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मनरेगा एक मांग संचालित कार्यक्रम है, आंवटन में भिन्नता संभव: वित्त मंत्री - निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने मनरेगा को कम आवंटन के संबंध में ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हमने जुलाई 2019 में घोषित बजट अनुमानों की तुलना में किसी भी कार्यक्रम के लिए 2020 के बजट अनुमानों में कमी नहीं की है. मनरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है. इसलिए मांग आने पर हमें इसे सर्विस करते रहना होगा."

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मनरेगा एक मांग संचालित कार्यक्रम है, आंवटन में भिन्नता संभव: वित्त मंत्री
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Published : Feb 17, 2020, 12:57 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 2:46 PM IST

हैदराबाद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि मनरेगा एक मांग संचालित कार्यक्रम है और मांग बढ़ने से आवंटन भी अलग-अलग होंगे.

वित्त मंत्री ने मनरेगा को कम आवंटन के संबंध में ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हमने जुलाई 2019 में घोषित बजट अनुमानों की तुलना में किसी भी कार्यक्रम के लिए 2020 के बजट अनुमानों में कमी नहीं की है. मनरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है. इसलिए मांग आने पर हमें इसे सर्विस करते रहना होगा."

वित्त मंत्री ने आगे कहा, "बजट अनुमानों की तुलना में हमने कोई कमीं नहीं की है. यदि संशोधित अनुमान (आरई) चरण में बड़ी राशि थी और यदि इसका उपयोग नहीं किया गया है या यदि यह मांग के आधार पर उपयोग किया जाता है तो हम देते रहेंगे"

बजट दस्तावेज के अनुसार, मनरेगा के लिए 2019-20 का वास्तविक अनुमान 71,000 करोड़ रुपये था और आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए यह 61,500 करोड़ रुपये है. जिसका मतलब है कि अगले साल के लिए आवंटन 8,500 करोड़ रुपये कम है.

वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही(एच 1) के लिए आरबीआई का मुद्रास्फीति का अनुमान लगभग 5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही का 3.2 प्रतिशत है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 13 करोड़ परिवार इस क्षेत्र में एक प्रमुख विषय के रूप में आजीविका बनाने के लिए नरेगा पर निर्भर हैं.

इसके अलावा वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव टी वी सोमनाथन से आवंटन के संबंध में सटीक आंकड़े देने को कहा.

सोमनाथन ने बताया कि "ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए कुल आवंटन 2019-20 में 1,17,647 करोड़ रुपये था और 2020-21 में 1,20,147 करोड़ रुपये हो गया है. अकेले नरेगा बजट अनुमान 2019-20 के लिए 60,000 करोड़ रुपये था. 2020-21 के लिए बजट अनुमान 61,500 रुपये है."

ये भी पढ़ें: जीएसटी बकाए पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारी के आधार पर की जाएगी: सीबीआईसी

उन्होंने कहा, "हम एक अनुमानित मांग के आधार पर प्रोजेक्ट करते हैं लेकिन यदि वास्तविक रूप से अधिक है जो विभिन्न राज्यों में समय पर उत्पन्न होने वाली मांगों के आधार पर मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यह संशोधित अनुमान (आरई) में उपयुक्त रूप से प्रदान किया जाएगा क्योंकि नरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है."

यह स्पष्ट करते हुए कि यदि इस कार्यक्रम के लिए ग्रामीण क्षेत्र में कम मांग है, व्यय सचिव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की मांग में उतार-चढ़ाव होता है.

उन्होंने कहा, "नहीं-नहीं, मैं कह रहा हूं कि मांग में उतार-चढ़ाव होता है. कुछ साल अधिक होता है, कुछ साल कम होता है. इसलिए, हम एक अनुमान के आधार पर एक प्रावधान बनाते हैं जो एक चलती औसत प्रकार का अनुमान है. लेकिन अगर वास्तविक मांग अधिक हो तो, हम इसे संशोधित अनुमान में प्रदान करेंगे जैसा कि हमने इस वर्ष किया था. इस साल 2019-20 में बजट अनुमान 60 था, संशोधित अनुमान 71 है हमने इसमें 17 प्रतिशत से अधिक जोड़ा है."

