नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि यदि किसी कंपनी का कोई कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित पाया जाता है, तो उस फर्म के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी. इसके अलावा किसी कर्मचारी के वायरस संक्रमित पाए जाने पर कारखाने को भी सील नहीं किया जाएगा.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि दिशानिर्देशों की गलत व्याख्या के जरिये मीडिया और विनिर्माण इकाइयों वाली कंपनियों ने कुछ गलत धारणा बनाई है.
पत्र में गृह सचिव ने तीन गलत धारणाओं का जिक्र किया है. पहली यह कि यदि कारखाने में कोई कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित पाया जाता है, तो राज्य कानूनी कार्रवाई करेंगे और सीईओ को जेल भी हो सकती है. दूसरी यह है कि ऐसी स्थिति में कारखाने को तीन माह के लिए सील कर दिया जाएगा. तीसरी यह कि ऐहतियाती उपायों का अनुपालन नहीं करने पर कारखाने को दो दिन के लिए बंद कर दिया जाएगा. अनुपालन पूरा होने के कारखाने के पुन: परिचालन की अनुमति होगी.
भल्ला ने पत्र में कहा है, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि समेकित संशोधित दिशानिर्देशों में इस तरह कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में इस तरह की धारणा का कोई आधार नहीं है."
समेकित संशोधित दिशानिर्देश 15 अप्रैल को जारी किए गए थे. इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी. मोदी ने यह भी कहा था कि 20 अप्रैल के बाद कुछ इलाकों में कुछ औद्योगिक गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी.
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दिशानिर्देशों में इस तरह की छूट वाली गतिविधियों और उससे जुड़े नियमों और शर्तों का उल्लेख था. निर्यातकों सहित उद्योग के कुछ हलकों से दिशानिर्देशों में दंड के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताई थी. उनका कहना था कि इससे अधिकारी उद्योगों को परेशान कर सकते हैं. ऐसे में विनिर्माण इकाइयां न्यूनतम श्रमबल के साथ भी परिचालन शुरू करने से हिचकिचाएंगी.
केंद्रीय गृह सचिव ने उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद महापात्र के साथ उद्योग संघों से बातचीत कर दिशानिर्देशों को लेकर उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया. उसके कुछ घंटों बाद गृह सचिव ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को यह पत्र लिखा है.
(पीटीआई-भाषा)