नई दिल्ली: सरकार ने अनुसूचित जातियों की शिक्षा के लिए अगले पांच वर्ष में 59,000 करोड़ रुपये की मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इसके तहत केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और शेष 40 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकारें उपलब्ध करायेंगे. इससे अनुसूचित जाति वर्ग के चार करोड़ से अधिक छात्रों को लाभ होगा.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संवाददाताओं के बताया कि अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (पीएमएस-एससी) की केंद्र प्रायोजित योजना को बड़े परिवर्तनों के साथ मंजूरी दी गई है ताकि छात्र अपनी उच्चतर शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें.
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्रिमंडल ने 59,048 करोड़ रुपये के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है जिसमें से केंद्र सरकार 35,534 करोड़ रुपये (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी.
इसमें कहा गया है कि ऐसा अनुमान है कि 10वीं कक्षा से आगे पढ़ाई नहीं जारी रख सकने वाले 1.36 करोड़ गरीब छात्रों को अगले पांच वर्षो में उच्च शिक्षा प्रणाली के दायरे में लाया जा सकेगा. इसमें कहा गया है कि राज्य आनलाइन पोर्टल पर पात्रता, जाति स्थिति, आधार पहचान एवं बैंक खातों के ब्यौरे की व्यापक जांच करेगी.
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इस योजना के तहत केंद्र के हिस्से (60 प्रतिशत) की राशि प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से छात्रों के बैंक खातों में भेजा जायेगा.
इसमें कहा गया है कि पिछले तीन वर्षो (2017-18 से 2019-20) के दौरान इस योजना के तहत सालाना 1100 करोड़ रूपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती थी और अब इसमें पांच गुणा वृद्धि होगी और यह अगले पांच वर्षो तक 2020-21 से 2025-26 के दौरान हर साल करीब छह हजार करोड़ रूपये हो जायेगा.
यह स्कीम सुदृढ़ सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता, तथा बिना विलम्ब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी.