नई दिल्ली : अमेरिका द्वारा ईरान से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध की हालिया घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि सरकार फैसले के प्रभाव से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार है.
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, "सरकार देश के ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा हितों की रक्षा हेतू सभी संभव तरीकों को खोजने के लिए, सहयोगी देशों और अमेरिका के साथ काम करना जारी रखेगी."
इससे पहले सोमवार को, वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस के प्रतिनिधि ने कहा कि, "ट्रंप ने मई में समाप्त होने वाले महत्वपूर्ण कटौती अपवाद(एसआरई) को फिर से जारी नहीं करने का फैसला किया है. यह निर्णय ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लाने के उद्देश्य से किया है, जो कि ईरान के राजस्व का प्रमुख स्तोत है."
जब नवंबर 2018 में अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए, तो भारत और सात अन्य देशों को छूट दी गई, जो 2 मई को समाप्त होगी.
इससे पहले मंगलवार को, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने मई में अमेरिकी छूट के खत्म होने के बाद कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक आकस्मिक योजना पर काम किया है.
भारत अपनी घरेलू तेल आवश्यकता का लगभग 10 प्रतिशत ईरान से आयात करता है. हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद 2018-2019 में आयात थोड़ा गिर गया, फिर भी यह अभी भी 20 मिलियन टन प्रति वर्ष के करीब है.
ईरान व्यावसायिक रूप से आकर्षक तेल निर्यातक देश है क्योंकि यह भारत को तेल के लिए बेहतर शर्तें प्रदान करता है. साथ ही 60-दिवसीय क्रेडिट अवधि और तेल पर बीमा और छूट प्रदान करता है.
भारत 80 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है, जो मुख्य रूप से सऊदी अरब, इराक, ईरान, वेनेजुएला और कुछ अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों जैसे देशों से प्राप्त होता है. इसने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से तेल आयात करना शुरू कर दिया है, जिसकी मात्रा आने वाले महीनों में बढ़ने की उम्मीद है.
अमेरिका ने पहले ही भारत को तेल निर्यात बढ़ाने और भारतीय कंपनियों को बेहतर बिक्री की पेशकश करने के अपने इरादे का संकेत दिया है.
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