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भारतीय लिपियों में जल्द बुक हो सकेंगी वेबसाइट, इंटरनेट सर्वर के जून तक तैयार होने की उम्मीद

शुरुआत में जिन भारतीय लिपियों को इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के रूट सर्वरों में फीड किया जाएगा, उनमें बंगाली, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं.

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Published : Apr 1, 2019, 7:57 PM IST

नई दिल्ली : अब जल्द ही आप अपनी वेबसाइट का पूरा नाम नौ भारतीय लिपियों में पंजीकृत करा सकेंगे. इसके लिए इंटरनेट सर्वरों के जून तक तैयार होने की उम्मीद है. फिलहाल अंग्रेजी के अलावा मैंडरिन, अरबी, रूसी, देवनागरी आदि लिपियों में वेबसाइट के नाम बुक किए जा सकते हैं.

हालांकि टॉप लेवल डोमेन (टीएलडी) रूट सर्वर द्वारा दिए गए कुछ खास करेक्टरों में ही बुक किए जा सकेंगे. उदाहरण के लिए कॉम, जीओवी.इन आदि. अभी वेबसाइट के नाम केवल देवनागरी लिपि में ही बुक किया जा सकता है और एक्सटेंशन के रूप में सिर्फ 'डॉट भारत' ही उपलब्ध है.

शुरुआत में जिन भारतीय लिपियों को इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के रूट सर्वरों में फीड किया जाएगा, उनमें बंगाली, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं.

यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीरिंग ग्रुप (यूएएसजी) के चेयरमैन अजय डेटा ने पीटीआई-भाषा को बताया, "भारत में इस्तेमाल होने वाली नौ भाषायी लिपियों के लिए लेबल जेनरेशन रूल्स (एलजीआर) के तिमाही के भीतर अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है और जून तक इसे आईसीएएनएन के रूट सर्वरों में फीड कर दिया जाएगा."

उन्होंने कहा, "जिससे रूट सर्वर में मौजूद एलजीआर भारतीय लिपि में लिखे वर्णों की पहचान कर सकेगा. इससे लोग अपनी पसंद के अनुसार वेबसाइट का पूरा नाम चुन सकेंगे." उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए नई लिपियों की जरूरत है. यह लोग सिर्फ अपनी स्थानीय भाषा को समझ , पढ़ और लिख सकते हैं.
ये भी पढ़ें : सरकार ने पैन के साथ आधार जोड़ने की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ाई

नई दिल्ली : अब जल्द ही आप अपनी वेबसाइट का पूरा नाम नौ भारतीय लिपियों में पंजीकृत करा सकेंगे. इसके लिए इंटरनेट सर्वरों के जून तक तैयार होने की उम्मीद है. फिलहाल अंग्रेजी के अलावा मैंडरिन, अरबी, रूसी, देवनागरी आदि लिपियों में वेबसाइट के नाम बुक किए जा सकते हैं.

हालांकि टॉप लेवल डोमेन (टीएलडी) रूट सर्वर द्वारा दिए गए कुछ खास करेक्टरों में ही बुक किए जा सकेंगे. उदाहरण के लिए कॉम, जीओवी.इन आदि. अभी वेबसाइट के नाम केवल देवनागरी लिपि में ही बुक किया जा सकता है और एक्सटेंशन के रूप में सिर्फ 'डॉट भारत' ही उपलब्ध है.

शुरुआत में जिन भारतीय लिपियों को इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के रूट सर्वरों में फीड किया जाएगा, उनमें बंगाली, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं.

यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीरिंग ग्रुप (यूएएसजी) के चेयरमैन अजय डेटा ने पीटीआई-भाषा को बताया, "भारत में इस्तेमाल होने वाली नौ भाषायी लिपियों के लिए लेबल जेनरेशन रूल्स (एलजीआर) के तिमाही के भीतर अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है और जून तक इसे आईसीएएनएन के रूट सर्वरों में फीड कर दिया जाएगा."

उन्होंने कहा, "जिससे रूट सर्वर में मौजूद एलजीआर भारतीय लिपि में लिखे वर्णों की पहचान कर सकेगा. इससे लोग अपनी पसंद के अनुसार वेबसाइट का पूरा नाम चुन सकेंगे." उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए नई लिपियों की जरूरत है. यह लोग सिर्फ अपनी स्थानीय भाषा को समझ , पढ़ और लिख सकते हैं.
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नई दिल्ली : अब जल्द ही आप अपनी वेबसाइट का पूरा नाम नौ भारतीय लिपियों में पंजीकृत करा सकेंगे. इसके लिए इंटरनेट सर्वरों के जून तक तैयार होने की उम्मीद है. फिलहाल अंग्रेजी के अलावा मैंडरिन, अरबी, रूसी, देवनागरी आदि लिपियों में वेबसाइट के नाम बुक किए जा सकते हैं.  

हालांकि टॉप लेवल डोमेन (टीएलडी) रूट सर्वर द्वारा दिए गए कुछ खास करेक्टरों में ही बुक किए जा सकेंगे. उदाहरण के लिए कॉम, जीओवी.इन आदि. अभी वेबसाइट के नाम केवल देवनागरी लिपि में ही बुक किया जा सकता है और एक्सटेंशन के रूप में सिर्फ 'डॉट भारत' ही उपलब्ध है.

शुरुआत में जिन भारतीय लिपियों को इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के रूट सर्वरों में फीड किया जाएगा, उनमें बंगाली, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं.

यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीरिंग ग्रुप (यूएएसजी) के चेयरमैन अजय डेटा ने पीटीआई-भाषा को बताया, "भारत में इस्तेमाल होने वाली नौ भाषायी लिपियों के लिए लेबल जेनरेशन रूल्स (एलजीआर) के तिमाही के भीतर अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है और जून तक इसे आईसीएएनएन के रूट सर्वरों में फीड कर दिया जाएगा."

उन्होंने कहा, "जिससे रूट सर्वर में मौजूद एलजीआर भारतीय लिपि में लिखे वर्णों की पहचान कर सकेगा. इससे लोग अपनी पसंद के अनुसार वेबसाइट का पूरा नाम चुन सकेंगे." उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए नई लिपियों की जरूरत है. यह लोग सिर्फ अपनी स्थानीय भाषा को समझ , पढ़ और लिख सकते हैं.

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