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वित्त वर्ष 2020-21 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा

आम बजट के संशोधित अनुमानों के अनुसार 2020-21 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के रूप में 9.05 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था.

वित्त वर्ष 2020-21 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा
वित्त वर्ष 2020-21 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा
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Published : Apr 9, 2021, 7:59 PM IST

नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2020-21 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट में संशोधित अनुमान से 4.41 प्रतिशत अधिक है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष पीसी मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2020-21 में पर्याप्त रिफंड जारी करने के बावजूद संशोधित अनुमानों से अधिक कर संग्रह किया है.

वित्त वर्ष के दौरान शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 4.57 लाख करोड़ रुपये था, जबकि शुद्ध व्यक्तिगत आयकर 4.71 लाख करोड़ रुपये रहा. इसके अलावा 16,927 करोड़ रुपये प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) से मिले.

आम बजट के संशोधित अनुमानों के अनुसार 2020-21 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के रूप में 9.05 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था.

इस तरह कर संग्रह संशोधित अनुमानों से पांच प्रतिशत अधिक रहा, लेकिन 2019-20 में तय किए गए लक्ष्य से 10 प्रतिशत कम रहा.

मोदी ने कहा कि विभाग ने कागजी कार्रवाई के बोझ को कम करने और बेहतर करदाता सेवाएं मुहैया कराने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसका असर पिछले वित्त वर्ष के कर संग्रह में दिखाई दिया.

पिछले वित्त वर्ष में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.06 लाख करोड़ रुपये था. रिफंड के रूप में 2.61 लाख करोड़ रुपये देने के बाद, शुद्ध सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा. रिफंड जारी करने में इससे पिछले साल के मुकाबले 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय तेजी देखने को मिली.

मोदी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि पूरी प्रणाली अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी हो. मूल विषय जिस पर हम काम कर रहे हैं, वह है 'ईमानदार-पारदर्शी कराधान को लागू करना'... जो मुझे कठिन समय के बावजूद भरोसा देता है कि हम वर्तमान लक्ष्यों को भी पूरा कर पाएंगे.'

ये भी पढ़ें : लॉकडाउन के बाद से 80 फीसदी ज्यादा वक्त मोबाइल ऐप पर बिता रहे हैं भारतीय

उन्होंने आगे कहा कि विवाद से विश्वास योजना के तहत अब तक लगभग 54,000 करोड़ रुपये का समाधान किया गया है. इस योजना के तहत भुगतान की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है.

उन्होंने कहा, 'एक-तिहाई विवादों को इस योजना के तहत सुलझा लिया गया है. मुझे नहीं लगता कि इस तरह की किसी अन्य योजना की कोई जरूरत है.'

कॉरपोरेट करों को एक बार फिर वैश्विक न्यूनतम कर के दायरे में लाने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि सरकार ने पहले ही कॉरपोरेट करों में कमी की है.

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में मार्च 2021 में 3.5 प्रतिशत की मामूली गिरावट हुई है, जो रिफंड वापसी के चलते हो सकता है.

उन्होंने कहा, 'प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान से अधिक है, इसलिए हमें उम्मीद है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 17000 करोड़ रुपये से 17200 करोड़ रुपये तक सीमित रहेगा. प्रत्यक्ष करों में संकुचन वित्त वर्ष 2021 में 10 प्रतिशत तक सीमित रहा, और बजट अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 के लिए 17 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य है, जो जीडीपी वृद्धि के लक्ष्य से मामूली सा अधिक है.'

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, 'अर्थव्यवस्था की दशा धीरे-धीरे ठीक हो रही है और वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई और इसलिए कर संग्रह के आंकड़े उम्मीद के मुताबिक ही हैं. इससे ये भी लगता है कि राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमानों से कम रह सकता है.'

नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2020-21 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट में संशोधित अनुमान से 4.41 प्रतिशत अधिक है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष पीसी मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2020-21 में पर्याप्त रिफंड जारी करने के बावजूद संशोधित अनुमानों से अधिक कर संग्रह किया है.

वित्त वर्ष के दौरान शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह 4.57 लाख करोड़ रुपये था, जबकि शुद्ध व्यक्तिगत आयकर 4.71 लाख करोड़ रुपये रहा. इसके अलावा 16,927 करोड़ रुपये प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) से मिले.

आम बजट के संशोधित अनुमानों के अनुसार 2020-21 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के रूप में 9.05 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था.

इस तरह कर संग्रह संशोधित अनुमानों से पांच प्रतिशत अधिक रहा, लेकिन 2019-20 में तय किए गए लक्ष्य से 10 प्रतिशत कम रहा.

मोदी ने कहा कि विभाग ने कागजी कार्रवाई के बोझ को कम करने और बेहतर करदाता सेवाएं मुहैया कराने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसका असर पिछले वित्त वर्ष के कर संग्रह में दिखाई दिया.

पिछले वित्त वर्ष में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.06 लाख करोड़ रुपये था. रिफंड के रूप में 2.61 लाख करोड़ रुपये देने के बाद, शुद्ध सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये रहा. रिफंड जारी करने में इससे पिछले साल के मुकाबले 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय तेजी देखने को मिली.

मोदी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि पूरी प्रणाली अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी हो. मूल विषय जिस पर हम काम कर रहे हैं, वह है 'ईमानदार-पारदर्शी कराधान को लागू करना'... जो मुझे कठिन समय के बावजूद भरोसा देता है कि हम वर्तमान लक्ष्यों को भी पूरा कर पाएंगे.'

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उन्होंने आगे कहा कि विवाद से विश्वास योजना के तहत अब तक लगभग 54,000 करोड़ रुपये का समाधान किया गया है. इस योजना के तहत भुगतान की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है.

उन्होंने कहा, 'एक-तिहाई विवादों को इस योजना के तहत सुलझा लिया गया है. मुझे नहीं लगता कि इस तरह की किसी अन्य योजना की कोई जरूरत है.'

कॉरपोरेट करों को एक बार फिर वैश्विक न्यूनतम कर के दायरे में लाने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि सरकार ने पहले ही कॉरपोरेट करों में कमी की है.

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में मार्च 2021 में 3.5 प्रतिशत की मामूली गिरावट हुई है, जो रिफंड वापसी के चलते हो सकता है.

उन्होंने कहा, 'प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान से अधिक है, इसलिए हमें उम्मीद है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 17000 करोड़ रुपये से 17200 करोड़ रुपये तक सीमित रहेगा. प्रत्यक्ष करों में संकुचन वित्त वर्ष 2021 में 10 प्रतिशत तक सीमित रहा, और बजट अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 के लिए 17 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य है, जो जीडीपी वृद्धि के लक्ष्य से मामूली सा अधिक है.'

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, 'अर्थव्यवस्था की दशा धीरे-धीरे ठीक हो रही है और वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई और इसलिए कर संग्रह के आंकड़े उम्मीद के मुताबिक ही हैं. इससे ये भी लगता है कि राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमानों से कम रह सकता है.'

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