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पूर्वाचल का कालानमक भी बनेगा बासमती जैसा ब्रांड

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही कालानमक के मुरीद हैं. उनकी पहल पर जनवरी, 2018 में ही इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया गया. हाल में ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सिद्धार्थनगर समेत महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती और संतकबीर नगर का ओडीओपी घोषित कर पूर्वाचल के संबंधित जिलों के लाखों किसानों को सौगात दी है.

पूर्वाचल का कालानमक भी बनेगा बासमती जैसा ब्रांड
पूर्वाचल का कालानमक भी बनेगा बासमती जैसा ब्रांड
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Published : Aug 25, 2020, 3:24 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 5:31 PM IST

गोरखपुर: खुशबू और स्वाद में बेमिसाल, आयरन और जिंक की प्रचुरता के नाते परंपरागत चावल से तुलनात्मक रूप से पौष्टिक, भगवान बुद्ध का प्रसाद और पूर्वाचल की शान कालानमक भी अब हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बासमती धान की तरह देश और दुनिया में ब्रांड बनेगा. यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के प्रयासों से.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही कालानमक के मुरीद हैं. उनकी पहल पर जनवरी, 2018 में ही इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया गया. हाल में ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सिद्धार्थनगर समेत महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती और संतकबीर नगर का ओडीओपी घोषित कर पूर्वाचल के संबंधित जिलों के लाखों किसानों को सौगात दी है.

तय है कि सात अगस्त को हुई इस घोषणा के बाद कालानमक को प्रोत्साहन देने की योजना भी आएगी. इसका लाभ इन जिलों के किसानों को मिलेगा.

अपनी घोषणा में मंत्रालय ने उन प्रजातियों कालानमक-101, केएन-3 और किरन की भी संस्तुति की है जो परंपरागत प्रजाति की तुलना में बौनी, यानी कम समय में अधिक उपज देने वाली हैं.

कालानमक पर लंबे समय से काम कर रहे और इन प्रजातियों को विकसित करने वाले डॉक्टर आर.सी. चौधरी ने बताया कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार कालानमक को उन सभी जिलों बस्ती, संत कबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज का ओडीओपी उत्पाद होता, जिनके लिए इसे जियोग्रैफिकल इंडिकेशन (जीआई) मिला है, पर शुरुआत अच्छी है. प्रदेश के साथ केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने से न केवल रकबा बढ़ेगा, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी.

मालूम हो कि योगी सरकार कालानमक धान को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित करने के साथ ही इसके प्रोत्साहन का काम कर रही है.

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल खुद सिद्धार्थनगर जाकर किसानों, उद्यमियों, स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं. वाराणसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के साथ कालानमक के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार एक मेमोरंडम अफ अंडरस्टैंडिंग पर भी दस्तखत कर चुकी है.

सरकार के प्रयास से कालानमक का रकबा भी बढ़ा है. जिन जिलों के लिए कालानमक को जीआई मिली है, उनमें खरीफ के मौजूदा सीजन में करीब 50 हजार हेक्टेएयर में कालानमक बोया गया है. अकेले 10 हजार हेक्टेयर का रकबा सिद्धार्थनगर में हैं.

ये भी पढ़ें: नीरव मोदी की पत्नी को रेड कार्नर नोटिस

गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती और संत कबीरनगर में इसका रकबा क्रमश: 9000, 8000,5000 और 3000 हेक्टेयर है. अगले छह महीने में प्रदेश सरकार सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी स्थापित करने जा रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इसका ऑनलाइन शिलान्यास भी किया.

नवनीत सहगल के अनुसार, सीएफसी में प्रसंस्करण करने वाली अत्याधुनिक मिल, नमी और तापमान को नियंत्रित करने वाला गोदाम और वैक्यूम पैकेजिंग की सुविधा होगी. इससे कालानमक चावल की बिक्री और निर्यात में करीब 4 गुना और किसानों की आय में 25 से 30 फीसद की वृद्धि होगी. इससे किसानों की संख्या में 30 हजार तक की वृद्धि होगी. प्रदेश के साथ केंद्र से मिलने वाले प्रोत्साहन के कारण यकीन यह संख्या लाखों में हो जाएगी.

