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अधिक धनी भारतीयों की संख्या 2024 तक 73 फीसदी बढ़ने का अनुमान: रिपोर्ट - अधिक अमीर भारतीय

नाइट फ्रैंक के अध्यक्ष और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, "भारत के यूएचएनआई में वृद्धि 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के साथ अर्थव्यवस्था की वृद्धि की भविष्यवाणी के सात प्रतिशत अंक तक पहुंचने की उम्मीद है. अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी के बावजूद, वैश्विक आर्थिक पंडितों को मजबूत दीर्घकालिक आर्थिक विकास दिखाई देता है."

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अधिक धनी भारतीयों की संख्या 2024 तक 73 फीसदी बढ़ने का अनुमान: रिपोर्ट
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Published : Mar 5, 2020, 9:51 PM IST

मुंबई: बढ़ती भू-राजनीतिक तनाव और धीमी वृद्धि के पूर्वानुमान के बावजूद, 30 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के नेटवर्थ वाले भारतीयों की संख्या में 2024 तक 73 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है.

संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ व्यक्तियों (यूएचएनडब्ल्यूआई) की संख्या 2019 में 5,986 से लगभग दोगुनी होकर 10,354 होने की उम्मीद है.

नाइट फ्रैंक के अध्यक्ष और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, "भारत के यूएचएनआई में वृद्धि 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के साथ अर्थव्यवस्था की वृद्धि की भविष्यवाणी के सात प्रतिशत अंक तक पहुंचने की उम्मीद है. अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी के बावजूद, वैश्विक आर्थिक पंडितों को मजबूत दीर्घकालिक आर्थिक विकास दिखाई देता है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 तक, एशिया यूरोप के बाद दूसरा सबसे बड़ा धनी हब होगा, जिसमें पांच साल का विकास पूर्वानुमान 44 प्रतिशत होगा.

रिपोर्ट में प्रस्तुत शीर्ष 20 देशों में से 6 एशिया में है, जिसमें भारत (73 प्रतिशत विकास) के साथ शीर्ष पर है. इसके बाद पांच यूरोप में हैं, जिसमें स्वीडन (47 प्रतिशत विकास) के साथ नेतृत्व कर रहा है और तीन अफ्रीका में हैं, जिसका नेतृत्व मिस्त्र (66 प्रतिशत विकास) कर रहा है.

नाइट फ्रैंक द्वारा निर्मित वेल्थ साइज़िंग मॉडल से पता चलता है कि एशिया के भीतर, भारत को यूएचएनडब्ल्यूआई में वृद्धि का नेतृत्व करने का अनुमान है, इसके बाद वियतनाम (64 प्रतिशत विकास), चीन (58 प्रतिशत विकास) और इंडोनेशिया (57 प्रतिशत विकास) है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि, इस तरह की वृद्धि के बाद भी, यह उत्तरी अमेरिका की यूएचएनडब्ल्यूआई आबादी के केवल आधे आकार तक पहुंच जाएगा, जो कि इसी अवधि में 22 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है."

ये भी पढ़ें: आरबीआई ने येस बैंक के ग्राहक निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की

बैजल ने आगे कहा कि भारत का आर्थिक लाभ इसका बड़ा और बढ़ता उपभोक्ता आधार है, जो सामान्य धन सृजन में मदद करता है.

उन्होंने कहा, "कुछ समय में यह सामने आया कि भारत आर्थिक विकास की निर्माण पीढ़ी को सीधे सेवाओं की ओर अग्रसर कर रहा है, अब हम देश को वैश्विक निगमों के निर्माण के पक्ष में बढ़ते हुए देख रहे हैं."

रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, नाइट फ्रैंक में अनुसंधान के वैश्विक प्रमुख लियाम बेली ने कहा, "यह देखना रोमांचक है कि भारत और वियतनाम में चीन और मलेशिया में अति धनाढ्य की संख्या के साथ कई अन्य बाजारों में धन की वृद्धि के साथ, पूरे एशिया में धन कैसे विकसित हो रहा है. अगले कुछ वर्षों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह वैश्विक संपत्ति बाजार पर कैसे प्रभाव डालता है."

