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लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द - ground report

घोड़ीवालों ने कहा कि बीमारी की रोकथाम के चलते धूमधाम से शादियों की इजाजत नहीं मिलेगी और अभी ऐसे ही लंबा समय गुजारे जाने के संकेत मिल रहे हैं. ऐसे में हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस मुश्किल घड़ी में आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
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Published : Jun 4, 2020, 11:35 AM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 होने के बावजूद कोरोना काल में निर्धारित संख्या के चलते जहां बैंड बाजा बारात के बिना शादियां हो रही हैं. वहीं यह समय घोड़ीवालों के लिए बेहद मुश्किलों भरा साबित हो रहा है.

हालत यह हो गई है कि घोड़ीवालों को ब्याज पर कर्ज लेकर घोड़ियों का खान-पान करना पड़ रहा है, लगातार बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण अब घोड़ीवालों ने दिल्ली सरकार ने सहायता की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द

ये भी पढ़ें- अनलॉक 1.0: कर्ज में डुबते जा रहें है छोटे कारोबारी, खाने का खर्च निकालना भी मुश्किल

उत्तर पूर्वी दिल्ली के न्यू सीलमपुर इलाके में मौजूद बैंडबाजे वालों की तरह ही इन दिनों घोड़ीवालों के हालात बेहद खराब हो गए हैं. लंबे चले लॉकडाउन के बाद सरकार ने भले ही अनलॉक-1 का ऐलान कर दिया हो और बाजारों और दूसरे प्रतिष्ठानों को खोलने की इजाजत मिल गई हो लेकिन निर्धारित पचास लोगों की बाध्यता के चलते बैंड बाजे और घोड़ी के बगैर ही शादियां हो रही है, जिसका सीधा असर घोड़ीवालों पर पड़ा है.

बेहद बुरे दौर से गुजर रहा

न्यू सीलमपुर में पिछले करीब चालीस सालों से शादी ब्याह और दूसरे धार्मिक कार्यक्रमों में घोड़ी और बग्गी का पुश्तैनी काम करने वाले पुरषोत्तम घोड़ीवाले बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
दुकानदार

कहने को इनके पास मौजूद घोड़ियां सीजन के समय पूरी तरह से शादियों में बुक रहती थी, लेकिन इस बार तो मानों इनके काम को किसी की नजर ही लग गई हो. पहले तो दंगों के चलते इनका काम प्रभावित रहा और फिर रही सही कसर महामारी कोरोना के चलते लगाए गए लंबे लॉकडाउन ने पूरी कर दी.

शादियों की बुकिंग ही नहीं तो कैसा अनलॉक-1
घोड़ीवालों ने बताया कि लंबे लॉकडाउन के बाद भले ही अनलॉक-1 का एलान कर दिया हो लेकिन शादियों में पचास लोगों की ही मौजूदगी की वजह से उनका काम पूरी तरह से खत्म हो गया है. हालात यह यह है घोड़ियों को संभालने वाले नौकर काम नहीं होने के कारण घर चले गए अब उन्हें खुद ही घोड़ों की देखभाल करनी पड़ रही है.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
घोड़ा

ब्याज पर पैसा लेकर घोड़ियों का भरण पोषण
घोड़ीवालों ने बताया कि उनके पास छह घोड़ियां मौजूद है, जिनके खाने पर रोजाना तीन से चार हजार का खर्चा आता है, लेकिन लगातार लॉकडाउन और शादियां नहीं होने के कारण वह लोग आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट गायब हैं.

हालात इतने खराब हैं कि मोटे ब्याज पर पैसा लेकर इन जानवरों का लालन पालन किया जा रहा है. कई बार तो मन करता है कि इन घोड़ियों को बेच डालें, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिलता जो इन्हें खरीद सके.

घोड़ीवालों ने कहा कि बीमारी की रोकथाम के चलते धूमधाम से शादियों की इजाजत नहीं मिलेगी और अभी ऐसे ही लंबा समय गुजारे जाने के संकेत मिल रहे हैं ऐसे में हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस मुश्किल घड़ी में आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान शादियां नहीं होने के चलते आर्थिक बदहाली में जी रहे घोड़ीवालों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आए फरियाद लगाई है कि उनकी भी आर्थिक सहायता की जाए ताकि उनके हालात कुछ हद तक सुधार जाएं और वह घोड़ियों का रखरखाव और खानपान ठीक ढंग से कर सकें.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 होने के बावजूद कोरोना काल में निर्धारित संख्या के चलते जहां बैंड बाजा बारात के बिना शादियां हो रही हैं. वहीं यह समय घोड़ीवालों के लिए बेहद मुश्किलों भरा साबित हो रहा है.

