देहरादून: डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने को लेकर जहा एक ओर आज समाज हाईटेक हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर आधुनिक देश के नागरिकों में बीते कुछ सालों से ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज भी सर चढ़कर बोल रहा है. सड़को पर जाम, बाजारों में भीड़, समय बाध्यता होने के चलते लोगों का ऑनलाइन मैकेट की तरफ रुझान बढ़ रहा है. आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन मार्केट से जुड़ी, क्या है हकीकत ? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.
ऑनलाइन मार्केट 20-25 फीसदी की तेजी से बढ़ रहा है
बीते कुछ सालों से ऑनलाइन मार्केट में तेजी आई है और लोग ऑनलाइन मार्केट पर विश्वास करने लगे हैं. जिस वजह से रिटेल मार्केट पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. वर्तमान में देशभर में करीब 900 अरब डॉलर का रिटेल मार्केट है और ई-मार्केट करीब 15 अरब डॉलर का है. और रिटेल मार्केट 10 से 12 प्रतिशत के ग्रोथ से बढ़ रही है तो वही ऑनलाइन मार्केट करीब 20 से 25 तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में आने वाले कुछ सालों में ही ऑनलाइन मार्केट करीब 90 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.
तमाम सहूलियतो के चलते बढ़ रहा है ऑनलाइन मार्केट का दायरा
ऑनलाइन मार्केट बढ़ने के कई कारण है सबसे बड़ा कारण बाजारों में भीड़ है और लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह खुद दुकानों पर जाकर सामान खरीद सकें, क्योंकि बाजारो में जाम लगना एक बड़ी समस्या है, यह नहीं प्रर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था ना होने के चलते लोग भी लोग ऑनलाइन सामान खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उसमें बहुत ही सहूलियत होती है ना ही दुकान पर जाने की जरूरत पड़ती है और ना ही जाम में फंसने की.
ऑनलाइन मार्केट से रिटेल मार्केट हो रहा हैं प्रभावित
इस आधुनिक दौर जिस तरह से ऑनलाइन मार्केट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है उसी तरह रिटेल मार्केट धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे हैं. क्योंकि ऑनलाइन मार्केट में छोटी से छोटी चीजों से लेकर बड़ी से बड़ी चीज है आसानी से उपलब्ध हो जाती है. यही वजह है कि लोग घर बैठे ऑनलाइन मार्केट से सामान मंगा सकते हैं ऐसे में रिटेल मार्केट पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. जिससे आने वाले समय में रिटेल मार्केट पर संकट भी पैदा हो सकता है.
ऑनलाइन मार्केट से लोकल प्रोडक्ट पर भी पड़ रहा है फर्क
इस आधुनिक दौर में जिस तरह ऑनलाइन मार्केट हावी होता जा रहा है ऐसे में स्थानीय प्रोडक्ट पर भी संकट मंडरा रहा है. क्योंकि ऑनलाइन मार्केट हावी होने से लोकल मार्केट पूरी तरह प्रभावित होता है ऐसे में लोकल प्रोडक्ट बाजारों में नहीं बिक पाते हैं. जिससे लोकल इकोनामी पर भी फर्क पड़ता है. और लोकल रिटेलरो का नुकसान होता है. लेकिन देश की इकॉनमी इससे बढ़ रही है. क्योकि डिमांड और परचेजिंग पावर बढ़ रही है.
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