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भारत पेट्रोलियम के निजीकरण पर मूडीज की रेटिंग घटाने की चेतावनी

पिछले साल सरकार ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम में अपनी पूरी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को बेच दी थी. लेकिन इसके बावजूद हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रेटिंग 'बीबीबी' बनी रही क्योंकि ओएनजीसी सरकार के मालिकाना हक के तहत है.

भारत पेट्रोलियम के निजीकरण पर मूडीज की रेटिंग घटाने की चेतावनी
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Published : Oct 3, 2019, 9:10 PM IST

मुंबई: अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को चेतावनी दी कि यदि भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेचकर उसके निजीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ती है वह कंपनी की रेटिंग घटाकर 'बीए-1' कर देगा.

एक लोक उपक्रम के तौर पर इस समय बीपीसीएल की रेटिंग 'बीबीबी' है जो कि एक सरकारी रेटिंग के समान है. जबकि 'बीए-1' रेटिंग उसके मौजूदा ऋण आकलन की आधाररेखा के समान होगी यानी निचली रेटिंग होगी.

पिछले साल सरकार ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम में अपनी पूरी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को बेच दी थी. लेकिन इसके बावजूद हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रेटिंग 'बीबीबी' बनी रही क्योंकि ओएनजीसी सरकार के मालिकाना हक के तहत है.

ये भी पढ़ें: सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने कहा, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से वृहद आर्थिक अनिश्चितता का जोखिम

मूडीज ने कहा प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री से भारत पेट्रोलियम का बांड को तेजी से भुनाने और उसके जुड़ाव को समाप्त कर देगा जो कि उसकी साख के लिए नकारात्मक होगा. विनिवेश पर विचार के लिए बने सचिवों के एक समूह ने 30 सितंबर को बीपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत की पूरी हिस्सेदारी बेचने को अनुमति दी है.

हिस्सेदारी की यह बिक्री अगले साल 31 मार्च तक पूरी हो सकती है. सरकार ने 30 सितंबर को एक अन्य फैसले में घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों में 12.5 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है. इस कटौती के बाद घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत 3.23 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल इकाई (एमएमबीटीयू) पर आ गयी जो पहले 3.69 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी. अप्रैल 2017 के बाद यह देश में गैस की कीमतों में पहली कटौती है.

इस बारे में मुडीज ने एक अलग नोट में कहा, "गैस की कीमत में 12.5 प्रतिशत की कटौती से ओएनजीसी की आय में 1,460 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आएगी. कीमतों का कम होना कंपनी के लिए उसकी साख के लिहाज से नकारात्मक है."

मुंबई: अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को चेतावनी दी कि यदि भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेचकर उसके निजीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ती है वह कंपनी की रेटिंग घटाकर 'बीए-1' कर देगा.

एक लोक उपक्रम के तौर पर इस समय बीपीसीएल की रेटिंग 'बीबीबी' है जो कि एक सरकारी रेटिंग के समान है. जबकि 'बीए-1' रेटिंग उसके मौजूदा ऋण आकलन की आधाररेखा के समान होगी यानी निचली रेटिंग होगी.

पिछले साल सरकार ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम में अपनी पूरी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को बेच दी थी. लेकिन इसके बावजूद हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रेटिंग 'बीबीबी' बनी रही क्योंकि ओएनजीसी सरकार के मालिकाना हक के तहत है.

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मूडीज ने कहा प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री से भारत पेट्रोलियम का बांड को तेजी से भुनाने और उसके जुड़ाव को समाप्त कर देगा जो कि उसकी साख के लिए नकारात्मक होगा. विनिवेश पर विचार के लिए बने सचिवों के एक समूह ने 30 सितंबर को बीपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत की पूरी हिस्सेदारी बेचने को अनुमति दी है.

हिस्सेदारी की यह बिक्री अगले साल 31 मार्च तक पूरी हो सकती है. सरकार ने 30 सितंबर को एक अन्य फैसले में घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों में 12.5 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है. इस कटौती के बाद घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत 3.23 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल इकाई (एमएमबीटीयू) पर आ गयी जो पहले 3.69 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी. अप्रैल 2017 के बाद यह देश में गैस की कीमतों में पहली कटौती है.

इस बारे में मुडीज ने एक अलग नोट में कहा, "गैस की कीमत में 12.5 प्रतिशत की कटौती से ओएनजीसी की आय में 1,460 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आएगी. कीमतों का कम होना कंपनी के लिए उसकी साख के लिहाज से नकारात्मक है."

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नई दिल्ली: सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री हेंग स्वी कीट ने अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध के कारण व्यापक आर्थिक अनिश्चितता की गुरुवार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि यदि यह विवाद जारी रहा तो इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को आगे और व्यवधान झेलने होंगे. कीट ने भारत आर्थिक सम्मेलन में यह टिप्पणी की.

उन्होंने जोर दिया कि मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता ला सकती हैं, लेकिन इसे पुन: वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये संरचनात्मक नीतियों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध से अन्य देशों को भी नुकसान हो रहा है.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यदि विवाद जारी रहा तो यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को काफी हद तक प्रभावित करेगा."

कीट ने कहा, "मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें वृहद अनिश्चितता के एक दौर के लिये तैयार रहना होगा क्योंकि यह महज व्यापार युद्ध नहीं है. पहले जो विवाद व्यापार में अधिशेष या घाटे को लेकर था, वह अब प्रौद्योगिकी के संघर्ष में बदल गया है कि किसके पास बेहतर प्रौद्योगिकी है. इस कारण वैश्विक प्रौद्योगिकी की श्रृंखला के टूटने का भी जोखिम है."

अर्थव्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के उपायों के बारे में पूछे जाने पर कीट ने कहा कि मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियां अर्थव्यवस्था को सिर्फ स्थिर कर सकती हैं. इसे वापस आर्थिक वृद्धि की पटरी पर लाने के लिये हमें संरचनात्मक नीतियों की जरूरत है, नियमों व नियमनों तथा निवेश के कानून में बदलाव की जरूरत है, निवेशकों को एक हद तक निश्चितता उपलब्ध कराने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक निवेश के लिये नवोन्मेष की रूपरेखा आवश्यक है. कीट ने स्पष्ट किया कि कारोबार की नयी व्यवस्थाओं के लिये ऐसे नये नियम बनाने की जरूरत है जो पूंजी और श्रम में संतुलन पैदा करें.

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