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कोरोना संकट: बिहार में मुश्किल में घिरे पशुपालक - कोविड 19

गया के कोरमा गांव के रहने वाले पशुपालकों का कहना है कि शहर में दूध नहीं बिक रहा, यही कारण है कि गांव के आसपास ही घूमकर दूध बेच रहे हैं. वैसे गांव में कौन दूध खरीदेगा, सभी तो पशुपालक ही हैं. पता नहीं कोरोना से बाजार कब तक प्रभावित रहेगा.

कोरोना संकट: बिहार में मुश्किल में घिरे पशुपालक
कोरोना संकट: बिहार में मुश्किल में घिरे पशुपालक
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Published : Apr 18, 2020, 6:21 PM IST

पटना: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में बरते जा रहे एहतियात की वजह से बिहार के पशुपालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण पशुचारा की कीमतें बढ़ गई हैं, वहीं उन्हें दूध की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है.

इनमें सबसे अधिक परेशानी उन पशुपालकों को हो रही है, जो प्रतिदिन शहर जाकर हलवाई व मिष्ठान की दुकानों में दूध बेचते थे. दुकानें बंद रहने के कारण दूध की बिक्री काफी प्रभावित हुई है.

गया के कोरमा गांव के रहने वाले पशुपालक लखन यादव के पास 10 भैंस व 2 गाय हैं. उनके पास हर दिन करीब 60-70 लीटर दूध एकत्र होता है. बंदी से पहले बाजार में दूध 55 रुपये किलो तक बिक जाता था, लेकिन चाय और मिष्ठान की दुकान बंद रहने के कारण दूध नहीं बिक रहा है.

बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद ने कहा, "शहर में दूध नहीं बिक रहा, यही कारण है कि गांव के आसपास ही घूमकर दूध बेच रहे हैं. वैसे गांव में कौन दूध खरीदेगा, सभी तो पशुपालक ही हैं. पता नहीं कोरोना से बाजार कब तक प्रभावित रहेगा."

वहीं पटना के मनेर के पास स्थित एक गांव के पास दो महिलाएं सिर पर घास की गठरी ले जाते नजर आईं. उनसे जब गठरी के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा, "कुट्टी दाना मिल नहीं रहा. सबकुछ बंद है. परेशानी है."

बिहार में कोरोना के कारण पशुपालक काफी परेशान हैं. चारे महंगे हो गए हैं. आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़े के मुताबिक, राज्य में करीब 77 लाख भैंस और 153 लाख गाय और बैल हैं. पशुपालकों के मुताबिक एक गाय को प्रतिदिन 10 किलो सूखा और पांच किलो हरा चारा चाहिए.

इधर, चारा व्यापारी कहते हैं कि वाहनों का आना-जाना एकदम बंद है. चारा भेजने का आर्डर दिया भी गया है तो पूरा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गेहूं की कटाई प्रारंभ हुई है इसके बाद ही भूसा की कमी पूरी होगी. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: श्रमिकों की शिकायत निपटाने के लिए राज्य सरकारें नोडल अधिकारी तय करें: गंगवार

एक पशुचारा व्यापारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि भूसा जो पहले 200 रुपये भांगा (करीब 19-20 किलोग्राम) बेचते थे वह आज महंगा होने के कारण 250 से 300 रुपये तक बेचना पड़ रहा है. उनका कहना है कि आज कोई मजदूर नहीं मिल रहा है. अगर माल मंगवा भी लेंगे तो माल को उतारेगा कौन?

इधर, पुनपुन के पशुपालक अवधेश सिंह कहते हैं कि जो बिराली 500 रुपये मन (40 किलोग्राम) मिलता था वह आज 800 से 900 रुपये मिल रहा है. चोकर खरीदने की तो अब क्षमता ही नहीं रही.

कृषि एवं पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा, "पशुपालकों को चारा उपलब्ध करवाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई है. कई इलाकों में चारा मुफ्त बांटने की भी योजना बनाई गई है. बैकों से भी पशुपालकों को ऋण उपलब्ध कराने को कहा गया है."

(आईएएनएस)

पटना: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में बरते जा रहे एहतियात की वजह से बिहार के पशुपालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण पशुचारा की कीमतें बढ़ गई हैं, वहीं उन्हें दूध की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है.

इनमें सबसे अधिक परेशानी उन पशुपालकों को हो रही है, जो प्रतिदिन शहर जाकर हलवाई व मिष्ठान की दुकानों में दूध बेचते थे. दुकानें बंद रहने के कारण दूध की बिक्री काफी प्रभावित हुई है.

गया के कोरमा गांव के रहने वाले पशुपालक लखन यादव के पास 10 भैंस व 2 गाय हैं. उनके पास हर दिन करीब 60-70 लीटर दूध एकत्र होता है. बंदी से पहले बाजार में दूध 55 रुपये किलो तक बिक जाता था, लेकिन चाय और मिष्ठान की दुकान बंद रहने के कारण दूध नहीं बिक रहा है.

बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद ने कहा, "शहर में दूध नहीं बिक रहा, यही कारण है कि गांव के आसपास ही घूमकर दूध बेच रहे हैं. वैसे गांव में कौन दूध खरीदेगा, सभी तो पशुपालक ही हैं. पता नहीं कोरोना से बाजार कब तक प्रभावित रहेगा."

वहीं पटना के मनेर के पास स्थित एक गांव के पास दो महिलाएं सिर पर घास की गठरी ले जाते नजर आईं. उनसे जब गठरी के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा, "कुट्टी दाना मिल नहीं रहा. सबकुछ बंद है. परेशानी है."

बिहार में कोरोना के कारण पशुपालक काफी परेशान हैं. चारे महंगे हो गए हैं. आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़े के मुताबिक, राज्य में करीब 77 लाख भैंस और 153 लाख गाय और बैल हैं. पशुपालकों के मुताबिक एक गाय को प्रतिदिन 10 किलो सूखा और पांच किलो हरा चारा चाहिए.

इधर, चारा व्यापारी कहते हैं कि वाहनों का आना-जाना एकदम बंद है. चारा भेजने का आर्डर दिया भी गया है तो पूरा नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गेहूं की कटाई प्रारंभ हुई है इसके बाद ही भूसा की कमी पूरी होगी. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं.

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एक पशुचारा व्यापारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि भूसा जो पहले 200 रुपये भांगा (करीब 19-20 किलोग्राम) बेचते थे वह आज महंगा होने के कारण 250 से 300 रुपये तक बेचना पड़ रहा है. उनका कहना है कि आज कोई मजदूर नहीं मिल रहा है. अगर माल मंगवा भी लेंगे तो माल को उतारेगा कौन?

इधर, पुनपुन के पशुपालक अवधेश सिंह कहते हैं कि जो बिराली 500 रुपये मन (40 किलोग्राम) मिलता था वह आज 800 से 900 रुपये मिल रहा है. चोकर खरीदने की तो अब क्षमता ही नहीं रही.

कृषि एवं पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा, "पशुपालकों को चारा उपलब्ध करवाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई है. कई इलाकों में चारा मुफ्त बांटने की भी योजना बनाई गई है. बैकों से भी पशुपालकों को ऋण उपलब्ध कराने को कहा गया है."

(आईएएनएस)

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