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नोटबंदी से पहले आरबीआई ने सरकार को दी थी चेतावनी, कहा- नोटबंदी से काले धन पर नहीं लगेगा अंकुश

वेंकटेश के लेख के अनुसार दस्तावेजों से पता चलता है कि भले ही केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने नोटबंदी को मंजूरी दे दी, लेकिन उन्होंने केंद्र द्वारा पेश किए गए कुछ औचित्य पर चिंता जताई.

नोटबंदी से पहले आरबीआई ने सरकार को दी थी चेतावनी, कहा- नोटबंदी से काले धन पर नहीं लगेगा अंकुश
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Published : Mar 11, 2019, 3:32 PM IST

नई दिल्ली: नवंबर 2016 को जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर प्रहार करने के लिए उच्च मुद्रा के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. उसी दिन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच इस विषय को लेकर अनबन हुई थी. आरबीआई इस तर्क से सहमत नहीं था कि काले धन का लेनदेन कैश के जरिए होता है.

यह सब तब सामने आया जब आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत बैठक के मिनट प्राप्त किए गए. इसके बाद वेंकटेश ने कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव की बेवसाइट पर एक लेख लिखा.

ये भी पढ़ें-RBI ने स्विफ्ट से जुड़े नियमों का पालन नहीं करने पर 36 बैंकों पर लगाया जुर्माना

लेख के अनुसार दस्तावेजों से पता चलता है कि भले ही केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने नोटबंदी को मंजूरी दे दी, लेकिन उन्होंने केंद्र द्वारा पेश किए गए कुछ औचित्य पर चिंता जताई. विशेष रूप से इस बात पर कि क्या इससे काले धन और जाली नोटों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. आरबीआई का मानना था कि काला धन कैश के बजाए सोना और रियल एस्‍टेट जैसी संपत्तियों में लगा है.

कुछ निदेशकों ने कहा, "अधिकांश काले धन को नकद में नहीं, बल्कि वास्तविक क्षेत्र की संपत्ति जैसे कि सोने या अचल संपत्ति के रूप में रखा जाता है और इस कदम का परिसंपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा."
मिनटों के अनुसार 16 दिसंबर को सरकार को विमुद्रीकरण की मंजूरी भेजी गई थी वो भी 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने करेंसी नोटों को बंद करने के पूरे 38 दिन बाद. बता दें कि 8 नवबंर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी.

नई दिल्ली: नवंबर 2016 को जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर प्रहार करने के लिए उच्च मुद्रा के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. उसी दिन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच इस विषय को लेकर अनबन हुई थी. आरबीआई इस तर्क से सहमत नहीं था कि काले धन का लेनदेन कैश के जरिए होता है.

यह सब तब सामने आया जब आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत बैठक के मिनट प्राप्त किए गए. इसके बाद वेंकटेश ने कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव की बेवसाइट पर एक लेख लिखा.

ये भी पढ़ें-RBI ने स्विफ्ट से जुड़े नियमों का पालन नहीं करने पर 36 बैंकों पर लगाया जुर्माना

लेख के अनुसार दस्तावेजों से पता चलता है कि भले ही केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने नोटबंदी को मंजूरी दे दी, लेकिन उन्होंने केंद्र द्वारा पेश किए गए कुछ औचित्य पर चिंता जताई. विशेष रूप से इस बात पर कि क्या इससे काले धन और जाली नोटों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. आरबीआई का मानना था कि काला धन कैश के बजाए सोना और रियल एस्‍टेट जैसी संपत्तियों में लगा है.

कुछ निदेशकों ने कहा, "अधिकांश काले धन को नकद में नहीं, बल्कि वास्तविक क्षेत्र की संपत्ति जैसे कि सोने या अचल संपत्ति के रूप में रखा जाता है और इस कदम का परिसंपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा."
मिनटों के अनुसार 16 दिसंबर को सरकार को विमुद्रीकरण की मंजूरी भेजी गई थी वो भी 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने करेंसी नोटों को बंद करने के पूरे 38 दिन बाद. बता दें कि 8 नवबंर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी.

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नोटबंदी से पहले आरबीआई ने सरकार को दी थी चेतावनी, कहा- नोटबंदी से काले धन पर नहीं लगेगा अंकुश   

नई दिल्ली:  नवंबर 2016 को जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर प्रहार करने के लिए उच्च मुद्रा के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. उसी दिन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच इस विषय को लेकर अनबन हुई थी. आरबीआई इस तर्क से सहमत नहीं था कि काले धन का लेनदेन कैश के जरिए होता है. 

यह सब तब सामने आया जब आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत बैठक के मिनट प्राप्त किए गए. इसके बाद वेंकटेश ने कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव की बेवसाइट पर एक लेख लिखा. 

लेख के अनुसार दस्तावेजों से पता चलता है कि भले ही केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने नोटबंदी को मंजूरी दे दी, लेकिन उन्होंने केंद्र द्वारा पेश किए गए कुछ औचित्य पर चिंता जताई. विशेष रूप से इस बात पर कि क्या इससे काले धन और जाली नोटों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. आरबीआई का मानना था कि काला धन कैश के बजाए सोना और रियल एस्‍टेट जैसी संपत्तियों में लगा है. 

कुछ निदेशकों ने कहा, "अधिकांश काले धन को नकद में नहीं, बल्कि वास्तविक क्षेत्र की संपत्ति जैसे कि सोने या अचल संपत्ति के रूप में रखा जाता है और इस कदम का परिसंपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा."

मिनटों के अनुसार 16 दिसंबर को सरकार को विमुद्रीकरण की मंजूरी भेजी गई थी वो भी 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने करेंसी नोटों को बंद करने के पूरे 38 दिन बाद. बता दें कि 8 नवबंर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी. 

 


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