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वितरण कंपनियों को कर्ज सुविधा का लाभ उठाने के लिये सुधारों को करना होगा लागू

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लि. द्वारा 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की पहली किस्त की मंजूरी और उसे जारी करने को लेकर ये कुछ पूर्व-शर्तें हैं, जिनका पालन वितरण कंपनियों को करना होगा. वित्त मंत्री निमला सीतारमण ने पिछले सप्ताह वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये के नकदी पैकेज की घोषणा की थी.

वितरण कंपनियों को कर्ज सुविधा का लाभ उठाने के लिये सुधारों को करना होगा लागू
वितरण कंपनियों को कर्ज सुविधा का लाभ उठाने के लिये सुधारों को करना होगा लागू
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Published : May 22, 2020, 8:16 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सुधारों को लागू करने की पूर्व शर्तें रखी हैं. इसमें बिल संग्रहण प्रणाली को डिजिटल रूप देना और बेहतर बिल व्यवस्था के लिये स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना शामिल है. इसके अलावा वितरण कंपनियां मीटर की तस्वीर भेजकर या एसएमएस के जरिये 'रीडिंग' भेजकर ग्राहकों को बिजली उपयोग के स्व-आकलन की सुविधा भी उपलब्ध कराएंगी.

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लि. द्वारा 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की पहली किस्त की मंजूरी और उसे जारी करने को लेकर ये कुछ पूर्व-शर्तें हैं, जिनका पालन वितरण कंपनियों को करना होगा. वित्त मंत्री निमला सीतारमण ने पिछले सप्ताह वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये के नकदी पैकेज की घोषणा की थी.

वित्त पोषण 45,000-45,000 करोड़ रुपये के दो चरणों में किया जाएगा. इसके अलावा दूसरी किस्त के लिये वितरण कपनियों को बिजली आपूर्ति की लागत और प्राप्त आय के बीच अंतर को कम करने और सकल तकनीकी व वाणिज्यिक नुकसानों की भी कम करने की जिम्मेदारी दी गयी है.

मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि पीएफसी के निदेशक मंडल ने वितरण कंपनियों को दो किस्तों में कर्ज जारी किये जाने को लेकर 16 अप्रैल को पूर्व शर्तों को मंजूरी दी थी. सूत्र ने कहा कि बिल संग्रह के डिजिटलीकरण के उपबंध और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिल दक्षता बेहतर होगी. वितरण कंपनियां इस समय नकदी की समस्या और नुकसान से जूझ रही हैं.

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी इफीशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएएल) ने कहा कि स्मार्ट मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिलिंग दक्षता बेहतर होगी और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (बंद) से प्रति ग्राहक मासिक आय में 15 से 20 प्रतिशत की वद्धि होगी. बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली ईईएसएल देश में स्मार्ट मीटर लगाने के कार्यकम को क्रियान्वयित कर रही है.

ये भी पढ़ें: ब्याज दर कम होने से बढ़ेगी मांग, समर्थन के और उपायों की जरूरत: उद्योग जगत

कंपनी ने उत्तर पदेश, हरियणा, एनडीएमसी नयी दिल्ली और बिहार में करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाये हैं. पैकेज के तहत कर्ज लेने की पूर्व शर्तों में कहा गया है कि वितरण कंपनियां ग्राहकों के लिये बिजली बिल के डिजिटल भुगतान की व्यवस्था करेंगी और ग्राहकों के स्व-आकलन के लिये उपाय करेंगी. स्व-आकलन के तहत वितरण कंपनियां ग्राहकों को मीटर की तस्वीर लेकर या एसएमएस के जरिये मीटर रीडिंग भेजेंगी.

इसमें यह भी कहा कि वितरण कंपनियां सरकारी विभागों या संबद्ध कार्यालयों में स्मार्ट-प्रीपेड मीटर लगाएंगी ताकि भविष्य में बिजली बकाया का नियमित तौर पर भुगतान होता रहे. वितरण कंपनियां राज्य सरकारों से मिलने वाली बकाया सब्सिडी का उपयोग आरईसी और पीएफसी से लिये गये कर्ज के भुगतान में करेंगी.

