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बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया वितरण इकाइयों पर नवंबर में 35 प्रतिशत बढ़ा - power generating companies

बिजली उत्पादक कंपनियों का वितरण इकाइयों पर बकाया पिछले साल नवंबर में बढ़कर 35 प्रतिशत से अधिक हो गया है. कंपनियां विद्युत आपूर्ति के लिए बिलों के भुगतान को लेकर 45 दिन का समय देती हैं.

वितरण इकाइयों पर बकाया
वितरण इकाइयों पर बकाया
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Published : Jan 3, 2021, 3:34 PM IST

नई दिल्ली : बिजली उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया नवंबर 2020 में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1,41,621 करोड़ रुपये पहुंच गया. कर्ज में वृद्धि क्षेत्र में दबाव को बताता है.

प्राप्ति (भुगतान पुष्टि और उत्पादकों के चालान-प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने हेतु बिजली खरीद विश्लेषण) पोर्टल के अनुसार उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया नवंबर 2019 में 1,04,426 करोड़ रुपये था.

बिजली मंत्रालय ने 2018 में उत्पादकों और वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद में पारदर्शिता लाने के लिये पोर्टल की शुरुआत की थी.

नवंबर 2020 में कुल पिछला बकाया 1,29,868 करोड़ रुपये रहा जो, एक साल पहले इसी माह में 93,215 करोड़ रुपये था. पिछला बकाया से आशय, उस राशि से है जो 45 दिन की मोहलत के बाद भी नहीं दी गई.

मासिक आधार पर बढ़ा बकाया

पोर्टल पर उपलब्ध ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर में कुल बकाया मासिक आधार पर भी बढ़ा. अक्टूबर 2020 में कुल बकाया 1,39,057 करोड़ रुपये था. इसी माह में पिछला बकाया 1,26,444 करोड़ रुपये था.

बिजली उत्पादक कंपनियां विद्युत आपूर्ति के लिए बिलों के भुगतान को लेकर 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद, बकाया राशि पूर्व बकाया बन जाती है जिस पर उत्पादक कंपनिया दंडस्वरूप ब्याज लगाती हैं.

बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत देने के लिये केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा व्यवस्था लागू की है. इस व्यवस्था के तहत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति के लिये साख पत्र प्राप्त करने की जरूरत होती है.

लॉकडाउन के कारण वितरण कंपनियों को छूट

केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन को देखते हुए वितरण कंपनियों को भुगतान को लेकर कुछ राहत दी थी. साथ ही इस संदर्भ में विलम्ब से भुगतान को लेकर दंड स्वरूप शुल्क वसूली से भी छूट दी.

सरकार ने मई में वितरण कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने की घोषणा की. इसके तहत कंपनियों को सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी लि. से कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है. उत्पादक कंपनियों के लिए कर्ज वसूली को बेहतर करने के इरादे से यह कदम उठाया गया. बाद में नकदी उपलब्ध कराने की राशि बढ़ाकर 1.2 लाख रुपये कर दी गई.

पढ़ें- विमान ईंधन के दाम में 3.7 प्रतिशत वृद्धि, एलपीजी में बदलाव नहीं

आंकड़े के अनुसार बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाए में राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की हिस्सेदारी सर्वाधिक है.

कई उपक्रमों पर करोड़ों का बकाया

केंद्रीय लोक उपक्रमों में एनटीपीसी का अकेले वितरण कंपनियों पर 19,215.97 करोड़ रुपये का बकाया था. इसके अलावा नएलसी इंडिया का 6,932.06 करोड़ रुपये, दोमोदर घाटी निगम का 6,238.03 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 3,223.88 करोड़ रुपये तथा टीएचडीसी इंडिया का 2,085.06 करोड़ रुपये बकाया था.

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का सर्वाधिक 20,242.74 करोड़ रुपये बकाया था. उसके बाद बजाज समूह की कंपनी ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी लि. 4,373.23 करोड़ रुपये, जीएमआर का 2,195.12 करोड़ रुपये तथा एसईएमबी (सेम्बकार्प) का वितरण कंपनियों पर 2,168.45 करोड़ रुपये बकाया था.

सौर और पवन ऊर्जा समेत गैर-परंपरागत बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया नवंबर में 11,862.07 करोड़ रुपये था.

नई दिल्ली : बिजली उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया नवंबर 2020 में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1,41,621 करोड़ रुपये पहुंच गया. कर्ज में वृद्धि क्षेत्र में दबाव को बताता है.

प्राप्ति (भुगतान पुष्टि और उत्पादकों के चालान-प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने हेतु बिजली खरीद विश्लेषण) पोर्टल के अनुसार उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया नवंबर 2019 में 1,04,426 करोड़ रुपये था.

बिजली मंत्रालय ने 2018 में उत्पादकों और वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद में पारदर्शिता लाने के लिये पोर्टल की शुरुआत की थी.

नवंबर 2020 में कुल पिछला बकाया 1,29,868 करोड़ रुपये रहा जो, एक साल पहले इसी माह में 93,215 करोड़ रुपये था. पिछला बकाया से आशय, उस राशि से है जो 45 दिन की मोहलत के बाद भी नहीं दी गई.

मासिक आधार पर बढ़ा बकाया

पोर्टल पर उपलब्ध ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर में कुल बकाया मासिक आधार पर भी बढ़ा. अक्टूबर 2020 में कुल बकाया 1,39,057 करोड़ रुपये था. इसी माह में पिछला बकाया 1,26,444 करोड़ रुपये था.

बिजली उत्पादक कंपनियां विद्युत आपूर्ति के लिए बिलों के भुगतान को लेकर 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद, बकाया राशि पूर्व बकाया बन जाती है जिस पर उत्पादक कंपनिया दंडस्वरूप ब्याज लगाती हैं.

बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत देने के लिये केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा व्यवस्था लागू की है. इस व्यवस्था के तहत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति के लिये साख पत्र प्राप्त करने की जरूरत होती है.

लॉकडाउन के कारण वितरण कंपनियों को छूट

केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन को देखते हुए वितरण कंपनियों को भुगतान को लेकर कुछ राहत दी थी. साथ ही इस संदर्भ में विलम्ब से भुगतान को लेकर दंड स्वरूप शुल्क वसूली से भी छूट दी.

सरकार ने मई में वितरण कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने की घोषणा की. इसके तहत कंपनियों को सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी लि. से कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है. उत्पादक कंपनियों के लिए कर्ज वसूली को बेहतर करने के इरादे से यह कदम उठाया गया. बाद में नकदी उपलब्ध कराने की राशि बढ़ाकर 1.2 लाख रुपये कर दी गई.

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आंकड़े के अनुसार बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाए में राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की हिस्सेदारी सर्वाधिक है.

कई उपक्रमों पर करोड़ों का बकाया

केंद्रीय लोक उपक्रमों में एनटीपीसी का अकेले वितरण कंपनियों पर 19,215.97 करोड़ रुपये का बकाया था. इसके अलावा नएलसी इंडिया का 6,932.06 करोड़ रुपये, दोमोदर घाटी निगम का 6,238.03 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 3,223.88 करोड़ रुपये तथा टीएचडीसी इंडिया का 2,085.06 करोड़ रुपये बकाया था.

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का सर्वाधिक 20,242.74 करोड़ रुपये बकाया था. उसके बाद बजाज समूह की कंपनी ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी लि. 4,373.23 करोड़ रुपये, जीएमआर का 2,195.12 करोड़ रुपये तथा एसईएमबी (सेम्बकार्प) का वितरण कंपनियों पर 2,168.45 करोड़ रुपये बकाया था.

सौर और पवन ऊर्जा समेत गैर-परंपरागत बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया नवंबर में 11,862.07 करोड़ रुपये था.

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