हालत यह हो गई है कि घोड़ीवालों को ब्याज पर कर्ज लेकर घोड़ियों का खान-पान करना पड़ रहा है, लगातार बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण अब घोड़ीवालों ने दिल्ली सरकार ने सहायता की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द

ये भी पढ़ें- अनलॉक 1.0: कर्ज में डुबते जा रहें है छोटे कारोबारी, खाने का खर्च निकालना भी मुश्किल

उत्तर पूर्वी दिल्ली के न्यू सीलमपुर इलाके में मौजूद बैंडबाजे वालों की तरह ही इन दिनों घोड़ीवालों के हालात बेहद खराब हो गए हैं. लंबे चले लॉकडाउन के बाद सरकार ने भले ही अनलॉक-1 का ऐलान कर दिया हो और बाजारों और दूसरे प्रतिष्ठानों को खोलने की इजाजत मिल गई हो लेकिन निर्धारित पचास लोगों की बाध्यता के चलते बैंड बाजे और घोड़ी के बगैर ही शादियां हो रही है, जिसका सीधा असर घोड़ीवालों पर पड़ा है.

बेहद बुरे दौर से गुजर रहा

न्यू सीलमपुर में पिछले करीब चालीस सालों से शादी ब्याह और दूसरे धार्मिक कार्यक्रमों में घोड़ी और बग्गी का पुश्तैनी काम करने वाले पुरषोत्तम घोड़ीवाले बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
दुकानदार

कहने को इनके पास मौजूद घोड़ियां सीजन के समय पूरी तरह से शादियों में बुक रहती थी, लेकिन इस बार तो मानों इनके काम को किसी की नजर ही लग गई हो. पहले तो दंगों के चलते इनका काम प्रभावित रहा और फिर रही सही कसर महामारी कोरोना के चलते लगाए गए लंबे लॉकडाउन ने पूरी कर दी.

शादियों की बुकिंग ही नहीं तो कैसा अनलॉक-1
घोड़ीवालों ने बताया कि लंबे लॉकडाउन के बाद भले ही अनलॉक-1 का एलान कर दिया हो लेकिन शादियों में पचास लोगों की ही मौजूदगी की वजह से उनका काम पूरी तरह से खत्म हो गया है. हालात यह यह है घोड़ियों को संभालने वाले नौकर काम नहीं होने के कारण घर चले गए अब उन्हें खुद ही घोड़ों की देखभाल करनी पड़ रही है.

लॉकडाउन में मुश्किल में पड़ी दूल्हे की सवारी, देखिए...घोड़ीवालों का हाल-ए-दर्द
घोड़ा

ब्याज पर पैसा लेकर घोड़ियों का भरण पोषण
घोड़ीवालों ने बताया कि उनके पास छह घोड़ियां मौजूद है, जिनके खाने पर रोजाना तीन से चार हजार का खर्चा आता है, लेकिन लगातार लॉकडाउन और शादियां नहीं होने के कारण वह लोग आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट गायब हैं.

हालात इतने खराब हैं कि मोटे ब्याज पर पैसा लेकर इन जानवरों का लालन पालन किया जा रहा है. कई बार तो मन करता है कि इन घोड़ियों को बेच डालें, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिलता जो इन्हें खरीद सके.

घोड़ीवालों ने कहा कि बीमारी की रोकथाम के चलते धूमधाम से शादियों की इजाजत नहीं मिलेगी और अभी ऐसे ही लंबा समय गुजारे जाने के संकेत मिल रहे हैं ऐसे में हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस मुश्किल घड़ी में आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान शादियां नहीं होने के चलते आर्थिक बदहाली में जी रहे घोड़ीवालों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आए फरियाद लगाई है कि उनकी भी आर्थिक सहायता की जाए ताकि उनके हालात कुछ हद तक सुधार जाएं और वह घोड़ियों का रखरखाव और खानपान ठीक ढंग से कर सकें.

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