सूत्र के अनुसार कर्ज की दूसरी किस्त के लिये भी पूर्व शर्तें रखी गयी हैं. इसके तहत वितरण कंपनियां अगले तीन से चार साल में आपूर्ति की औसत लागत और औसत राजस्व प्राप्ति के बीच अंतर में कमी लाने तथा सकल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान कम करने के बारे में पूरी योजना सौंपगी. योजना पर राज्य सरकारें बिजली मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर मुहर लगाएंगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सुधारों को लागू करने की पूर्व शर्तें रखी हैं. इसमें बिल संग्रहण प्रणाली को डिजिटल रूप देना और बेहतर बिल व्यवस्था के लिये स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना शामिल है. इसके अलावा वितरण कंपनियां मीटर की तस्वीर भेजकर या एसएमएस के जरिये 'रीडिंग' भेजकर ग्राहकों को बिजली उपयोग के स्व-आकलन की सुविधा भी उपलब्ध कराएंगी.

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लि. द्वारा 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की पहली किस्त की मंजूरी और उसे जारी करने को लेकर ये कुछ पूर्व-शर्तें हैं, जिनका पालन वितरण कंपनियों को करना होगा. वित्त मंत्री निमला सीतारमण ने पिछले सप्ताह वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये के नकदी पैकेज की घोषणा की थी.

वित्त पोषण 45,000-45,000 करोड़ रुपये के दो चरणों में किया जाएगा. इसके अलावा दूसरी किस्त के लिये वितरण कपनियों को बिजली आपूर्ति की लागत और प्राप्त आय के बीच अंतर को कम करने और सकल तकनीकी व वाणिज्यिक नुकसानों की भी कम करने की जिम्मेदारी दी गयी है.

मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि पीएफसी के निदेशक मंडल ने वितरण कंपनियों को दो किस्तों में कर्ज जारी किये जाने को लेकर 16 अप्रैल को पूर्व शर्तों को मंजूरी दी थी. सूत्र ने कहा कि बिल संग्रह के डिजिटलीकरण के उपबंध और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिल दक्षता बेहतर होगी. वितरण कंपनियां इस समय नकदी की समस्या और नुकसान से जूझ रही हैं.

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी इफीशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएएल) ने कहा कि स्मार्ट मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिलिंग दक्षता बेहतर होगी और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (बंद) से प्रति ग्राहक मासिक आय में 15 से 20 प्रतिशत की वद्धि होगी. बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली ईईएसएल देश में स्मार्ट मीटर लगाने के कार्यकम को क्रियान्वयित कर रही है.

ये भी पढ़ें: ब्याज दर कम होने से बढ़ेगी मांग, समर्थन के और उपायों की जरूरत: उद्योग जगत

कंपनी ने उत्तर पदेश, हरियणा, एनडीएमसी नयी दिल्ली और बिहार में करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाये हैं. पैकेज के तहत कर्ज लेने की पूर्व शर्तों में कहा गया है कि वितरण कंपनियां ग्राहकों के लिये बिजली बिल के डिजिटल भुगतान की व्यवस्था करेंगी और ग्राहकों के स्व-आकलन के लिये उपाय करेंगी. स्व-आकलन के तहत वितरण कंपनियां ग्राहकों को मीटर की तस्वीर लेकर या एसएमएस के जरिये मीटर रीडिंग भेजेंगी.

इसमें यह भी कहा कि वितरण कंपनियां सरकारी विभागों या संबद्ध कार्यालयों में स्मार्ट-प्रीपेड मीटर लगाएंगी ताकि भविष्य में बिजली बकाया का नियमित तौर पर भुगतान होता रहे. वितरण कंपनियां राज्य सरकारों से मिलने वाली बकाया सब्सिडी का उपयोग आरईसी और पीएफसी से लिये गये कर्ज के भुगतान में करेंगी.

सूत्र के अनुसार कर्ज की दूसरी किस्त के लिये भी पूर्व शर्तें रखी गयी हैं. इसके तहत वितरण कंपनियां अगले तीन से चार साल में आपूर्ति की औसत लागत और औसत राजस्व प्राप्ति के बीच अंतर में कमी लाने तथा सकल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान कम करने के बारे में पूरी योजना सौंपगी. योजना पर राज्य सरकारें बिजली मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर मुहर लगाएंगी.

(पीटीआई-भाषा)

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