प्रवासियों के लिए काम करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम ने खेतीबाड़ी में केंद्र के क्लस्टर एप्रोच की सराहना की. मालूम हो कि संस्था के राष्ट्रीय महासचिव और चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज जायसवाल पहले भी प्रदेश सरकार से कालानमक को महराजगंज का भी ओडीओपी घोषित करने की मांग कर चुकी है.

(आईएएनएस)

गोरखपुर: खुशबू और स्वाद में बेमिसाल, आयरन और जिंक की प्रचुरता के नाते परंपरागत चावल से तुलनात्मक रूप से पौष्टिक, भगवान बुद्ध का प्रसाद और पूर्वाचल की शान कालानमक भी अब हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बासमती धान की तरह देश और दुनिया में ब्रांड बनेगा. यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के प्रयासों से.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही कालानमक के मुरीद हैं. उनकी पहल पर जनवरी, 2018 में ही इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया गया. हाल में ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सिद्धार्थनगर समेत महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती और संतकबीर नगर का ओडीओपी घोषित कर पूर्वाचल के संबंधित जिलों के लाखों किसानों को सौगात दी है.

तय है कि सात अगस्त को हुई इस घोषणा के बाद कालानमक को प्रोत्साहन देने की योजना भी आएगी. इसका लाभ इन जिलों के किसानों को मिलेगा.

अपनी घोषणा में मंत्रालय ने उन प्रजातियों कालानमक-101, केएन-3 और किरन की भी संस्तुति की है जो परंपरागत प्रजाति की तुलना में बौनी, यानी कम समय में अधिक उपज देने वाली हैं.

कालानमक पर लंबे समय से काम कर रहे और इन प्रजातियों को विकसित करने वाले डॉक्टर आर.सी. चौधरी ने बताया कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार कालानमक को उन सभी जिलों बस्ती, संत कबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज का ओडीओपी उत्पाद होता, जिनके लिए इसे जियोग्रैफिकल इंडिकेशन (जीआई) मिला है, पर शुरुआत अच्छी है. प्रदेश के साथ केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने से न केवल रकबा बढ़ेगा, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी.

मालूम हो कि योगी सरकार कालानमक धान को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित करने के साथ ही इसके प्रोत्साहन का काम कर रही है.

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल खुद सिद्धार्थनगर जाकर किसानों, उद्यमियों, स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं. वाराणसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के साथ कालानमक के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार एक मेमोरंडम अफ अंडरस्टैंडिंग पर भी दस्तखत कर चुकी है.

सरकार के प्रयास से कालानमक का रकबा भी बढ़ा है. जिन जिलों के लिए कालानमक को जीआई मिली है, उनमें खरीफ के मौजूदा सीजन में करीब 50 हजार हेक्टेएयर में कालानमक बोया गया है. अकेले 10 हजार हेक्टेयर का रकबा सिद्धार्थनगर में हैं.

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गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती और संत कबीरनगर में इसका रकबा क्रमश: 9000, 8000,5000 और 3000 हेक्टेयर है. अगले छह महीने में प्रदेश सरकार सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी स्थापित करने जा रही है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इसका ऑनलाइन शिलान्यास भी किया.

नवनीत सहगल के अनुसार, सीएफसी में प्रसंस्करण करने वाली अत्याधुनिक मिल, नमी और तापमान को नियंत्रित करने वाला गोदाम और वैक्यूम पैकेजिंग की सुविधा होगी. इससे कालानमक चावल की बिक्री और निर्यात में करीब 4 गुना और किसानों की आय में 25 से 30 फीसद की वृद्धि होगी. इससे किसानों की संख्या में 30 हजार तक की वृद्धि होगी. प्रदेश के साथ केंद्र से मिलने वाले प्रोत्साहन के कारण यकीन यह संख्या लाखों में हो जाएगी.

प्रवासियों के लिए काम करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम ने खेतीबाड़ी में केंद्र के क्लस्टर एप्रोच की सराहना की. मालूम हो कि संस्था के राष्ट्रीय महासचिव और चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज जायसवाल पहले भी प्रदेश सरकार से कालानमक को महराजगंज का भी ओडीओपी घोषित करने की मांग कर चुकी है.

(आईएएनएस)

Last Updated : Aug 25, 2020, 5:31 PM IST
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