नई दिल्ली: सरकार कोविड-19 पर अंकुश के लिए लागू बंदी के दौरान निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने को नकदी संकट से जूझ रही बिजली वितरण कंपनियों के लिए और कदम उठाने की तैयारी कर रही है. इन उपायों में सस्ती कार्यशील पूंजी और निचला शुल्क शामिल है.
एक सूत्र ने कहा कि बिजली मंत्रालय लॉकडाएन दौरान बिजली वितरण कंपनियों को राहत के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. विशेषरूप से ऐसी स्थिति में जबकि मांग काफी कम है और बिल संग्रहण नहीं हो पा रहा है. सूत्र ने बताया कि बंदी के दौरान बिजली की मांग में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आई है.
10 अप्रैल को बिजली की मांग घटकर 121.38 गीगावॉट(हजार मेगावाट) रही, जो एक साल पहले इसी दिन 170.52 गीगावॉट थी. मांग में कमी की प्रमुख वजह उद्योगों और राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की मांग में गिरावट है.
सूत्र का कहना है कि बिजली वितरण कंपनियां नकदी संकट का सामना कर रही हैं. ऐसे में केंद्र सरकार का प्रयास उन्हें कम ब्याज दरों पर कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराना है. सूत्र ने कहा कि इसके अलावा सरकर केंद्रीय और राज्य बिजली नियामकों से डिस्कॉम के लिए दरों में कमी करने के लिए कह सकती है.
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हालांकि, इन उपायों के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरूरत होगी क्योंकि इनका वित्तीय प्रभाव पड़ेगा. सूत्र ने बताया कि इस प्रस्ताव को अगले सप्ताह मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है.
बिजली मंत्रालय ने पिछले सप्ताह डिस्कॉम को राहत के लिए कुछ उपाय किए थे. इनमें उत्पादन कंपनियों (जेनको) को देरी से भुगतान और 30 जून तक बने बिलों पर कम विलंब भुगतान अधिभार शामिल है.
(पीटीआई-भाषा)