सिंगापुर: भारत को अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद उसके और ईरान के साथ अपने संबंधों को निभाने में कुशल कूटनीति का परिचय देना होगा. भारत के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को तेहरान से तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है. भारत उन आठ देशों में शामिल है जिन्हें तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छह महीने की छूट बृहस्पतिवार को खत्म हो गई.
ये भी पढ़ें- चक्रवाती तूफान फोनी को लेकर बेंगलुरू से चलने वाली 10 ट्रेनें रद्द
अमेरिका ने नवंबर में भारत, चीन, यूनान, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया को ईरान से तेल खरीदने के लिए छह महीने की छूट दी थी. विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविंद गुप्ता ने कहा, "हमें यहां बहुत कुशल कूटनीति दिखानी होगी. अमेरिकियों को बताना होगा."
उन्होंने कहा, "ईरान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वह मध्य एशिया में पहुंच बढ़ाने के वास्ते हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान भी बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका इसके बारे में जानता है."
अमेरिका ने भारत और अन्य देशों से कहा है कि वह खाड़ी देश से चार नवंबर तक तेल का आयात करना बिल्कुल बंद कर दें या प्रतिबंधों का सामना करें. गुप्ता ने सिंगापुर में अपनी नयी किताब पर बृहस्पतिवार को चर्चा के दौरान टिप्पणियां की. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए भारत पर बहुत अधिक ध्यान दे रहा है. उन्होंने ईरान और भारत के बीच करीबी व्यापार और कूटनीतिक संबंधों पर जोर देते हुए कहा, "ईरान भारत को पसंद करता है."
उन्होंने कहा, "यह इस तरह है कि कैसे हम ईरान के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हैं और कैसे भारत अपनी निर्णय निर्धारण की रणनीतिक स्वायत्ता को दिखाता है."
ईरान और वेनेजुएला के कच्चे तेल पर भारतीय रिफाइनरियों की निर्भरता पर एक सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापक पैमाने पर उपलब्ध है.
दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता भारत 80 प्रतिशत से ज्यादा अपनी तेल की जरुरतें आयात के जरिए पूरी करता है. इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान उसका तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और वह उसकी कुल जरुरत का दस फीसदी हिस्सा पूरा करता है.
'भारत को ईरान और अमेरिका से रिश्ते निभाने में कुशल कूटनीति दिखानी होगी'
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को तेहरान से तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है. भारत उन आठ देशों में शामिल है जिन्हें तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छह महीने की छूट बृहस्पतिवार को खत्म हो गई.
सिंगापुर: भारत को अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद उसके और ईरान के साथ अपने संबंधों को निभाने में कुशल कूटनीति का परिचय देना होगा. भारत के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को तेहरान से तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है. भारत उन आठ देशों में शामिल है जिन्हें तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छह महीने की छूट बृहस्पतिवार को खत्म हो गई.
ये भी पढ़ें- चक्रवाती तूफान फोनी को लेकर बेंगलुरू से चलने वाली 10 ट्रेनें रद्द
अमेरिका ने नवंबर में भारत, चीन, यूनान, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया को ईरान से तेल खरीदने के लिए छह महीने की छूट दी थी. विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविंद गुप्ता ने कहा, "हमें यहां बहुत कुशल कूटनीति दिखानी होगी. अमेरिकियों को बताना होगा."
उन्होंने कहा, "ईरान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वह मध्य एशिया में पहुंच बढ़ाने के वास्ते हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान भी बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका इसके बारे में जानता है."
अमेरिका ने भारत और अन्य देशों से कहा है कि वह खाड़ी देश से चार नवंबर तक तेल का आयात करना बिल्कुल बंद कर दें या प्रतिबंधों का सामना करें. गुप्ता ने सिंगापुर में अपनी नयी किताब पर बृहस्पतिवार को चर्चा के दौरान टिप्पणियां की. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए भारत पर बहुत अधिक ध्यान दे रहा है. उन्होंने ईरान और भारत के बीच करीबी व्यापार और कूटनीतिक संबंधों पर जोर देते हुए कहा, "ईरान भारत को पसंद करता है."
उन्होंने कहा, "यह इस तरह है कि कैसे हम ईरान के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हैं और कैसे भारत अपनी निर्णय निर्धारण की रणनीतिक स्वायत्ता को दिखाता है."
ईरान और वेनेजुएला के कच्चे तेल पर भारतीय रिफाइनरियों की निर्भरता पर एक सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापक पैमाने पर उपलब्ध है.
दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता भारत 80 प्रतिशत से ज्यादा अपनी तेल की जरुरतें आयात के जरिए पूरी करता है. इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान उसका तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और वह उसकी कुल जरुरत का दस फीसदी हिस्सा पूरा करता है.
'भारत को ईरान और अमेरिका से रिश्ते निभाने में कुशल कूटनीति दिखानी होगी'
सिंगापुर: भारत को अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद उसके और ईरान के साथ अपने संबंधों को निभाने में कुशल कूटनीति का परिचय देना होगा. भारत के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को तेहरान से तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है. भारत उन आठ देशों में शामिल है जिन्हें तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छह महीने की छूट बृहस्पतिवार को खत्म हो गई.
ये भी पढ़ें-
अमेरिका ने नवंबर में भारत, चीन, यूनान, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया को ईरान से तेल खरीदने के लिए छह महीने की छूट दी थी. विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविंद गुप्ता ने कहा, "हमें यहां बहुत कुशल कूटनीति दिखानी होगी. अमेरिकियों को बताना होगा."
उन्होंने कहा, "ईरान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वह मध्य एशिया में पहुंच बढ़ाने के वास्ते हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान भी बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका इसके बारे में जानता है."
अमेरिका ने भारत और अन्य देशों से कहा है कि वह खाड़ी देश से चार नवंबर तक तेल का आयात करना बिल्कुल बंद कर दें या प्रतिबंधों का सामना करें. गुप्ता ने सिंगापुर में अपनी नयी किताब पर बृहस्पतिवार को चर्चा के दौरान टिप्पणियां की. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए भारत पर बहुत अधिक ध्यान दे रहा है. उन्होंने ईरान और भारत के बीच करीबी व्यापार और कूटनीतिक संबंधों पर जोर देते हुए कहा, "ईरान भारत को पसंद करता है."
उन्होंने कहा, "यह इस तरह है कि कैसे हम ईरान के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हैं और कैसे भारत अपनी निर्णय निर्धारण की रणनीतिक स्वायत्ता को दिखाता है."
ईरान और वेनेजुएला के कच्चे तेल पर भारतीय रिफाइनरियों की निर्भरता पर एक सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापक पैमाने पर उपलब्ध है.
दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता भारत 80 प्रतिशत से ज्यादा अपनी तेल की जरुरतें आयात के जरिए पूरी करता है. इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान उसका तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और वह उसकी कुल जरुरत का दस फीसदी हिस्सा पूरा करता है.
Conclusion: