नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने देश में गैस ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिये 2024 तक 60 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनायी है.
उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2030 तक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों में गैस की हिस्सेदारी बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है. फिलहाल देश के कुल ऊर्जा स्रोतों में गैस क्षेत्र की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत है.
उद्योग मंडल एसोचैम के स्थापना दिवस सप्ताह 2020 समारोह में मंत्री ने कहा, "निवेश के मोर्चे पर, हमने 2024 तक गैस संबंधी ढांचागत सुविधाओं के विकास में 60 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनायी है. इसमें पाइपलाइन, एलएनजी टर्मिनल और सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क शामिल है."
उन्होंने कहा, "हम कुल ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा रहे हैं. हमने कुल ऊर्जा स्रोतों में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है जो अभी 6.2 प्रतिशत है."
देश में दक्ष और मजबूत गैस बाजार को बढ़ावा देने और उसे बनाये रखने एवं गैस कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिये भारत का पहला स्वचालित राष्ट्र स्तरीय गैस कारोबार मंच इस साल जून में शुरू किया गया.
मंत्री ने कहा कि सीजीडी परियोजना का दायरा 232 इलाकों के 400 से अधिक जिलों में बढ़ाया जा रहा है. इससे देश के करीब 53 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र और 70 प्रतिशत आबादी के इसके दायरे में आने की संभावना है.
प्रधान ने यह भी कहा, "हम लंबी दूरी तक माल ढुलाई करने वाले ट्रकों समेत परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) के उपयोग के साथ स्वच्छ यातयात का रास्ता भी अपना रहे हैं. हमारी देश भर में 1,000 एलएनजी ईंधन स्टेशन लगाने की योजना है. पिछले महीने देश के पहले 50 एलएनजी ईंधन स्टेशन के लिये आधारशिला रखी गयी."
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इस साल भारत ने कुल 53.3 लाख टन क्षमता के सभी रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों को पूर्ण रूप से भरने का बड़ा लक्ष्य हासिल किया. ये भंडार क्षेत्र विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मेंगलुरू और पडुर (कर्नाटक) में बनाये गये हैं.
उन्होंने कहा, "हमने सार्वजनिक-निजी भागीदारी में दो अन्य स्थानों चंडीकोल (ओड़िशा) और पडुर में 65 लाख टन क्षमता का वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण सुविधाएं स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है."
इस मौके पर वेदांता समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील दुग्गल ने कहा, "हम घरेलू कच्चा तेल उत्पादन में 15 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं जिसे 2030 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य है...इससे केंद्र सरकार के राजस्व में एक लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है."
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अतिरिक्त सुधारों के जरिये उद्योग को और आजादी दी जानी चाहिए. इससे 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तथा आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
एसोचैम के उपाध्यक्ष और रीन्यू पावर के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक सुमंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था के सतत विकास के लिये ऊर्जा क्षेत्र में अधिक शोध और विकास की जरूरत पर बल दिया. साथ ही निवेश का आह्वान किया.
(पीटीआई-भाषा)