रांची: कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए इन दिनों लोग अपने घर में कैद हैं. झारखंड में घरों में बंद लोगों तक हरी सब्जियां उनकी ऑनलाइन मांग पर पहुंचाई जा रही हैं. ऐसा संभव हो सका है जीविका एवं उत्पादक समूह के 'आजीविका फार्म फ्रेश' एप की वजह से. इस एप से लोग ऑनलाइन सब्जियां मंगा रहे हैं.
ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) संपोषित सखी मंडल एवं उत्पादक समूह की महिलाओं द्वारा लॉकडाउन के इस दौर में ऑनलाइन सब्जियां बेची जा रही हैं.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा एनआरएलएम कार्यक्रम के तहत 'आजीविका फार्म फ्रेश' एप बनाया गया है. गूगल प्ले-स्टोर पर उपलब्ध इस एप्लीकेशन को डाउनलोड कर लोग ऑनलाइन सब्जियों की खरीदारी कर रहे हैं. मांग करने पर उन्हें सब्जियों की होम-डिलीवरी की जा रही है.
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ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव और जेएसएलपीएस के सीईओ राजीव कुमार ने आईएएनएस को बताया, "अब तक 885 ग्राहकों ने इस एप के माध्यम से ताजा हरी सब्जियों की होम डिलीवरी प्राप्त की है. इस एप के माध्यम से कुल 21 मिट्रिक टन सब्जियां बेची जा चुकी हैं."
उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से जहां एक तरफ लोगों को घर से निकले बिना ताजा सब्जियां उपलब्ध हो जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर मुसीबत की इस घड़ी में भी किसानों की आजीविका आसानी से चल रही है. साथ ही स्थानीय स्तर के मुकाबले उन्हें उपज की अच्छी कीमत भी मिल रही है.
राजीव कुमार ने बताया कि फिलहाल यह सुविधा रांची में उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि रांची जिले के आस-पास के प्रखंडों से प्रतिदिन, जेएसएलपीएस द्वारा पोषित सखी मंडल एवं उत्पादक समूह से ताजा सब्जियां थोकभाव में खरीदकर रांची लाया जाता है और फिर उसकी धुलाई, सर्टिग, ग्रेडिंग एवं पैकिंग के बाद इलेक्ट्रॉनिक बिल सहित ऑर्डर अनुसार सब्जियां ग्राहकों के घर तक पहुंचाई जाती हैं.
खास बात यह है कि ऑनलाइन ऑर्डर आने के 6 घंटों के अंदर ग्राहकों को सब्जियां उपलब्ध करा दी जाती हैं.
रांची के रातू रोड इलाके की निवासी बरखा पांडेय अक्सर 'आजीविका फार्म फ्रेश' एप के माध्यम से ही सब्जियों के लिए ऑर्डर करती हैं. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "हमारा आठ लोगों का बड़ा परिवार है, इसलिए ज्यादा सब्जियां मंगाने की जरूरत पड़ती है.
लॉकडाउन के बावजूद बजार में सब्जियों की कुछ दुकानें खुली तो रहती हैं, लेकिन बाजार जाकर सब्जियां लेने में संक्रमण का खतरा भी बना रहता है. इस एप के जरिये हम हर हफ्ते सब्जियां ऑर्डर करते हैं. ऑडर भेजने के 6 घंटे के अंदर हमें ताजा सब्जियां घर बैठे ही मिल जाती हैं, बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. यह बहुत बड़ी राहत है."
लालपुर की रहने वाली सुनीता सिंह का कहना है, "इस कठिन समय में सरकार का यह प्रयास सराहनीय है. आजीविका फार्म फ्रेश एप से हमें ताजा सब्जियां उचित मूल्य पर मिल रही हैं और वो भी होम डिलीवरी के साथ."
विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि खेतों से ग्राहकों के घरों तक सीधे सब्जियां पहुंचाने की इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा है. सब्जियां मंगवाने के लिए नगद रुपयों से वायरस संक्रमण की आशंका से बचाव के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध है.
आजीविका फार्म फ्रेश एप से किसान भी खुश हैं. रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के उक्रिड गांव की महिला किसान बालो देवी कहती हैं, "लॉकडाउन के बाद लगा कि अब तो खाने के लाले पड़ने लगेंगे. दूसरी तरफ, खेतों में हमारी फसलें तैयार थीं, वे अगर बिकती नहीं और बर्बाद हो जाती तो सारी मेहनत और लागत भी बेकार चली जाती. लेकिन फार्म फ्रेश के माध्यम से अब हमलोग हर रोज अपनी सब्जियों की बिक्री करते हैं. इसके लिए हमें अपने गांव से बाहर भी नहीं जाना पड़ता और ना ही बाजार जाकर खुद से सब्जियां बेचनी पड़ती हैं."
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आजीविका मिशन के तहत झारखंड में शुरू किए गए इस पहल की तारीफ की है और केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस पहल की तारीफ की है.
(आईएएनएस)