ETV Bharat / business

प्रधानमंत्री मोदी ने सीतारमण के साथ मिल कर की अर्थव्यवस्था की समीक्षा - निर्मला सीतारमण

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से संबोधन के बाद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति पर वित्त मंत्री के साथ यह विचार मंथन किया. इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने सीतारमण के साथ मिल कर की अर्थव्यवस्था की समीक्षा
author img

By

Published : Aug 15, 2019, 4:58 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 2:49 AM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिल कर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है जबकि सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे निवेशकों की सम्पत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है.

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से संबोधन के बाद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति पर वित्त मंत्री के साथ यह विचार मंथन किया. इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.

सूत्रों ने कहा कि यह बैठक में वर्तमान आर्थिक नरमी की प्रकृति तथा इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार किया गया गया. इस समय यह उम्मीद लगायी जा रही है कि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों के लिए कुछ खास प्रोत्साहन-उपाय घोषित कर सकती है.

ये भी पढ़ें: जुलाई में निर्यात 2.25 फीसदी बढ़ा, आयात 10 फीसदी घटा

इस बैठक के बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं आया. गौरतलब है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि घट कर 6.8 प्रतिशत पर आ गयी थी. यह 2014-15 के बाद की न्यूनतम दर है. इस समय उपभोक्ताओं के विश्वास का स्तर गिर रहा है और विदेशी निवेश भी एक ऊंचाई पर पहुंच कर ठहर गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि अनुमान को 7.0 प्रतिशत से घटा कर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है. केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में इस साल 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है ताकि आर्थिक वृद्धि को तेज करने प्रयासों में मदद मिले. सरकार ने सरकारी बैंकों की कर्ज देने की स्थिति सुधारने के लिए चालू वित्त वर्ष में उन्हें 70000 करोड़ रुपये का इक्विटी पैकेज देने की घोषणा की है.

बैंकों में एनपीए की स्थिति अब नियंत्रण में लगती है. लेकिन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट अब भी बना हुआ है जिससे उपभोक्ता सामान और आवास के लिए कर्ज की सुविधा प्रभावित हुई है. केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी कंपनियों के लिए धन का प्रवाह बढ़ाने के हाल में कुछ अतिरिक्त उपाय किए हैं.

वित्त मंत्री सीतारण ने भी एनबीएफसी के अच्छी साख वाले पूल किए गए ऋणों (सम्पत्तियों) को खरीदने वाले सरकारी बैंकों को अल्प अवधि में इस तरह के निवेश पर प्रथम 10 प्रतिशत हानि के लिए गारंटी देने की योजना बजट में पेश की थी. उसके दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं. रोजगार और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण वाहन, वाहन कल पुर्जा क्षेत्र इस समय दो दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

आवास, गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, पूंजीगत सामान क्षेत्र, रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योग में भी मांग में गिरावट है. अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित हुआ. बजट में सालाना 2 करोड़ रुपये से ऊपर की कमाई करने वाले धनाढ्यों पर कर अधिभार बढ़ाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का एक वर्ग आहत है.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिल कर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है जबकि सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे निवेशकों की सम्पत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है.

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से संबोधन के बाद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति पर वित्त मंत्री के साथ यह विचार मंथन किया. इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.

सूत्रों ने कहा कि यह बैठक में वर्तमान आर्थिक नरमी की प्रकृति तथा इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार किया गया गया. इस समय यह उम्मीद लगायी जा रही है कि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों के लिए कुछ खास प्रोत्साहन-उपाय घोषित कर सकती है.

ये भी पढ़ें: जुलाई में निर्यात 2.25 फीसदी बढ़ा, आयात 10 फीसदी घटा

इस बैठक के बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं आया. गौरतलब है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि घट कर 6.8 प्रतिशत पर आ गयी थी. यह 2014-15 के बाद की न्यूनतम दर है. इस समय उपभोक्ताओं के विश्वास का स्तर गिर रहा है और विदेशी निवेश भी एक ऊंचाई पर पहुंच कर ठहर गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि अनुमान को 7.0 प्रतिशत से घटा कर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है. केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में इस साल 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है ताकि आर्थिक वृद्धि को तेज करने प्रयासों में मदद मिले. सरकार ने सरकारी बैंकों की कर्ज देने की स्थिति सुधारने के लिए चालू वित्त वर्ष में उन्हें 70000 करोड़ रुपये का इक्विटी पैकेज देने की घोषणा की है.

