हैदराबाद: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने शुक्रवार को कुछ दिशानिर्देशों जारी किए. संगठन ने कंपनियों को कोरोना लॉकडाउन के बाद नौकरी पर लौटने वाले श्रमिकों के लिए 'मानव-केंद्रित' दृष्टिकोण लागू करने की मांग की है.
अर्थव्यवस्थाओं के फिर से चालू करने के लिए श्रमिक अपने काम पर वापस लौट रहे हैं. इसपर श्रम संगठन का कहना है कि कंपनियों को मजदूरों को कार्यस्थलों पर सुरक्षित महसूस कराने की आवश्यकता है.
आईएलओ के उप महानिदेशक डेबोरा ग्रीनफ़ील्ड ने कहा, "काम पर लौटने से पहले, श्रमिकों को यह विश्वास होना चाहिए कि उन्हें जोखिमों से अवगत नहीं कराया जाएगा. उद्यमों और अर्थव्यवस्थाओं को जल्द से जल्द मदद करने के लिए, श्रमिकों की आवश्यकता होगी इन नए उपायों में सहयोग करें."
ये भी पढे़ं- कोरोना संकट के बीच ऊबर ने 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गंभीर बीमारी वाले कर्मचारी को ध्यान में रखा जाना चाहिए. इसमें पुराने श्रमिक, गर्भवती श्रमिक, पहले से मौजूद चिकित्सा स्थिति, शरणार्थी, प्रवासी और अनौपचारिक क्षेत्र के लोग शामिल हैं.
दिशानिर्देशों में लिखा गया है, "कर्मचारियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही कार्यस्थल पर काम के दौरान काम की नीतियों, लिंग, स्वास्थ्य की स्थिति या अन्य कारकों से संबंधित भेदभाव ना हो इसपर भी ध्यान देने की आवश्यकता है."
देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित तरीके से पुनर्प्राप्त करने के लिए आईएलओ के उप महानिदेशक ने कहा, "श्रमिकों को घातक वायरस को फैलने से रोकने के किए नए उपायों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता होगी."
आईएलओ ने कंपनियों को घर से काम करने की नीति अपनाने की सलाह दी है. संगठन का कहना है कि यह कंपनियों को भौतिक बैठक से अधिक आभासी बैठकों को बढ़ावा देगा. जिससे वायरस फैलने की संभावना कम होगी.
आईएलओ ने कार्यस्थल जोखिम मूल्यांकन के लिए पांच-चरण दृष्टिकोण का सुझाव दिया है:
- खतरों को पहचानें
- पहचानें कि किसे नुकसान से कैसे बचा जा सकता है
- जोखिम का मूल्यांकन करें और सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम नियंत्रण उपायों की पहचान करें और निर्णय लें
- जोखिम नियंत्रण उपायों को ध्यान में रखें
- जोखिम मूल्यांकन की निगरानी करें और समीक्षा करें