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कोरोना प्रभाव : दूध की खपत घटी, किसानों को भाव मिल रहा 25 फीसदी कम

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. कोरोना काल में शादी-समारोह व अन्य बड़े आयोजनों पर पाबंदी होने और होटल, रेस्तरां, व कैंटीन ठीक ढंग से नहीं खुलने के कारण दूध और इससे बने उत्पाद खासतौर से आइसक्रीम की मांग पर असर पड़ा है. इस तरह खपत कम हो जाने से किसानों को दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

कोरोना प्रभाव : दूध की खपत घटी, किसानों को भाव मिल रहा 25 फीसदी कम
कोरोना प्रभाव : दूध की खपत घटी, किसानों को भाव मिल रहा 25 फीसदी कम
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Published : Jun 29, 2020, 5:52 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना काल में दूध की खपत घटने की मार किसानों पर पड़ी है. खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध का बाजिव दाम नहीं मिल पा रहा है. होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट जाने से कीमतों में गिरावट आई है. लॉकडाउन से पहले किसान जिस भाव पर दूध बेच रहे थे, उसके मुकाबले अब करीब 25 फीसदी कम भाव पर बेचने को मजबूर हैं.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. कोरोना काल में शादी-समारोह व अन्य बड़े आयोजनों पर पाबंदी होने और होटल, रेस्तरां, व कैंटीन ठीक ढंग से नहीं खुलने के कारण दूध और इससे बने उत्पाद खासतौर से आइसक्रीम की मांग पर असर पड़ा है. इस तरह खपत कम हो जाने से किसानों को दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- एसबीआई अर्थशास्त्रियों की प्रभावित क्षेत्रों के लिये दूसरे दौर के वित्तीय पैकेज की वकालत

उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में किसानों से दूध खरीदने वाले किसान उत्पादक संगठन सहज मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ बसंत चौधरी ने बताया कि कोरोना का कहर बरपने से पहले किसानों को जहां एक किलो दूध का भाव 44 रुपये मिलता था, वहां देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दूध का भाव 30 रुपये प्रति किलो तक गिर गया था. हालांकि अनलॉक होने पर इस महीने दूध के दाम में थोड़ा सुधार हुआ है.

बसंत चौधरी ने बताया कि इस समय उनकी कंपनी किसानों से 37 रुपये प्रति लीटर दूध खरीद रही है. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी दरअसल किसानों का ही संगठन है, इसलिए थोड़ा ज्यादा भाव पर दूध खरीद रही है, लेकिन निजी डेयरी कंपनियां इस समय भी 32.33 रुपये लटर दूध खरीद रही है.

आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने भी कहा कि दूध की खपत कम होने से किसानों को उचित भाव नहीं मिल पा रहा है.

इस बीच सरकार ने 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी है. विदेशों से सस्ता मिल्ड पाउडर आयात होने से दूध की खपत पर और असर पड़ने की संभावना है. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.एस. सोढ़ी इसे असमय लिया गया फैसला करार देते हैं. उनका कहना है कि दूध उत्पादन की लागत भारत में विदेशों से ज्यादा है. इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा.

डेयरी उद्योग कोराना काल में खपत से ज्यादा जो दूध बचता है, उसका इस्तेमाल मिल्ड पाउडर और घी बनाने में कर रहा है. बसंत चौधरी बताते हैं कि मिल्क पाउडर की सप्लाई ज्यादा होने से दूध के दाम पर दबाव बना हुआ है.

मिल्क पाउडर आयात से किसानों को होगा नुकसान : डेयरी उद्योग

कोराना काल में होटल, रेस्तरा, कैंटीन (होरेका) सेगमेंट में दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग कम हो जाने के बाद घरेलू डेयरी उद्योग खपत के बाद बचा दूध (सरप्लस) मिल्क का उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में करने लगा है लेकिन सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर विदेशों से मंगाने के फैसले के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई. डेयरी उद्योग इसे असमय लिया फैसला बताते हैं. डेयरी कारोबारी कहते हैं कि मिल्क पाउडर आयात से देश के किसानों को नुकसान होगा.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: कोरोना काल में दूध की खपत घटने की मार किसानों पर पड़ी है. खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध का बाजिव दाम नहीं मिल पा रहा है. होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट जाने से कीमतों में गिरावट आई है. लॉकडाउन से पहले किसान जिस भाव पर दूध बेच रहे थे, उसके मुकाबले अब करीब 25 फीसदी कम भाव पर बेचने को मजबूर हैं.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. कोरोना काल में शादी-समारोह व अन्य बड़े आयोजनों पर पाबंदी होने और होटल, रेस्तरां, व कैंटीन ठीक ढंग से नहीं खुलने के कारण दूध और इससे बने उत्पाद खासतौर से आइसक्रीम की मांग पर असर पड़ा है. इस तरह खपत कम हो जाने से किसानों को दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- एसबीआई अर्थशास्त्रियों की प्रभावित क्षेत्रों के लिये दूसरे दौर के वित्तीय पैकेज की वकालत

उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में किसानों से दूध खरीदने वाले किसान उत्पादक संगठन सहज मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ बसंत चौधरी ने बताया कि कोरोना का कहर बरपने से पहले किसानों को जहां एक किलो दूध का भाव 44 रुपये मिलता था, वहां देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दूध का भाव 30 रुपये प्रति किलो तक गिर गया था. हालांकि अनलॉक होने पर इस महीने दूध के दाम में थोड़ा सुधार हुआ है.

बसंत चौधरी ने बताया कि इस समय उनकी कंपनी किसानों से 37 रुपये प्रति लीटर दूध खरीद रही है. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी दरअसल किसानों का ही संगठन है, इसलिए थोड़ा ज्यादा भाव पर दूध खरीद रही है, लेकिन निजी डेयरी कंपनियां इस समय भी 32.33 रुपये लटर दूध खरीद रही है.

आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने भी कहा कि दूध की खपत कम होने से किसानों को उचित भाव नहीं मिल पा रहा है.

इस बीच सरकार ने 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी है. विदेशों से सस्ता मिल्ड पाउडर आयात होने से दूध की खपत पर और असर पड़ने की संभावना है. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.एस. सोढ़ी इसे असमय लिया गया फैसला करार देते हैं. उनका कहना है कि दूध उत्पादन की लागत भारत में विदेशों से ज्यादा है. इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा.

डेयरी उद्योग कोराना काल में खपत से ज्यादा जो दूध बचता है, उसका इस्तेमाल मिल्ड पाउडर और घी बनाने में कर रहा है. बसंत चौधरी बताते हैं कि मिल्क पाउडर की सप्लाई ज्यादा होने से दूध के दाम पर दबाव बना हुआ है.

मिल्क पाउडर आयात से किसानों को होगा नुकसान : डेयरी उद्योग

कोराना काल में होटल, रेस्तरा, कैंटीन (होरेका) सेगमेंट में दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग कम हो जाने के बाद घरेलू डेयरी उद्योग खपत के बाद बचा दूध (सरप्लस) मिल्क का उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में करने लगा है लेकिन सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर विदेशों से मंगाने के फैसले के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई. डेयरी उद्योग इसे असमय लिया फैसला बताते हैं. डेयरी कारोबारी कहते हैं कि मिल्क पाउडर आयात से देश के किसानों को नुकसान होगा.

(आईएएनएस)

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