चित्रदुर्गा (कर्नाटक) : यदि व्यक्ति में कुछ करने का जज्बा और विषम परिस्थितियों से भी लड़ने का हौसला हो तो, शारीरिक असमर्थता भी उसके रास्ते रोक नहीं सकते हैं. ऐसा ही कुछ हीरियूर तालुक के सोराप्पनहट्टी गांव के शारीरिक रूप से दिव्यांग बालन्ना ने कर दिखाया. दिव्यांग बालन्ना विभिन्न फसलों की खेती करके आज एक सफल उद्यमी बन गए हैं.
एक गरीब परिवार में जन्मे बालन्ना ने फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हुए एक दिन पैरों पर वजनदार बैग गिरने से 15 साल पहले अपने दोनों पैर खो दिए थे. बाद में फैक्ट्री से मिले मुआवजे की राशि को उन्होंने अपने पिता की एक एकड़ जमीन पर खेती में लगाया.
अपनी जमीन पर उन्होंने बोरवेल से ड्रिल कर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया. अपने कठिन प्रयास से एक साल के भीतर ही उन्होंने ककड़ी, मिर्च, फिंगर बाजरा और अन्य सब्जियों में अच्छी उपज प्राप्त की. कृषि के साथ-साथ उन्होंने बकरी पालन भी किया, जिससे उन्हें लाखों कमाया.
बालन्ना के खेतों में अच्छी फसल देखकर ग्रामीण उनसे खेती और उर्वरक के बारे में सुझाव भी लेना शुरू कर दिया है.
दिव्यांग होने के बावजूद बालन्ना खुद खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं. अपनी पत्नी और बेटों की मदद से बालन्ना अपनी तीन पहिया साइकिल से खेत में आते हैं. वो खरपतवार निकालने, पानी डालने और फसलों को उर्वरकों आदि देने का काम भी स्वयं करते हैं.
खेती में अच्छी कमाई कर रहे बालन्ना अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने की इच्छा रखते हैं.
शारीरिक रूप से सक्षम लोग भी अपने आलस्य से कोई काम न करके चुपचाप बैठ जाते हैं, लेकिन शारीरिक रूप से अक्षम बालन्ना ने अपने जीवन को एक चुनौती के रूप में लिया और कृषि करके जीवन में सफल हुए.
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