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक हेडवांड के बावजूद भारत के यूएचएनडब्ल्यूआई के बीच निवेश के लिए इक्विटी सबसे आकर्षक संपत्ति वर्ग है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बढ़ती भू-राजनीतिक तनाव और धीमी वृद्धि के पूर्वानुमान के बावजूद, 30 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के नेटवर्थ वाले भारतीयों की संख्या में 2024 तक 73 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है.

संपत्ति सलाहकार नाइट फ्रैंक के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ व्यक्तियों (यूएचएनडब्ल्यूआई) की संख्या 2019 में 5,986 से लगभग दोगुनी होकर 10,354 होने की उम्मीद है.

नाइट फ्रैंक के अध्यक्ष और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, "भारत के यूएचएनआई में वृद्धि 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के साथ अर्थव्यवस्था की वृद्धि की भविष्यवाणी के सात प्रतिशत अंक तक पहुंचने की उम्मीद है. अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी के बावजूद, वैश्विक आर्थिक पंडितों को मजबूत दीर्घकालिक आर्थिक विकास दिखाई देता है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 तक, एशिया यूरोप के बाद दूसरा सबसे बड़ा धनी हब होगा, जिसमें पांच साल का विकास पूर्वानुमान 44 प्रतिशत होगा.

रिपोर्ट में प्रस्तुत शीर्ष 20 देशों में से 6 एशिया में है, जिसमें भारत (73 प्रतिशत विकास) के साथ शीर्ष पर है. इसके बाद पांच यूरोप में हैं, जिसमें स्वीडन (47 प्रतिशत विकास) के साथ नेतृत्व कर रहा है और तीन अफ्रीका में हैं, जिसका नेतृत्व मिस्त्र (66 प्रतिशत विकास) कर रहा है.

नाइट फ्रैंक द्वारा निर्मित वेल्थ साइज़िंग मॉडल से पता चलता है कि एशिया के भीतर, भारत को यूएचएनडब्ल्यूआई में वृद्धि का नेतृत्व करने का अनुमान है, इसके बाद वियतनाम (64 प्रतिशत विकास), चीन (58 प्रतिशत विकास) और इंडोनेशिया (57 प्रतिशत विकास) है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि, इस तरह की वृद्धि के बाद भी, यह उत्तरी अमेरिका की यूएचएनडब्ल्यूआई आबादी के केवल आधे आकार तक पहुंच जाएगा, जो कि इसी अवधि में 22 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है."

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बैजल ने आगे कहा कि भारत का आर्थिक लाभ इसका बड़ा और बढ़ता उपभोक्ता आधार है, जो सामान्य धन सृजन में मदद करता है.

उन्होंने कहा, "कुछ समय में यह सामने आया कि भारत आर्थिक विकास की निर्माण पीढ़ी को सीधे सेवाओं की ओर अग्रसर कर रहा है, अब हम देश को वैश्विक निगमों के निर्माण के पक्ष में बढ़ते हुए देख रहे हैं."

रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, नाइट फ्रैंक में अनुसंधान के वैश्विक प्रमुख लियाम बेली ने कहा, "यह देखना रोमांचक है कि भारत और वियतनाम में चीन और मलेशिया में अति धनाढ्य की संख्या के साथ कई अन्य बाजारों में धन की वृद्धि के साथ, पूरे एशिया में धन कैसे विकसित हो रहा है. अगले कुछ वर्षों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह वैश्विक संपत्ति बाजार पर कैसे प्रभाव डालता है."

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक हेडवांड के बावजूद भारत के यूएचएनडब्ल्यूआई के बीच निवेश के लिए इक्विटी सबसे आकर्षक संपत्ति वर्ग है.

(पीटीआई-भाषा)

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