साथ मिलकर काम करेंगे. उच्चतम न्यायालय के 12 फरवरी 2018 के परिपत्र को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही.

उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई के 12 फरवरी, 2018 के परिपत्र को खारिज करने से समाधान को लेकर मौजूदा मामलों पर प्रभाव नहीं पड़ता है.

उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में सुब्रमणियम ने कहा, "मुझे लगता है कि आरबीआई तथा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करेंगे कि जो भी जरूरत है, उसे किया जाए. इसका (आरबीआई के 12 फरवरी के परिपत्र को निरस्त किया जाना) वास्तव में मौजूदा मामलों या समाधान कर्ज संस्कृति पर प्रभाव नहीं पड़ता."

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक फंसे कर्ज को लेकर जल्दी ही संशोधित परिपत्र लाएगा. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एक साल पुराने केंद्रीय बैंक के परिपत्र को गैर-संवैधानिक बताया। सुब्रमणियम के अनुसार विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ी है.

उन्होंने कहा कि लेकिन यह दिलचस्प है कि भारत में अनिश्चितता कम हुई है. हालांकि एक समय नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण अनिश्चितता बढ़ी थी.
ये भी पढ़ें : रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने गुरुवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फंसे कर्ज का तीव्र समाधान सुनिश्चित करने के लिये सरकार तथा आरबीआई साथ मिलकर काम करेंगे. उच्चतम न्यायालय के 12 फरवरी 2018 के परिपत्र को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही.

उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई के 12 फरवरी, 2018 के परिपत्र को खारिज करने से समाधान को लेकर मौजूदा मामलों पर प्रभाव नहीं पड़ता है.

उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में सुब्रमणियम ने कहा, "मुझे लगता है कि आरबीआई तथा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करेंगे कि जो भी जरूरत है, उसे किया जाए. इसका (आरबीआई के 12 फरवरी के परिपत्र को निरस्त किया जाना) वास्तव में मौजूदा मामलों या समाधान कर्ज संस्कृति पर प्रभाव नहीं पड़ता."

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक फंसे कर्ज को लेकर जल्दी ही संशोधित परिपत्र लाएगा. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एक साल पुराने केंद्रीय बैंक के परिपत्र को गैर-संवैधानिक बताया। सुब्रमणियम के अनुसार विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ी है.

उन्होंने कहा कि लेकिन यह दिलचस्प है कि भारत में अनिश्चितता कम हुई है. हालांकि एक समय नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण अनिश्चितता बढ़ी थी.
ये भी पढ़ें : रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया

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नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने गुरुवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फंसे कर्ज का तीव्र समाधान सुनिश्चित करने के लिये सरकार तथा आरबीआई साथ मिलकर काम करेंगे. उच्चतम न्यायालय के 12 फरवरी 2018 के परिपत्र को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही.

उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई के 12 फरवरी, 2018 के परिपत्र को खारिज करने से समाधान को लेकर मौजूदा मामलों पर प्रभाव नहीं पड़ता है.

उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में सुब्रमणियम ने कहा, "मुझे लगता है कि आरबीआई तथा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये साथ मिलकर काम करेंगे कि जो भी जरूरत है, उसे किया जाए. इसका (आरबीआई के 12 फरवरी के परिपत्र को निरस्त किया जाना) वास्तव में मौजूदा मामलों या समाधान कर्ज संस्कृति पर प्रभाव नहीं पड़ता."

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक फंसे कर्ज को लेकर जल्दी ही संशोधित परिपत्र लाएगा. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एक साल पुराने केंद्रीय बैंक के परिपत्र को गैर-संवैधानिक बताया। सुब्रमणियम के अनुसार विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ी है.

उन्होंने कहा कि लेकिन यह दिलचस्प है कि भारत में अनिश्चितता कम हुई है. हालांकि एक समय नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण अनिश्चितता बढ़ी थी.

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