(श्रवण नुने: बिजनेस एडिटर)

हैदराबाद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि मनरेगा एक मांग संचालित कार्यक्रम है और मांग बढ़ने से आवंटन भी अलग-अलग होंगे.

वित्त मंत्री ने मनरेगा को कम आवंटन के संबंध में ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हमने जुलाई 2019 में घोषित बजट अनुमानों की तुलना में किसी भी कार्यक्रम के लिए 2020 के बजट अनुमानों में कमी नहीं की है. मनरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है. इसलिए मांग आने पर हमें इसे सर्विस करते रहना होगा."

वित्त मंत्री ने आगे कहा, "बजट अनुमानों की तुलना में हमने कोई कमीं नहीं की है. यदि संशोधित अनुमान (आरई) चरण में बड़ी राशि थी और यदि इसका उपयोग नहीं किया गया है या यदि यह मांग के आधार पर उपयोग किया जाता है तो हम देते रहेंगे"

बजट दस्तावेज के अनुसार, मनरेगा के लिए 2019-20 का वास्तविक अनुमान 71,000 करोड़ रुपये था और आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए यह 61,500 करोड़ रुपये है. जिसका मतलब है कि अगले साल के लिए आवंटन 8,500 करोड़ रुपये कम है.

वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही(एच 1) के लिए आरबीआई का मुद्रास्फीति का अनुमान लगभग 5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही का 3.2 प्रतिशत है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 13 करोड़ परिवार इस क्षेत्र में एक प्रमुख विषय के रूप में आजीविका बनाने के लिए नरेगा पर निर्भर हैं.

इसके अलावा वित्त मंत्री ने वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव टी वी सोमनाथन से आवंटन के संबंध में सटीक आंकड़े देने को कहा.

सोमनाथन ने बताया कि "ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए कुल आवंटन 2019-20 में 1,17,647 करोड़ रुपये था और 2020-21 में 1,20,147 करोड़ रुपये हो गया है. अकेले नरेगा बजट अनुमान 2019-20 के लिए 60,000 करोड़ रुपये था. 2020-21 के लिए बजट अनुमान 61,500 रुपये है."

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उन्होंने कहा, "हम एक अनुमानित मांग के आधार पर प्रोजेक्ट करते हैं लेकिन यदि वास्तविक रूप से अधिक है जो विभिन्न राज्यों में समय पर उत्पन्न होने वाली मांगों के आधार पर मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यह संशोधित अनुमान (आरई) में उपयुक्त रूप से प्रदान किया जाएगा क्योंकि नरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है."

यह स्पष्ट करते हुए कि यदि इस कार्यक्रम के लिए ग्रामीण क्षेत्र में कम मांग है, व्यय सचिव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की मांग में उतार-चढ़ाव होता है.

उन्होंने कहा, "नहीं-नहीं, मैं कह रहा हूं कि मांग में उतार-चढ़ाव होता है. कुछ साल अधिक होता है, कुछ साल कम होता है. इसलिए, हम एक अनुमान के आधार पर एक प्रावधान बनाते हैं जो एक चलती औसत प्रकार का अनुमान है. लेकिन अगर वास्तविक मांग अधिक हो तो, हम इसे संशोधित अनुमान में प्रदान करेंगे जैसा कि हमने इस वर्ष किया था. इस साल 2019-20 में बजट अनुमान 60 था, संशोधित अनुमान 71 है हमने इसमें 17 प्रतिशत से अधिक जोड़ा है."

(श्रवण नुने: बिजनेस एडिटर)

Last Updated : Mar 1, 2020, 2:46 PM IST
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