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ईपीएफओ के आंकड़े से सरकार दे रही है बेरोजगारी पर बहस का जवाब

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Published : Apr 26, 2019, 12:13 PM IST

यह नया आंकड़ा उस समय आया है जब राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2017-18 में देश में रोजगारी की दर 6.1 फीसदी बताई है, जो कि 45 साल के ऊंचे स्तर पर है. सरकार ने बेरोजगारी के इस आंकड़े के प्रकाशन पर रोक लगा दी.

कॉन्सेप्ट इमेज।

मुंबई : दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार के लिए एक कमजोर कड़ी बनी देश में बेरोजगारी की समस्या के आरोप का काट तलाशते हुए सरकारी एजेंसी एक नया साक्ष्य लेकर आई है, जिसमें यह बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार का सृजन ही नहीं हुआ है, बल्कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था में इसकी रफ्तार भी बढ़ी है.

यह नया आंकड़ा उस समय आया है जब राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2017-18 में देश में रोजगारी की दर 6.1 फीसदी बताई है, जो कि 45 साल के ऊंचे स्तर पर है. सरकार ने बेरोजगारी के इस आंकड़े के प्रकाशन पर रोक लगा दी.

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने गुरुवार को रोजगार आकलन का नवीनतम आंकड़ा पेश किया, जिसमें बताया गया है कि सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 के 18 महीने के दौरान देश में दो करोड़ नौकरियां पैदा हुईं.

हालांकि यह आंकड़ा सिर्फ औचारिक क्षेत्र के रोजगार का है, जहां अर्थशास्त्रियों ने पहले ही बताया है कि स्थिति बेहतर है. यह आकलन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नए ग्राहकों के आंकड़ों के आधार पर किया गया है, जोकि रोजगार की पूरी तस्वीर नहीं दर्शाती है.

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने आईएएनएस को बताया, "ईपीएफओ ग्राहक के आधार बेरोजगारी दर के आकलन में दोहरी गणना की संभावना रहती है. आप यह कल्पना नहीं कर सकते हैं कि ये पूरी तरह एक दूसरे से स्वतंत्र हैं. अगर प्रत्येक आधार से लिंक होता तो समस्या का समाधान हो जाता."

सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 तक ईपीएफओ के साथ 2,12,33,663 ग्राहक जुड़े.
ये भी पढ़ें : फरवरी के बाद 342 स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से मिली छूट

मुंबई : दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार के लिए एक कमजोर कड़ी बनी देश में बेरोजगारी की समस्या के आरोप का काट तलाशते हुए सरकारी एजेंसी एक नया साक्ष्य लेकर आई है, जिसमें यह बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार का सृजन ही नहीं हुआ है, बल्कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था में इसकी रफ्तार भी बढ़ी है.

यह नया आंकड़ा उस समय आया है जब राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2017-18 में देश में रोजगारी की दर 6.1 फीसदी बताई है, जो कि 45 साल के ऊंचे स्तर पर है. सरकार ने बेरोजगारी के इस आंकड़े के प्रकाशन पर रोक लगा दी.

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने गुरुवार को रोजगार आकलन का नवीनतम आंकड़ा पेश किया, जिसमें बताया गया है कि सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 के 18 महीने के दौरान देश में दो करोड़ नौकरियां पैदा हुईं.

हालांकि यह आंकड़ा सिर्फ औचारिक क्षेत्र के रोजगार का है, जहां अर्थशास्त्रियों ने पहले ही बताया है कि स्थिति बेहतर है. यह आकलन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नए ग्राहकों के आंकड़ों के आधार पर किया गया है, जोकि रोजगार की पूरी तस्वीर नहीं दर्शाती है.

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने आईएएनएस को बताया, "ईपीएफओ ग्राहक के आधार बेरोजगारी दर के आकलन में दोहरी गणना की संभावना रहती है. आप यह कल्पना नहीं कर सकते हैं कि ये पूरी तरह एक दूसरे से स्वतंत्र हैं. अगर प्रत्येक आधार से लिंक होता तो समस्या का समाधान हो जाता."

सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 तक ईपीएफओ के साथ 2,12,33,663 ग्राहक जुड़े.
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मुंबई : दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार के लिए एक कमजोर कड़ी बनी देश में बेरोजगारी की समस्या के आरोप का काट तलाशते हुए सरकारी एजेंसी एक नया साक्ष्य लेकर आई है, जिसमें यह बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार का सृजन ही नहीं हुआ है, बल्कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था में इसकी रफ्तार भी बढ़ी है.

यह नया आंकड़ा उस समय आया है जब राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2017-18 में देश में रोजगारी की दर 6.1 फीसदी बताई है, जो कि 45 साल के ऊंचे स्तर पर है. सरकार ने बेरोजगारी के इस आंकड़े के प्रकाशन पर रोक लगा दी.

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने गुरुवार को रोजगार आकलन का नवीनतम आंकड़ा पेश किया, जिसमें बताया गया है कि सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 के 18 महीने के दौरान देश में दो करोड़ नौकरियां पैदा हुईं.

हालांकि यह आंकड़ा सिर्फ औचारिक क्षेत्र के रोजगार का है, जहां अर्थशास्त्रियों ने पहले ही बताया है कि स्थिति बेहतर है. यह आकलन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के नए ग्राहकों के आंकड़ों के आधार पर किया गया है, जोकि रोजगार की पूरी तस्वीर नहीं दर्शाती है.

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने आईएएनएस को बताया, "ईपीएफओ ग्राहक के आधार बेरोजगारी दर के आकलन में दोहरी गणना की संभावना रहती है. आप यह कल्पना नहीं कर सकते हैं कि ये पूरी तरह एक दूसरे से स्वतंत्र हैं. अगर प्रत्येक आधार से लिंक होता तो समस्या का समाधान हो जाता."

सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2019 तक ईपीएफओ के साथ 2,12,33,663 ग्राहक जुड़े.

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