बैंकों में एनपीए की स्थिति अब नियंत्रण में लगती है. लेकिन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट अब भी बना हुआ है जिससे उपभोक्ता सामान और आवास के लिए कर्ज की सुविधा प्रभावित हुई है. केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी कंपनियों के लिए धन का प्रवाह बढ़ाने के हाल में कुछ अतिरिक्त उपाय किए हैं.

वित्त मंत्री सीतारण ने भी एनबीएफसी के अच्छी साख वाले पूल किए गए ऋणों (सम्पत्तियों) को खरीदने वाले सरकारी बैंकों को अल्प अवधि में इस तरह के निवेश पर प्रथम 10 प्रतिशत हानि के लिए गारंटी देने की योजना बजट में पेश की थी. उसके दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं. रोजगार और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण वाहन, वाहन कल पुर्जा क्षेत्र इस समय दो दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

आवास, गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, पूंजीगत सामान क्षेत्र, रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योग में भी मांग में गिरावट है. अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित हुआ. बजट में सालाना 2 करोड़ रुपये से ऊपर की कमाई करने वाले धनाढ्यों पर कर अधिभार बढ़ाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का एक वर्ग आहत है.

Intro:Body:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिल कर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है जबकि सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे निवेशकों की सम्पत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है.

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से संबोधन के बाद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति पर वित्त मंत्री के साथ यह विचार मंथन किया. इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.

सूत्रों ने कहा कि यह बैठक में वर्तमान आर्थिक नरमी की प्रकृति तथा इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार किया गया गया. इस समय यह उम्मीद लगायी जा रही है कि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों के लिए कुछ खास प्रोत्साहन-उपाय घोषित कर सकती है.

इस बैठक के बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं आया. गौरतलब है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि घट कर 6.8 प्रतिशत पर आ गयी थी. यह 2014-15 के बाद की न्यूनतम दर है. इस समय उपभोक्ताओं के विश्वास का स्तर गिर रहा है और विदेशी निवेश भी एक ऊंचाई पर पहुंच कर ठहर गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि अनुमान को 7.0 प्रतिशत से घटा कर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है. केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में इस साल 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है ताकि आर्थिक वृद्धि को तेज करने प्रयासों में मदद मिले. सरकार ने सरकारी बैंकों की कर्ज देने की स्थिति सुधारने के लिए चालू वित्त वर्ष में उन्हें 70000 करोड़ रुपये का इक्विटी पैकेज देने की घोषणा की है.

बैंकों में एनपीए की स्थिति अब नियंत्रण में लगती है. लेकिन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट अब भी बना हुआ है जिससे उपभोक्ता सामान और आवास के लिए कर्ज की सुविधा प्रभावित हुई है. केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी कंपनियों के लिए धन का प्रवाह बढ़ाने के हाल में कुछ अतिरिक्त उपाय किए हैं.

वित्त मंत्री सीतारण ने भी एनबीएफसी के अच्छी साख वाले पूल किए गए ऋणों (सम्पत्तियों) को खरीदने वाले सरकारी बैंकों को अल्प अवधि में इस तरह के निवेश पर प्रथम 10 प्रतिशत हानि के लिए गारंटी देने की योजना बजट में पेश की थी. उसके दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं. रोजगार और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण वाहन, वाहन कल पुर्जा क्षेत्र इस समय दो दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

आवास, गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, पूंजीगत सामान क्षेत्र, रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योग में भी मांग में गिरावट है. अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित हुआ. बजट में सालाना 2 करोड़ रुपये से ऊपर की कमाई करने वाले धनाढ्यों पर कर अधिभार बढ़ाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का एक वर्ग आहत है.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
Last Updated : Sep 27, 2019, 2:49 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.