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हर दो में से एक भारतीय ने रिश्वत देने की बात स्वीकारी: सर्वेक्षण

इंडिया करप्शन सर्वे 2019 नामक सर्वेक्षण को भारत के 248 जिलों में 1,90,000 लोगों की प्रतिक्रिया मिलीं, जो देश की 20 राज्यों का सर्वेक्षण दिखाता है. इस सर्वेक्षण के अनुसार 51 फीसदी भारतीयो ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत का भुगतान किया है.

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हर दो में से एक भारतीय ने रिश्वत देने की बात स्वीकारी: सर्वेक्षण
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Published : Nov 27, 2019, 10:20 PM IST

नई दिल्ली: भारत में रिश्वतखोरी के मामले में पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी की कमी आई है. फिर भी हर दो में से एक भारतीय ने पिछले 12 महीने में रिश्वत देने की बात स्वीकारी है. हालांकि सार्वजनिक सेवाओं जैसे पासपोर्ट हासिल करने या रेलवे टिकट खरीदने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में कमी आई है.

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स ने देश में देश में घरेलू भ्रष्टाचार के स्तर का पता लगाने के लिए भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 का निष्कर्ष निकाला है. 'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' नामक सर्वेक्षण को भारत के 248 जिलों में 1,90,000 लोगों की प्रतिक्रिया मिलीं, जो देश की 20 राज्यों का सर्वेक्षण दिखाता है. इस सर्वेक्षण के अनुसार 51 फीसदी भारतीयो ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत का भुगतान किया है.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2018 में भारत की रैंकिंग में पिछले साल की तुलना में 3 स्थानों का सुधार हुआ और अब यह 180 देशों में से 78 वें स्थान पर है.

ये भी पढ़ें: निजीकरण की बोली विफल होने पर बंद हो सकती है एयर इंडिया: सरकार

प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 के अनुसार, रिश्वत देना 7 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों है.

सर्वेक्षण में 24 फीसदी नागरिकों ने पिछले एक साल में कई बार रिश्वत देने की बात स्वीकारी है और 27 फीसदी ने कम से कम एक या दो बार रिश्वत दिया है. 16 फीसदी ने कहा कि बिना रिश्वत के काम पूरा कराने में कामयाब रहे हैं और 33 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी.

नई दिल्ली: भारत में रिश्वतखोरी के मामले में पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी की कमी आई है. फिर भी हर दो में से एक भारतीय ने पिछले 12 महीने में रिश्वत देने की बात स्वीकारी है. हालांकि सार्वजनिक सेवाओं जैसे पासपोर्ट हासिल करने या रेलवे टिकट खरीदने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में कमी आई है.

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स ने देश में देश में घरेलू भ्रष्टाचार के स्तर का पता लगाने के लिए भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 का निष्कर्ष निकाला है. 'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' नामक सर्वेक्षण को भारत के 248 जिलों में 1,90,000 लोगों की प्रतिक्रिया मिलीं, जो देश की 20 राज्यों का सर्वेक्षण दिखाता है. इस सर्वेक्षण के अनुसार 51 फीसदी भारतीयो ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत का भुगतान किया है.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2018 में भारत की रैंकिंग में पिछले साल की तुलना में 3 स्थानों का सुधार हुआ और अब यह 180 देशों में से 78 वें स्थान पर है.

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प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 के अनुसार, रिश्वत देना 7 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों है.

सर्वेक्षण में 24 फीसदी नागरिकों ने पिछले एक साल में कई बार रिश्वत देने की बात स्वीकारी है और 27 फीसदी ने कम से कम एक या दो बार रिश्वत दिया है. 16 फीसदी ने कहा कि बिना रिश्वत के काम पूरा कराने में कामयाब रहे हैं और 33 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी.

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नई दिल्ली: भारत में रिश्वतखोरी के मामले में पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी की कमी आई है. फिर भी हर दो में से एक भारतीय ने पिछले 12 महीने में रिश्वत देने की बात स्वीकारी है. हालांकि सार्वजनिक सेवाओं जैसे पासपोर्ट हासिल करने या रेलवे टिकट खरीदने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में कमी आई है.

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्कल्स ने देश में देश में घरेलू भ्रष्टाचार के स्तर का पता लगाने के लिए भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 का निष्कर्ष निकाला है. 'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' नामक सर्वेक्षण को भारत के 248 जिलों में 1,90,000 लोगों की प्रतिक्रिया मिलीं, जो देश की 20 राज्यों का सर्वेक्षण दिखाता है. इस सर्वेक्षण के अनुसार 51 फीसदी भारतीयो ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत का भुगतान किया है.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2018 में भारत की रैंकिंग में पिछले साल की तुलना में 3 स्थानों का सुधार हुआ और अब यह 180 देशों में से 78 वें स्थान पर है.

प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 के अनुसार, रिश्वत देना 7 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों है.

सर्वेक्षण में 24 फीसदी नागरिकों ने पिछले एक साल में कई बार रिश्वत देने की बात स्वीकारी है और 27 फीसदी ने कम से कम एक या दो बार रिश्वत दिया है. 16 फीसदी ने कहा कि बिना रिश्वत के काम पूरा कराने में कामयाब रहे हैं और 33 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी.

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