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मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी के नए नियमों पर 11 नवंबर से नहीं होगा अमल - MNP

ट्राई ने कहा कि नयी तारीख जल्द अधिसूचित की जाएगी. ऐसे में मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी अभी मौजूदा नियमों के अनुसार ही होगी. साथ ही इसमें चार से 10 नवंबर के दौरान कोई व्यवधान भी नहीं होगा.

मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी के नए नियमों पर 11 नवंबर से नहीं होगा अमल
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Published : Nov 4, 2019, 10:46 PM IST

नई दिल्ली: मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी (एमएनपी) के संशोधित नियम फिलहाल 11 नवंबर से प्रभावी होने नहीं जा रहे हैं. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने तकनीकी दिक्कतों के चलते इस समयसीमा को आगे के लिये टाल दिया है.

ट्राई ने कहा कि नयी तारीख जल्द अधिसूचित की जाएगी. ऐसे में मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी अभी मौजूदा नियमों के अनुसार ही होगी. साथ ही इसमें चार से 10 नवंबर के दौरान कोई व्यवधान भी नहीं होगा.

ये भी पढ़ें- विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ने से रुपया पांच सप्ताह के उच्च स्तर पर

ट्राई ने कहा कि नयी प्रक्रिया को इस्तेमाल में लाने से पहले ठीक तरह से पड़ताल करना अपरिहार्य है ताकि ग्राहकों को बाद में प्रक्रिया से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं हो.

एमएनपी के नियम संशोधित करने का मकसद पूरी प्रक्रिया को आसान और तेज करना है. नए नियमों के तहत एक ही सर्किल में नंबर एमएनपी कराने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की गयी है. पहले यह समय सीमा सात दिन थी.

नियामक ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमनों में इन ताजा बदलावों को दिसंबर 2018 में जारी किया था. इन नियमनों और उसके बाद जारी अधिसूचनाओं के मुताबिक एमएनपी की संशोधित प्रक्रिया को 11 नवंबर से अमल में आना था.

बहरहाल, ट्राई ने कहा, "यह महसूस किया गया कि जो समयसीमा बताई गई है दूरसंचार आपरेटरों और एमएनपी सेवा प्रदाताओं के स्तर पर कुछ तकनीकी मुद्दों को देखते हुये उसका पालन नहीं किया जा सकता है." इस लिहाज से दूरसंचार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (सातवां संशोधन) नियमन 2018 के क्रियान्वयन को आगे के लिये टालने की जरूरत है.

नई दिल्ली: मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी (एमएनपी) के संशोधित नियम फिलहाल 11 नवंबर से प्रभावी होने नहीं जा रहे हैं. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने तकनीकी दिक्कतों के चलते इस समयसीमा को आगे के लिये टाल दिया है.

ट्राई ने कहा कि नयी तारीख जल्द अधिसूचित की जाएगी. ऐसे में मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी अभी मौजूदा नियमों के अनुसार ही होगी. साथ ही इसमें चार से 10 नवंबर के दौरान कोई व्यवधान भी नहीं होगा.

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ट्राई ने कहा कि नयी प्रक्रिया को इस्तेमाल में लाने से पहले ठीक तरह से पड़ताल करना अपरिहार्य है ताकि ग्राहकों को बाद में प्रक्रिया से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं हो.

एमएनपी के नियम संशोधित करने का मकसद पूरी प्रक्रिया को आसान और तेज करना है. नए नियमों के तहत एक ही सर्किल में नंबर एमएनपी कराने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की गयी है. पहले यह समय सीमा सात दिन थी.

नियामक ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमनों में इन ताजा बदलावों को दिसंबर 2018 में जारी किया था. इन नियमनों और उसके बाद जारी अधिसूचनाओं के मुताबिक एमएनपी की संशोधित प्रक्रिया को 11 नवंबर से अमल में आना था.

बहरहाल, ट्राई ने कहा, "यह महसूस किया गया कि जो समयसीमा बताई गई है दूरसंचार आपरेटरों और एमएनपी सेवा प्रदाताओं के स्तर पर कुछ तकनीकी मुद्दों को देखते हुये उसका पालन नहीं किया जा सकता है." इस लिहाज से दूरसंचार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (सातवां संशोधन) नियमन 2018 के क्रियान्वयन को आगे के लिये टालने की जरूरत है.

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नई दिल्ली: मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी (एमएनपी) के संशोधित नियम फिलहाल 11 नवंबर से प्रभावी होने नहीं जा रहे हैं. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने तकनीकी दिक्कतों के चलते इस समयसीमा को आगे के लिये टाल दिया है.

ट्राई ने कहा कि नयी तारीख जल्द अधिसूचित की जाएगी. ऐसे में मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी अभी मौजूदा नियमों के अनुसार ही होगी. साथ ही इसमें चार से 10 नवंबर के दौरान कोई व्यवधान भी नहीं होगा.

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ट्राई ने कहा कि नयी प्रक्रिया को इस्तेमाल में लाने से पहले ठीक तरह से पड़ताल करना अपरिहार्य है ताकि ग्राहकों को बाद में प्रक्रिया से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं हो.

एमएनपी के नियम संशोधित करने का मकसद पूरी प्रक्रिया को आसान और तेज करना है. नए नियमों के तहत एक ही सर्किल में नंबर एमएनपी कराने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की गयी है. पहले यह समय सीमा सात दिन थी.

नियामक ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमनों में इन ताजा बदलावों को दिसंबर 2018 में जारी किया था. इन नियमनों और उसके बाद जारी अधिसूचनाओं के मुताबिक एमएनपी की संशोधित प्रक्रिया को 11 नवंबर से अमल में आना था. 

बहरहाल, ट्राई ने कहा, "यह महसूस किया गया कि जो समयसीमा बताई गई है दूरसंचार आपरेटरों और एमएनपी सेवा प्रदाताओं के स्तर पर कुछ तकनीकी मुद्दों को देखते हुये उसका पालन नहीं किया जा सकता है." इस लिहाज से दूरसंचार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (सातवां संशोधन) नियमन 2018 के क्रियान्वयन को आगे के लिये टालने की जरूरत है.


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