नई दिल्ली: कोरोना के कहर से निजात पाने के प्रभावी उपाय के तौर पर देशभर में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन में खाने-पीने की वस्तुओं समेत आवश्यक चीजों की आपूर्ति व सेवाएं दुरूस्त रखने की दिशा में सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आटा, दाल, बेसन, और खाने के तेल के दाम के सप्लाई बाधित होने से इनकी कीमतों में इजाफा हो गया है.
गेहूं के आटे का भाव बीते एक सप्ताह में पांच रुपये किलो बढ़ गया है जबकि बेसन के दाम में 10-12 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है. खाने के तेल के दाम में पांच रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है.
किराना सामाना के खुदरा एवं थोक कारोबारियों ने बताया कि फैक्टरियों व वितरकों की तरफ से सप्लाई कम हो रही है. दिल्ली के शाहदरा इलाके के थोक कारोबारी सुशील कुमार ने बताया कि आटा और बेसन की सप्लाई मिलों से कम हो रही है और जो कुछ सप्लाई हो रही है वह ऊंचे भाव पर आ रही है.
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कुमार ने बताया कि आटे की 50 किलो की बोरी जो पहले 1,150 रुपये में आती थी उसकी कीमत पर अब 1,400 रुपये हो गई है. इसी प्रकार एक खास ब्रांड के बेसन की 35 किलो की बोरी जो पहले 1,970 रुपये में आती थी उसकी कीमत अब 2400 रुपये हो गई है.
मंडावली के एक किराना कारोबारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा कि ब्रांडेड कंपनियों के पैकेट में बिकने वाली खाद्य वस्तुओं की सप्लाई काफी कम हो गई है क्योंकि वितरक बताते हैं कि स्टॉक खाली हैं.
उन्होंने बताया कि बिस्कुट, नमकीन, सूजी, दलिया, मैदा व अन्य पैकेट वाली वस्तुएं जो मिल भी रही हैं उनके लिए अनाप-शनाप रेट मांग रहे हैं, इसलिए वह ऐसे सामान सीमित मात्रा में लाते हैं. ग्रेटर नोएडा के एक किराना स्टोर वाले ने बताया कि उनकी दुकान में ब्रांडेड आटे की मांग ज्यादा रहती है, लेकिन वितरक को वह फोन करके थक चुके हैं वह उठाते ही नहीं हैं.
आटा मिल वालों ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद परिवहन व मजदूर की कमी की समस्या को लेकर गेहूं की सप्लाई बाधित होने से मिलों में आटे का उत्पादन कम हो गया. हालांकि आटा मिलों से जुड़े संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की जनरल सेक्रेटरी वीणा शर्मा ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से गेहूं की आपूर्ति होने से मिलों को गेहूं की किल्लत नहीं रहेगी.
खाद्य तेल की किल्लत को लेकर पूछे गए सवाल पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि तीन सप्ताह के लॉकडाउन से खाने के तेल की किल्लत पैदा नहीं हो सकती है क्योंकि देश में खाद्य तेल के दो महीने की खपत का स्टॉक हमेशा बना रहता है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समस्या लॉजिस्टिक्स की है जो धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी. तेल के दाम में वृद्धि को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि एमआरपी से ऊंचे दाम पर कोई तेल नहीं बेच सकता है और अगर कोई एमआरपी से ऊंचे भाव पर कोई सामान बेचेगा तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी.
ऑल इंडिया दाल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल मिलों में कठिनाई अभी तक दूर नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि सरकार की अनुमति के बाद मिलों में दलहनों की सप्लाई होने से जल्द ही काम शुरू हो जाएगा जिसके बाद दाल और बेसन की दिक्कत नहीं रहेगी.
(आईएएनएस)