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किस्तों के भुगतान से राहत की अवधि में ब्याज माफ करने के पक्ष में नहीं हैं उदय कोटक

कोटक ने कहा कि यह एक ऐसी असमानता की स्थिति हो जायेगी, जिसमें बैंक जमा राशि पर जमाकर्ताओं को ब्याज देंगे लेकिन उन्हें कर्ज के एवज में ब्याज नहीं मिलेगा.

किस्तों के भुगतान से राहत की अवधि में ब्याज माफ करने के पक्ष में नहीं हैं उदय कोटक
किस्तों के भुगतान से राहत की अवधि में ब्याज माफ करने के पक्ष में नहीं हैं उदय कोटक
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Published : Jun 4, 2020, 11:06 PM IST

नई दिल्ली: सीआईआई के अध्यक्ष और बैंकिंग क्षेत्र के कारोबारी उदय कोटक ने कर्ज की किस्तों के भुगतान से राहत (मोरेटोरियम) की अवधि के दौरान ब्याज माफ किये जाने का बृहस्पतिवार को विरोध किया.

कोटक ने कहा कि यह एक ऐसी असमानता की स्थिति हो जायेगी, जिसमें बैंक जमा राशि पर जमाकर्ताओं को ब्याज देंगे लेकिन उन्हें कर्ज के एवज में ब्याज नहीं मिलेगा.

कोटक ने सीआईआई का अध्यक्ष बनने के बाद पहले संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पूछे जाने पर यह टिप्पणी की. इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक मामला लंबित है.

कोटक ने कहा, "...बैंक जमाकर्ताओं और कर्जदारों के बीच मध्यस्थ होते हैं. इसलिये, हमारे पास (बैंकों के पास) ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है जहां कर्जदारों को तो छूट मिले लेकिन बैंकों के ऊपर जमाकर्ताओं के मूलधन और ब्याज दोनों की जिम्मेदारी हो. अत: हमारे पास ऐसी एकतरफा व्यवस्था नहीं हो सकती है, जिसमें हम कर्ज लेने वाले पक्ष को ब्याज से भी छूट दे सकें."

ये भी पढ़ें: केंद्र ने राज्यों को जीएसटी मुआवजे के रूप में जारी किया 36,400 करोड़ रुपये

उन्होंने कहा कि कर्ज के ब्याज से राहत मांगने वालों को जमाकर्ताओं के हितों का भी ध्यान रखना चाहिये.

उन्होंने कहा, "यह एक असमान स्थिति नहीं हो सकती है... इस बारे में मत सोचिये कि मैं जो उधार लेता हूं, उस पर ब्याज से छूट मिले, लेकिन मुझे जमा पर पूरा ब्याज मिलना चाहिये."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सीआईआई के अध्यक्ष और बैंकिंग क्षेत्र के कारोबारी उदय कोटक ने कर्ज की किस्तों के भुगतान से राहत (मोरेटोरियम) की अवधि के दौरान ब्याज माफ किये जाने का बृहस्पतिवार को विरोध किया.

कोटक ने कहा कि यह एक ऐसी असमानता की स्थिति हो जायेगी, जिसमें बैंक जमा राशि पर जमाकर्ताओं को ब्याज देंगे लेकिन उन्हें कर्ज के एवज में ब्याज नहीं मिलेगा.

कोटक ने सीआईआई का अध्यक्ष बनने के बाद पहले संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पूछे जाने पर यह टिप्पणी की. इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक मामला लंबित है.

कोटक ने कहा, "...बैंक जमाकर्ताओं और कर्जदारों के बीच मध्यस्थ होते हैं. इसलिये, हमारे पास (बैंकों के पास) ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है जहां कर्जदारों को तो छूट मिले लेकिन बैंकों के ऊपर जमाकर्ताओं के मूलधन और ब्याज दोनों की जिम्मेदारी हो. अत: हमारे पास ऐसी एकतरफा व्यवस्था नहीं हो सकती है, जिसमें हम कर्ज लेने वाले पक्ष को ब्याज से भी छूट दे सकें."

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उन्होंने कहा कि कर्ज के ब्याज से राहत मांगने वालों को जमाकर्ताओं के हितों का भी ध्यान रखना चाहिये.

उन्होंने कहा, "यह एक असमान स्थिति नहीं हो सकती है... इस बारे में मत सोचिये कि मैं जो उधार लेता हूं, उस पर ब्याज से छूट मिले, लेकिन मुझे जमा पर पूरा ब्याज मिलना चाहिये."

(पीटीआई-भाषा)

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