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चालू वित्त वर्ष में कमजोर रहेगी वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री : इक्रा

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Published : Oct 7, 2019, 11:41 PM IST

इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने एक बयान में कहा कि नए उत्सर्जन मानकों के लागू होने से पहले मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) का ध्यान प्रणाली में माल की आवाजाही (इंवेटरी) को युक्तिसंगत बनाना है. इसकी प्रमुख वजह खुदरा बिक्री गिरना और डीलरशिप के स्तर पर माल की इंवेटरी ऊंचे स्तर पर होना है.

चालू वित्त वर्ष में कमजोर रहेगी वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री : इक्रा

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री कमजोर रहने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी एक रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही. एजेंसी का कहना है कि निकट अवधि में मांग कमजोर बनी रहेगी. इसकी बड़ी वजह भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानक नियमों के लागू होने में कम समय बाकी रहना है.

इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने एक बयान में कहा, "नए उत्सर्जन मानकों के लागू होने से पहले मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) का ध्यान प्रणाली में माल की आवाजाही (इंवेटरी) को युक्तिसंगत बनाना है. इसकी प्रमुख वजह खुदरा बिक्री गिरना और डीलरशिप के स्तर पर माल की इंवेटरी ऊंचे स्तर पर होना है."

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में डीलरों का कारखाने से थोक उठाव बढ़ने की उम्मीद नहीं है और यह स्थिति बची छमाही में जारी रह सकती है. वाणिज्यिक वाहनों के घरेलू बाजार में वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही से ही बिक्री में गिरावट दिखने लगी थी.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने राज्यस्तरीय बैंकरों से डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करने को कहा

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में इसमें सालाना आधार पर 19 प्रतिशत की गिरावट आयी है. वहीं कंपनियों की विनिर्माण स्थिति भी कमजोर हुई है. कंपनियों के कारखाने से थोक उठाव में इस साल जुलाई-अगस्त में 33 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है.

दीवान ने कहा कि इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की खराब हालत के चलते बाजार में तरलता का संकट बढ़ा है. इससे भी बाजार प्रभावित हुए हैं.

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री कमजोर रहने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी एक रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही. एजेंसी का कहना है कि निकट अवधि में मांग कमजोर बनी रहेगी. इसकी बड़ी वजह भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानक नियमों के लागू होने में कम समय बाकी रहना है.

इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने एक बयान में कहा, "नए उत्सर्जन मानकों के लागू होने से पहले मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) का ध्यान प्रणाली में माल की आवाजाही (इंवेटरी) को युक्तिसंगत बनाना है. इसकी प्रमुख वजह खुदरा बिक्री गिरना और डीलरशिप के स्तर पर माल की इंवेटरी ऊंचे स्तर पर होना है."

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में डीलरों का कारखाने से थोक उठाव बढ़ने की उम्मीद नहीं है और यह स्थिति बची छमाही में जारी रह सकती है. वाणिज्यिक वाहनों के घरेलू बाजार में वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही से ही बिक्री में गिरावट दिखने लगी थी.

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चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में इसमें सालाना आधार पर 19 प्रतिशत की गिरावट आयी है. वहीं कंपनियों की विनिर्माण स्थिति भी कमजोर हुई है. कंपनियों के कारखाने से थोक उठाव में इस साल जुलाई-अगस्त में 33 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है.

दीवान ने कहा कि इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की खराब हालत के चलते बाजार में तरलता का संकट बढ़ा है. इससे भी बाजार प्रभावित हुए हैं.

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नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों की घरेलू बिक्री कमजोर रहने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी एक रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही. एजेंसी का कहना है कि निकट अवधि में मांग कमजोर बनी रहेगी. इसकी बड़ी वजह भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानक नियमों के लागू होने में कम समय बाकी रहना है.

इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष शमशेर दीवान ने एक बयान में कहा, "नए उत्सर्जन मानकों के लागू होने से पहले मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) का ध्यान प्रणाली में माल की आवाजाही (इंवेटरी) को युक्तिसंगत बनाना है. इसकी प्रमुख वजह खुदरा बिक्री गिरना और डीलरशिप के स्तर पर माल की इंवेटरी ऊंचे स्तर पर होना है."

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में डीलरों का कारखाने से थोक उठाव बढ़ने की उम्मीद नहीं है और यह स्थिति बची छमाही में जारी रह सकती है. वाणिज्यिक वाहनों के घरेलू बाजार में वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही से ही बिक्री में गिरावट दिखने लगी थी.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में इसमें सालाना आधार पर 19 प्रतिशत की गिरावट आयी है. वहीं कंपनियों की विनिर्माण स्थिति भी कमजोर हुई है. कंपनियों के कारखाने से थोक उठाव में इस साल जुलाई-अगस्त में 33 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है.

दीवान ने कहा कि इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की खराब हालत के चलते बाजार में तरलता का संकट बढ़ा है. इससे भी बाजार प्रभावित हुए हैं.

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