नई दिल्ली : मोबाइल सिम कार्ड लेने तथा बैंक खाता खुलवाने में पहचान पत्र के तौर पर आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल को मान्यता देने संबंधी अध्यादेश को शनिवार को जारी कर दिया गया. इससे संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया जिसकी वजह से सरकार को यह अध्यादेश लाना पड़ा.
मंत्रिमंडल ने आधार तथा दो अन्य विधेयकों में प्रस्तावित बदलावों को अमल में लाने के लिये पिछले सप्ताह अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी थी. संशोधन में आधार के इस्तेमाल एवं निजता से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए कड़े दंड का प्रावधान है.
अध्यादेश में किसी व्यक्ति द्वारा प्रमाणन के लिये दी गयी जैविक पहचान की सूचनाएं और आधार संख्या का सेवा प्रदाता द्वारा अपने पास जमा रखने को प्रतिबंधित किया गया है. अध्यादेश के जरिये आधार कानून में यह बदलाव भी किया गया है कि कोई भी बच्चा 18 साल का हो जाने के बाद आधार कार्यक्रम से बाहर निकलने का विकल्प चुन सकता है.
अध्यादेश में यह भी सुनिश्चित हो गया है कि बैंक खाता खोलना हो या मोबाइल फोन सिम कार्ड लेना हो, आधार पेश नहीं करने की स्थिति में किसी भी सेवा से उपभोक्ता को इंकार नहीं किया जा सकता है. इसमें प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले निकायों पर एक करोड़ रुपये तक का आर्थिक जुर्माना तथा अनुपालन नहीं करना जारी रखने की स्थिति में प्रति दिन 10 लाख रुपये के अतिरिक्त जुर्माने का प्रावधान है.
आधार के अवैध इस्तेमाल की स्थिति में तीन साल तक की कैद और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया है. यदि अवैध इस्तेमाल करने वाला निकाय कोई कंपनी हुई तो जुर्माना एक लाख रुपये तक हो सकता है. अध्यादेश के जरिये आधार कानून की धारा 57 को हटा दिया गया है. यह धारा निजी कंपनियों, इकाइयों द्वारा आधार के इस्तेमाल से जुड़ी है.
(भाषा)
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