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भारत और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर समझौता

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गयी देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का स्वत: आदान प्रदान कर सकेंगे.

भारत और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर समझौता
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Published : Mar 27, 2019, 11:59 PM IST

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए रिपोर्ट आदान-प्रदान को लेकर समझौता किया है. दोनों देशों ने बुधवार को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अलग अलग देशों में आय आवंटन तथा कर भुगतान से जुड़ी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर अंतर सरकारी समझौता किया. इसका मकसद सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है.

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गयी देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का स्वत: आदान प्रदान कर सकेंगे. यह एक जनवरी 2016 या उसके बाद के वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा. इससे अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय अनुषंगी इकाइयों द्वारा सीबीसी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी.

ये भी पढ़ें-मोदी की पेंटिंग्स की नीलामी से आयकर विभाग को मिले करीब 55 करोड़ रूपये

इससे संबंधित इकाइयों पर अनुपालन बोझ कम होगा. समझौते पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पी सी मोदी और भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने दस्तखत किये. भारत सीबीसी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर पहले ही बहुपक्षीय योग्य प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर हस्ताक्षर कर चुका है. इससे 62 क्षेत्रों के साथ रिपोर्ट का आदान-प्रदान हो सकेगा.

बहुराष्ट्रीय कंपनी की मूल इकाई को उस क्षेत्र में निर्धारित प्राधिकरण के पास सीबीसी रिपोर्ट जमा करनी होती है, जहां की वह निवासी है. विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओईसीडी / जी20 बीईपीएस (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) परियोजना की कार्रवाई 2013 रिपोर्ट के तहत न्यूनतम मानदंड हैं जिसकी जरूरत होती है.

सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की देश-दर-देश सूचना होती है. इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आय के वैश्विक आबंटन, कर भुगतान तथा कुछ अन्य संकेतकों के बारे में जानकारी होती है. इसमें समूह की सभी कंपनियों की सूची होती है जो क्षेत्र विशेष में परिचालन करती हैं और इन सभी इकाइयों की मुख्य व्यापार गतिविधियों की प्रवृत्ति का भी जिक्र होता है.

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए रिपोर्ट आदान-प्रदान को लेकर समझौता किया है. दोनों देशों ने बुधवार को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अलग अलग देशों में आय आवंटन तथा कर भुगतान से जुड़ी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर अंतर सरकारी समझौता किया. इसका मकसद सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है.

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गयी देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का स्वत: आदान प्रदान कर सकेंगे. यह एक जनवरी 2016 या उसके बाद के वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा. इससे अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय अनुषंगी इकाइयों द्वारा सीबीसी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी.

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इससे संबंधित इकाइयों पर अनुपालन बोझ कम होगा. समझौते पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पी सी मोदी और भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने दस्तखत किये. भारत सीबीसी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर पहले ही बहुपक्षीय योग्य प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर हस्ताक्षर कर चुका है. इससे 62 क्षेत्रों के साथ रिपोर्ट का आदान-प्रदान हो सकेगा.

बहुराष्ट्रीय कंपनी की मूल इकाई को उस क्षेत्र में निर्धारित प्राधिकरण के पास सीबीसी रिपोर्ट जमा करनी होती है, जहां की वह निवासी है. विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओईसीडी / जी20 बीईपीएस (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) परियोजना की कार्रवाई 2013 रिपोर्ट के तहत न्यूनतम मानदंड हैं जिसकी जरूरत होती है.

सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की देश-दर-देश सूचना होती है. इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आय के वैश्विक आबंटन, कर भुगतान तथा कुछ अन्य संकेतकों के बारे में जानकारी होती है. इसमें समूह की सभी कंपनियों की सूची होती है जो क्षेत्र विशेष में परिचालन करती हैं और इन सभी इकाइयों की मुख्य व्यापार गतिविधियों की प्रवृत्ति का भी जिक्र होता है.

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भारत और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर समझौता

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए रिपोर्ट आदान-प्रदान को लेकर समझौता किया है. दोनों देशों ने बुधवार को बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अलग अलग देशों में आय आवंटन तथा कर भुगतान से जुड़ी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर अंतर सरकारी समझौता किया. इसका मकसद सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है. 

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गयी देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का स्वत: आदान प्रदान कर सकेंगे. यह एक जनवरी 2016 या उसके बाद के वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा. इससे अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय अनुषंगी इकाइयों द्वारा सीबीसी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी. 

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इससे संबंधित इकाइयों पर अनुपालन बोझ कम होगा. समझौते पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पी सी मोदी और भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने दस्तखत किये. भारत सीबीसी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर पहले ही बहुपक्षीय योग्य प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर हस्ताक्षर कर चुका है. इससे 62 क्षेत्रों के साथ रिपोर्ट का आदान-प्रदान हो सकेगा. 

बहुराष्ट्रीय कंपनी की मूल इकाई को उस क्षेत्र में निर्धारित प्राधिकरण के पास सीबीसी रिपोर्ट जमा करनी होती है, जहां की वह निवासी है. विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओईसीडी / जी20 बीईपीएस (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) परियोजना की कार्रवाई 2013 रिपोर्ट के तहत न्यूनतम मानदंड हैं जिसकी जरूरत होती है. 

सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की देश-दर-देश सूचना होती है. इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आय के वैश्विक आबंटन, कर भुगतान तथा कुछ अन्य संकेतकों के बारे में जानकारी होती है. इसमें समूह की सभी कंपनियों की सूची होती है जो क्षेत्र विशेष में परिचालन करती हैं और इन सभी इकाइयों की मुख्य व्यापार गतिविधियों की प्रवृत्ति का भी जिक्र होता है.


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