नई दिल्ली : सरकारी कंपनी एनटीपीसी और ओएनजीसी ने देश में अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. देश के 7600 किलोमीटर लंबे समुद्र तट को देखते हुए हरित ऊर्जा के इस क्षेत्र में कारोबार की विशााल संभावनाएं दिखती हैं.
पिछले वर्ष मई में एनटीपीसी और ओएनजीसी ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अपने कमद बढ़ाने में एक दूसरे के साथ साहयोग के लिए एक करार किया था. समझौते के अनुसार एनटीपीसी और ओएनजीसी भारत और भारत से बाहर भी अपतटीय पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की संभावनाओं का पता लगाएंगी.
पिछले महीने एनटीपीसी ने 2032 तक नवीकरणीय ऊर्जा की अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लक्ष्य को दो गुना कर 60 गीगावाट (60 हजार मेगावाट) तक कर दिया है. इसे देखते हुए ओएनजीसी के साथ उसके करार का महत्व और बढ़ गया है.
इसके साथ ही एनटीपीसी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के उद्येश्य से अपनी सहायक कंपनी एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड का प्रारंभिक सार्वजनिक शेयर निर्मम (आईपीओ) लाने की अपनी मंशा प्रकट की है. कंपनी को लक्ष्य अनुसार क्षमता हासिल करने के लिए लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी.
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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनटीपीसी के साथ-साथ ओएनजीसी देश में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देना चाहती है, जो स्थलीय पवन-बिजली टर्बाइन की तुलना में अधिक उत्पादक होते है. उसने कहा कि स्थलीय पवन टरबाइन की दक्षता 25 प्रतिशत तक है जबकि अपतटीय पवन 50 से 60 प्रतिशत कुशल हो सकती हैं. यह जो देश में सीमित भूमि और सुरक्षा पहलुओं की दृष्टि से भी श्रेष्ठ विकल्प है.
(पीटीआई-भाषा)