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टमाटर के बाद आलू भी हुआ महंगा, हरी सब्जियों के दाम भी तेज

आलू के थोक दाम में इस महीने चार रुपये प्रति किलो जबकि खुदरा दाम में 10 रुपये प्रति किलो तक का इजाफा हो गया है. खुदरा बाजार में टमाटर पहले से ही 70-80 रुपये किलो बिक रहा है.

टमाटर के बाद आलू भी हुआ महंगा, हरी सब्जियों के दाम भी तेज
टमाटर के बाद आलू भी हुआ महंगा, हरी सब्जियों के दाम भी तेज
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Published : Jul 24, 2020, 11:07 AM IST

नई दिल्ली: टमाटर के बाद अब आलू भी महंगा हो गया है और हरी सब्जियां पहले से ही उंचे दाम पर बिक रही हैं, जिससे कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में मिल रही आर्थिक चुनौतियों के बीच आम उपभोक्ताओं के लिए खाने-पीने की चीजें जुटाना मुश्किल हो रहा है.

आलू के थोक दाम में इस महीने चार रुपये प्रति किलो जबकि खुदरा दाम में 10 रुपये प्रति किलो तक का इजाफा हो गया है. खुदरा बाजार में टमाटर पहले से ही 70-80 रुपये किलो बिक रहा है. घिया, तोरई, भिंडी समेत तमाम हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. लेकिन गौर करने की बात यह है कि सब्जियों की इस महंगाई का फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है. यहां तक कि सब्जी कारोबारियों का भी कहना है कि सब्जियां महंगी होने से उनको नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल के दाम में नहीं हुआ फेरबदल, कच्चे तेल के दाम में तेजी

शैल देवी ग्रेटर नोएडा में ठेली लगाकर सब्जी बेचती हैं उनका कहना है कि थोक मंडी से ही महंगे भाव पर सब्जियां आ रही हैं, इसलिए उनको उंचे दाम पर बेचना पड़ रहा है. शैल देवी कहती हैं कि दाम बढ़ने के बाद लोग हरी सब्जियां भी कम खरीदने लगे हैं जिसके कारण बची हुई सब्जियां खराब हो जाती हैं और उनको नुकसान झेलना पड़ता है.

एक उपभोक्ता ने बताया कि कोरोना काल में काम-काज नहीं होने से लोगों की आमदनी पहले से ही घट गई है, वहां अब सब्जियों के भी दाम बढ़ जाने से रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है.

सब्जियों की महंगाई की दो वजहें बताई जा रही हैं. पहली यह है डीजल की कीमत बढ़ने से मालभाड़ा बढ़ गया है, जिससे सब्जियों की परिवहन लागत ज्यादा होने से दाम में इजाफा हुआ है. आलू और टमाटर की कीमतों में वृद्धि की यह एक बड़ी वजह है.

वहीं, बरसात के कारण सब्जियां ज्यादा खराब होती है जिसका असर कीमतों पर पड़ता है. वहीं, नई फसल अभी तैयार नहीं हुई जबकि पुरानी फसल से सब्जियों की पैदावार कम होने लगी है, जिससे आवक पर भी असर पड़ा है.

ग्रेटर नोएडा के किसान चंद्रपाल ने बताया कि बरसात के सीजन में पुरानी फसल से सब्जियों की पैदावार कम होने लगी है. उन्होंने कहा कि बैगन, लोबिया, कद्दू, घिया, तोरई, भिंडी की कुछ दिन पहले जितनी पैदावार होती थी उतनी अब नहीं हो रही है.

दिल्ली की आजादपुर मंडी में गुरुवार को आलू का थोक भाव आठ रुपये 28 रुपये प्रति किलो था जबकि एक जुलाई को मंडी में आलू का भाव आठ से 22 रुपये प्रति किलो था. प्याज का थोक भाव भी एक जुलाई को जहां 4.50 रुपये-12.50 रुपये प्रति किलो था वहां गुरुवार को बढ़कर छह रुपये से 13.50 रुपये प्रति किलो हो गया.

चैंबर ऑफ आजादपुर फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एम. आर. कृपलानी बताते हैं कि डीजल की कीमतों में वृद्धि होने से सब्जियों और फलों के परिवहन की लागत बढ़ गई है जिसका असर कीमतों में देखा जा रहा है.

दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को हरी सब्जियों के दाम:

  • आलू-30 से 35
  • गोभी-80
  • टमाटर-70-80
  • प्याज-20-30
  • लौकी/घिया-30
  • भिंडी-30-40
  • खीरा-40-50
  • कद्दू-30,बैगन-40
  • शिमला मिर्च-80
  • तोरई-30-40
  • करैला-40-50
  • परवल-70

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: टमाटर के बाद अब आलू भी महंगा हो गया है और हरी सब्जियां पहले से ही उंचे दाम पर बिक रही हैं, जिससे कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में मिल रही आर्थिक चुनौतियों के बीच आम उपभोक्ताओं के लिए खाने-पीने की चीजें जुटाना मुश्किल हो रहा है.

आलू के थोक दाम में इस महीने चार रुपये प्रति किलो जबकि खुदरा दाम में 10 रुपये प्रति किलो तक का इजाफा हो गया है. खुदरा बाजार में टमाटर पहले से ही 70-80 रुपये किलो बिक रहा है. घिया, तोरई, भिंडी समेत तमाम हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. लेकिन गौर करने की बात यह है कि सब्जियों की इस महंगाई का फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है. यहां तक कि सब्जी कारोबारियों का भी कहना है कि सब्जियां महंगी होने से उनको नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल के दाम में नहीं हुआ फेरबदल, कच्चे तेल के दाम में तेजी

शैल देवी ग्रेटर नोएडा में ठेली लगाकर सब्जी बेचती हैं उनका कहना है कि थोक मंडी से ही महंगे भाव पर सब्जियां आ रही हैं, इसलिए उनको उंचे दाम पर बेचना पड़ रहा है. शैल देवी कहती हैं कि दाम बढ़ने के बाद लोग हरी सब्जियां भी कम खरीदने लगे हैं जिसके कारण बची हुई सब्जियां खराब हो जाती हैं और उनको नुकसान झेलना पड़ता है.

एक उपभोक्ता ने बताया कि कोरोना काल में काम-काज नहीं होने से लोगों की आमदनी पहले से ही घट गई है, वहां अब सब्जियों के भी दाम बढ़ जाने से रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है.

सब्जियों की महंगाई की दो वजहें बताई जा रही हैं. पहली यह है डीजल की कीमत बढ़ने से मालभाड़ा बढ़ गया है, जिससे सब्जियों की परिवहन लागत ज्यादा होने से दाम में इजाफा हुआ है. आलू और टमाटर की कीमतों में वृद्धि की यह एक बड़ी वजह है.

वहीं, बरसात के कारण सब्जियां ज्यादा खराब होती है जिसका असर कीमतों पर पड़ता है. वहीं, नई फसल अभी तैयार नहीं हुई जबकि पुरानी फसल से सब्जियों की पैदावार कम होने लगी है, जिससे आवक पर भी असर पड़ा है.

ग्रेटर नोएडा के किसान चंद्रपाल ने बताया कि बरसात के सीजन में पुरानी फसल से सब्जियों की पैदावार कम होने लगी है. उन्होंने कहा कि बैगन, लोबिया, कद्दू, घिया, तोरई, भिंडी की कुछ दिन पहले जितनी पैदावार होती थी उतनी अब नहीं हो रही है.

दिल्ली की आजादपुर मंडी में गुरुवार को आलू का थोक भाव आठ रुपये 28 रुपये प्रति किलो था जबकि एक जुलाई को मंडी में आलू का भाव आठ से 22 रुपये प्रति किलो था. प्याज का थोक भाव भी एक जुलाई को जहां 4.50 रुपये-12.50 रुपये प्रति किलो था वहां गुरुवार को बढ़कर छह रुपये से 13.50 रुपये प्रति किलो हो गया.

चैंबर ऑफ आजादपुर फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एम. आर. कृपलानी बताते हैं कि डीजल की कीमतों में वृद्धि होने से सब्जियों और फलों के परिवहन की लागत बढ़ गई है जिसका असर कीमतों में देखा जा रहा है.

दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को हरी सब्जियों के दाम:

  • आलू-30 से 35
  • गोभी-80
  • टमाटर-70-80
  • प्याज-20-30
  • लौकी/घिया-30
  • भिंडी-30-40
  • खीरा-40-50
  • कद्दू-30,बैगन-40
  • शिमला मिर्च-80
  • तोरई-30-40
  • करैला-40-50
  • परवल-70

(आईएएनएस)

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